भारत से तीन गुना ज्यादा है चीन का रक्षा बजट

2017 से सीमा पर चीनी कार्रवाइयों ने यह साफ कर दिया है कि हिंदुस्तान अगले दशक में एक अधिक बड़ी कठिनाई का सामना कर रहा है. हमारे रक्षा बजट में सुरक्षा वातावरण में इस मूलभूत बदलाव को दिखना चाहिए.
1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट पेश किए जाने से पहले हिंदुस्तान का रक्षा क्षेत्र सुर्खियों में है. जानकार इस वर्ष के बजट में रक्षा क्षेत्र में जरूरी वृद्धि की आशा करते हैं. इसके पीछे का प्रमुख कारण ताजा हालात है. चीन के साथ सीमा मुद्दों और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जिन पर गवर्नमेंट को इस क्षेत्र को धन आवंटित करते हुए इसमें इजाफे की जरूरत होगी. 2017 से सीमा पर चीनी कार्रवाइयों ने यह साफ कर दिया है कि हिंदुस्तान अगले दशक में एक अधिक बड़ी कठिनाई का सामना कर रहा है. हमारे रक्षा बजट में सुरक्षा वातावरण में इस मूलभूत बदलाव को दिखना चाहिए.
रक्षा बजट में गौरतलब वृद्धि की क्यों की जानी चाहिए
1. 2017 के दौरान से अधिक और इससे भी पहले भी कई मौकों पर हिंदुस्तान चीन के साथ अपनी सीमा पर तनाव का सामना कर रहा है. विशेष रूप से भूटान के पास लद्दाख से लेकर उत्तर पूर्व के इलाकों में चीनी घुसपैठ की कोशिशें बढ़ी हैं.
2. पाक के साथ हिंदुस्तान की सीमा हमेशा अस्थिर रही है.
3. कश्मीर को सीमा पार घुसपैठ से मजबूत रक्षा की आवश्यकता है.
4. पाकिस्तान-चीन राजमार्ग भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, जिसकी नज़र करने और अंतत: नियंत्रण करने की जरूरत है.
5. क्वाड चाहता है कि हिंदुस्तान हिंद महासागर से गुजरने वाले समुद्री व्यापार मार्गों की रक्षा करने में एक मजबूत किरदार निभाए.
भारत के रक्षा बजट में होगा इजाफा?
रचीन का रक्षा बजट हिंदुस्तान के रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपये (लगभग 70 अरब डॉलर) के मुकाबले तीन गुना है. उसका कुल रक्षा बजट 209 अरब $ है. रक्षा विषेषज्ञों का मानना है कि रक्षा बजट करीब 6.6 लाख करोड़ रुपये होने की आसार है. एक्सपर्ट्स का बोलना है कि “यह संभव है कि यह राष्ट्र के रक्षा बलों को मजबूत करने के महत्व को देखते हुए और भी अधिक हो सकता है जो कई सालों से कुछ हथियार प्रणालियों के आगमन और पड़ोस में नित उत्पन्न खतरों से निपटने में सेना को औऱ सक्षम बना सके. वायु सेना को पूंजीगत उपकरणों के लिए उच्चतम आवंटन की जरूरत होगी, उसके बाद नौसेना और उसके बाद सेना होगी जो नवीनतम हथियार प्रणालियों के साथ पर्याप्त रूप से सशस्त्र होने में पिछड़ गई है. रक्षा उत्पादों के लिए गवर्नमेंट के मेक इन इण्डिया के कारण रक्षा क्षेत्र सुर्खियों में रहा है. इसने भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं जिन्हें हिंदुस्तान गवर्नमेंट और विदेशी कंपनियों से ऑर्डर मिल रहे हैं.