बीजेपी ने MP में यूपी के मोहन यादव को सीएम बनाकर ओबीसी पॉलिटिक्स में चली दाव
MP New सीएम Mohan Yadav: मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव सुलतानपुर के दामाद हैं। जबसे भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया है उत्तर प्रदेश और बिहार तक सियासी गलियारों में हड़कंप मची हुई है। इन दोनों राज्यों में पिछले कुछ समय से जातीय जनगणना के जरिए ओबीसी पॉलिटिक्स को हवा देने की कोशिशें चल रही हैं।
तीन राज्यों में भाजपा की बंपर जीत के पहले तक कई विश्लेषक बिहार में जातीय जनगणना के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले यूपी-बिहार में मंडल राजनीति की वापसी की भविष्यवाणी करने लगे थे लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजों ने उन्हें गलत साबित कर दिया। अब भाजपा ने मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश कनेक्शन वाले मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर हिन्दी पट्टी के राज्यों की ओबीसी पॉलिटिक्स में जबरदस्त दांव चल दिया है। जानकारों का मानना है कि यह दांव आने वाले वक्त में भगवा दल का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। भाजपा के हिन्दुत्व के मुकाबले जातीय समीकरणों का चक्रव्यूह तैयार करने के विपक्षी मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
साल-2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की वापसी 15 सालों साल बाद हुई थी। माना जाता है कि इस जीत के पीछे भाजपा गैर-यादव-गैर-जाटव की आंतरिक रणनीति का बड़ा सहयोग था। अब भाजपा का यह नया पैंतरा यूपी में सपा और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के वोट बैंक पर कितना असर करेगा? यह काबिलेगौर होगा। लेकिन इतना तो है कि उन्हें चिंता में जरूर डालेगा। बीजेपी लोकसभा के 2024 में होने वाले चुनावों में इस निर्णय के जरिये दोनों राज्यों में जाति को सर्वोपरि रख परिवारवाद की राजनीति करने वाले दलों के विरुद्ध इस हथियार को इस्तेमाल करे तो हैरत नहीं।
इस कदम के सियासी निष्कर्षों का विश्लेषण करने वालों का बोलना है कि भाजपा के निर्णय का असर पड़ोसी राज्य यूपी के साथ-साथ बिहार में भी महसूस किया जाएगा। बड़ी संख्या में यादव जनसंख्या वाले दोनों राज्यों में 120 लोकसभा सीटें हैं। मोहन यादव की पत्नी सीमा, जिनकी पृष्ठभूमि भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से है, यूपी से हैं। मोहन यादव अगस्त 2022 में सुल्तानपुर में अपने 96 वर्षीय बीमार ससुर ब्रह्मदीन यादव से मिलने के लिए अपनी पत्नी के साथ राज्य के दौरे पर आए थे।
विधानसभा चुनाव से ही जारी हैं कोशिशें
वैसे भाजपा 2022 विधानसभा चुनाव के पहले से ही यादव बेल्ट में समाजवादी पार्टी के आधार वोट बैंक में सेंध लगाने की प्रयास कर रही है। उसे इसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली। अपनी रणनीति के बल पर भाजपा समाजवादी पार्टी के पुनरुत्थान की भविष्यवाणियों को गलत साबित करने में सफल रही। अब मध्य प्रदेश के मनोनीत सीएम के यूपी-कनेक्ट के साथ, बीजेपी निश्चित रूप से सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आक्रामक कदम उठाने की प्रयास करेगी, जहां अखिलेश यादव की सपा बीजेपी की सबसे बड़ी विपक्ष है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ से कहा, “यह सच है कि यूपी में मुलायम सिंह यादव का परिवार और बिहार में लालू यादव का परिवार अब तक के दो सबसे बड़े सियासी परिवार हैं, जिनके प्रति यादव काफी हद तक वफादार रहे हैं। यूपी बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ”मध्य प्रदेश में एक यादव चेहरे को आगे बढ़ाकर, यह साफ है कि बीजेपी अब पुरानी धारणाओं को समाप्त करने का इरादा दिखा रही है।” योगी 2.0 गवर्नमेंट में एकमात्र यादव मंत्री, यूपी के मंत्री गिरीश यादव ने कहा, “यह एक महान फैसला है और हालांकि बीजेपी जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करती है, लेकिन यह कदम अब उस पार्टी को हटा देगा जो गर्व से यादव वफादारी का दावा करती है।” बीजेपी के पास छह यादव विधायक हैं – उत्तर प्रदेश से दो-दो विधायक, एमएलसी और राज्यसभा सदस्य हैं।
यूपी पर फोकस
केंद्र में जीत की हैट्रिक के लिए, बीजेपी फिर से पार्टी शासित यूपी पर बहुत अधिक भरोसा कर रही है, जहां यादव सबसे प्रमुख ओबीसी समूह हैं। यूपी में लगभग 9% यादवों का इटावा, बदायूं, मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद, इटावा, मैनपुरी, फ़ैज़ाबाद, संत कबीर नगर, बलिया, जौनपुर और आज़मगढ़ सहित कई लोकसभा क्षेत्रों में लगभग निर्णायक असर है। जून 2022 में, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा सीट खाली करने के बाद बीजेपी के दिनेश लाल यादव ‘निरहाऊ’ ने लोकसभा उपचुनाव में आज़मगढ़ जीता।
मुलायम से मिलता है मोहन का एक गुण
एमपी में मोहन यादव की ताजपोशी के बाद राजनीति से लेकर उनसे जुड़ी हर बात की चर्चा हो रही है। कई लोग एक मुद्दे में मुलायम सिंह यादव से उनके गुण मिलने की बात भी करने लगे हैं। एक बीजेपी नेता ने कहा, “मोहनजी राज्य के कुश्ती संघों में भी काफी एक्टिव हैं, जो कि अखिलेश के पिता और सियासी कद्दावर मुलायम सिंह यादव भी करते थे।”
उत्तर प्रदेश चुनावों में बीजेपी की लगातार बहुत बढ़िया जीत के तुरंत बाद, पीएम मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के यादव फोकस का खुलासा किया था, जब उन्होंने पूर्व सांसद और करीबी चौधरी हरमोहन सिंह यादव की 10 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया था। मुलायम सिंह यादव के सहयोगी। हरमोहन यादव महासभा के संस्थापक भी थे और उनके पोते मोहित यादव अब बीजेपी में हैं। 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा मुलायम की बहू अपर्णा यादव को अपनी ओर मिलाकर एक बड़ी रणनीतिक जीत हासिल करने में भी सफलता रही थी।
मोहन यादव का सुल्तानपुर कनेक्शन
मोहन यादव की विवाह 1994 में सुल्तानपुर के विवेकानंद नगर मोहल्ले में रहने वाले ब्रह्मानंद यादव की बेटी सीमा यादव से हुई थी। उनके ससुर बह्मानंद उस समय रीवां मध्यप्रदेश में एक इंटर कालेज में प्रिंसिपल थे। उस समय मोहन विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री थे। दोनों परिवार उसी समय संपर्क में आए। ब्रह्मानंद 1997 में रिटायर होने पर विद्याभारती और विश्व हिन्दू परिषद में पूर्णकालिक रहे।
1997 में रिटायर होने पर शहर के विवेकानंद नगर मोहल्ले में साल 2002 से मकान बनवाकर रह रहे हैं। साले विवेकानंद यादव सरस्वती विद्यामंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय विवेकनगर में खेल शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि बहन सीमा यादव की विवाह उज्जैन में मोहन यादव के साथ हुई थी। बहन सीमा ने रीवां मध्य प्रदेश से एमए भूगोल की पढ़ाई की है। पिता ब्रह्मानंद यादव ने अपने विद्यार्थी जीवन में साल 1947 में बनारस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम साल प्रशिक्षण वर्ग किया था। पूरा परिवार तभी से संघ से जुड़ा हुआ है। प्रिंसिपल पद से रिटायर होने के बाद वह विद्याभारती मध्यप्रदेश में संगठन मंत्री के रुप में काम किया। वहीं से दिल्ली में विश्व हिन्दु परिषद में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में विश्व हिंदू परिषद प्रमुख अशोक सिंहल के साथ रहे।
ब्रह्मानंद के तीन बेटे और एक बेटी है। ब्रह्मानंद की उम्र वर्तमान में 97 साल के करीब है,जो बीमार होने के कारण विस्तर पर हैं। शास्त्री नगर मोहल्ले में ही अपने आचार्य बेटे विवेकानंद के साथ रहते हैं। उनका एक और बेटा रामानंद रीवां में विद्याभारती से जुड़ा हैं। छोटा बेटा सेना हैं। वर्तमान में जबलपुर में रहता है। सीएम के साले विवेकानंद यादव ने कहा कि पिताजी के मध्यप्रदेश में लंबे समय तक जॉब और संघ में काम करने के कारण परिवार की पृष्टभूमि वहां से जुड़ी है। सीएम का परिवार भी संघ की पृष्टिभूमि से जुड़ा था। दोनों परिवारों का सम्पर्क होने के बाद बहन सीमा यादव का रिश्ता उनसे हुआ। बहन ने रीवां के एक कालेज से एमए भूगोल से किया है।
ससुराल में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर इंकार जश्न
मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम घोषित किए जाने पर उनके ससुराल में उत्सव का माहौल है। ससुराली जनों के साथ मोहल्ले के लोग भी उत्सव में शामिल हुए। ससुर ब्रह्मनंद और साले विवेकानंद को शुभकामना देने का सिलसिला जारी है। परिवार के सदस्यों को टेलीफोन पर प्रत्यक्ष मिलकर लोग बधाईयां दे रहे हैं। संघ के नेता पवनेश ने कहा कि करीब डेढ साल पहले मोहन यादव आए थे। बीजेपी जिलाध्यक्ष डाक्टर आरएवर्मा से ससुर ब्रह्मानंद के उपचार के बारे में वार्ता कर अयोध्या गए थे। उस समय यहां पर बीजेपी नेताओं ने उनका स्वागत किया था।