लेटैस्ट न्यूज़

घोसी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार

 

लखनऊ लोकसभा चुनाव का रिहर्सल माने जाने वाले घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल दल सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) जैसे सहयोगी लोग अपना वोट ट्रांसफर कराने में असफल रहे हैं इसके बावजूद यह उपचुनाव बीजेपी के लिए कई लिहाज से फायदेमंद कहा जा रहा है

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि लोकसभा से पहले घोसी के उपचुनाव के इण्डिया और एनडीए की ताकत की पहली परीक्षा थी इससे बीजेपी को अपने सहयोगी दलों की शक्ति को समझने का मौका मिल गया उसे 2024 के चुनाव से पहले अपने सहयोगियों की ताकत के बारे में पता चला गया है कि कौन कितने पानी में है

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी गवर्नमेंट बनने के बाद हमारी पार्टी ने उपचुनावों में अधिक कामयाबी हासिल नहीं की है यदि 2018 में देखें तो बीजेपी गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद ने चुनाव जीता था फूलपुर में नागेंद्र पटेल और कैराना में तब्बासुम ने चुनाव जीता था बीजेपी को यहां से हार का सामना करना पड़ा था

लेकिन 2019 के लोकसभा में इन तीनों सीटों पर बीजेपी ने बहुत अच्छे वोटों से जीत दर्ज की थी ऐसे ही 2022 में मैनपुरी और खतौली हार गए देखा जाय तो उपचुनाव का ट्रैक बीजेपी के लिए अधिक अच्छा नहीं रहा लेकिन उसकी भरपाई मेन चुनाव में कर लेती है ऐसा आंकड़े संकेत कर रहे हैं

2024 के चुनाव के पहले बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में कई मजबूत क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर रखा है चाहे राजभर हो, संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल इन सबका अपनी जातियों में जनाधार भी माना जाता है राजभर और निषाद के अपने अपने विधायक जबकि अनुप्रिया के सांसद और विधायक दोनो ही हैं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले इन क्षत्रपों की पकड़ को देख लिया है अब यह लोग पार्टी से अधिक मोलभाव करने की स्थित में नहीं रहेंगे

वरिष्ठ सियासी विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि घोसी उपचुनाव में बीजेपी के सहयोगी दलों के सूरमाओं के कौशल की परीक्षा हुई जिसमें वह फेल नजर आए हाल में समाजवादी पार्टी से राजग में आए ओमप्रकाश राजभर अपनी बिरादरी का वोट नहीं दिलवा पाए बड़बोलेपन के कारण वह निशाने पर रहे एनडीए में अब उनका कद और मोलभाव करने की ताकत भी कम होगी उपचुनाव में उन्होंने अखिलेश को सैफई भेजने की बात कही थी जनता ने उन्हें ही वापस कर दिया वह अपने सजातीय वोट नहीं दिला सके 28 चरण की गिनती तक सुधाकर बीजेपी के दारा से आगे ही रहे हैं यही उसका संकेत है चारों तरफ केवल समाजवादी पार्टी को ही वोट मिला है वहीं निषाद पार्टी के संजय निषाद ने घोसी में लगातार कैंप किया लेकिन वह भी कामयाबी नहीं दिला पाए, उनके समुदाय का वोट भी बीजेपी को नहीं मिला कमोबेश यही हालत आशीष पटेल की पार्टी की रही अब यह लोग राजनीतिक मोलभाव नहीं कर पाएंगे

एक अन्य विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि घोसी चुनाव में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों का टेस्ट भी कर लिया उनकी मोलभाव क्षमता को कम कर दी लोकसभा चुनाव से पहले लोगो का आकलन हो गया इवीएम पर बार-बार प्रश्न उठाने का भी उत्तर मिला है इसलिए बीजेपी को कोई खास हानि नहीं हुआ क्योंकि लोकसभा चुनाव में अभी टाइम है इसका असर तब तक ठंडा हो जायेगा

समाजवादी पार्टी के चरथावल से विधायक पंकज मलिक कहते हैं कि घोसी की जनता ने गवर्नमेंट की जनविरोधी नीतियों के कारण उन्हें हरा दिया है इनकी गवर्नमेंट में रोजगार, स्वास्थ्य और कृषि सभी चीजें बिगड़ी हैं जनता ने जनादेश दिया है राजभर जैसे बड़बोले लोगों को जनता ने कहां पहुंचा दिया उनकी अखिलेश यादव से कोई तुलना नहीं हो सकती है उनको जनता ने उत्तर दे दिया है

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि विधानसभा उपचुनाव को लोकसभा से तुलना करना ठीक नहीं है घोसी का चुनाव रिज़ल्ट हमारे लिए चिंतन का विषय है इसकी समीक्षा हो रही है रही सहयोगी दलों की बात तो उनकी समीक्षा हमारा नेतृत्व करेगा वही टिप्पणी कर सकते हैं

<!– और पढ़े…–>

Related Articles

Back to top button