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बीते 1 साल में 20% बढ़े सीमेंट के दाम: सीमेंट कंपनियां ने कच्चे माल के बहाने बढ़ाईं कीमतें

सीमेंट कंपनियों ने कच्चे माल की बढ़ी हुई कीमतों का हवाला देकर एक महीने में ही मूल्य 13% तक बढ़ा दिए हैं नतीजतन उत्तर-पूर्व समेत राष्ट्र के कई हिस्सों में सीमेंट की 50 किलो की बोरी 400 रु में मिलने लगी है हालांकि, कई हिस्सों में मूल्य अभी 382 रु तक चल रहे हैं

गौर करने वाली बात यह है कि सीमेंट कंपनियों ने जिस आयातित कोल और पेटकोक के मूल्य बढ़ने का हवाला देकर सीमेंट महंगा किया है, वह सस्ता हुआ है और तो और पिछले एक वर्ष में कच्चे माल के मूल्य 50% तक घट चुके हैं जबकि, सीमेंट एक वर्ष में 65 रुपए प्रति बोरी, यानी 20% महंगा हो चुका है इससे कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत हुई है इसके बावजूद सीमेंट कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता का 65% ही इस्तेमाल कर रही हैं

2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में घोषित परिणामों के अनुसार, कंपनियों का मार्जिन 18% तक बढ़ा है मार्जिन का निर्धारण लागत और उत्पादन की क्षमता के अंतर से होता है दूसरी ओर, आम लोगों के लिए घर बनाना महंगा हुआ है

सीमेंट कंपनियों का फायदा बढ़ रहा
मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक वर्ष में सीमेंट कंपनियों की कमाई 808 रुपए से बढ़कर 905 रुपए प्रति टन हो गई है पेटकोक की मूल्य पिछले वर्ष 61 हजार रुपए प्रति टन थी, जो इस वर्ष 24% तक नीचे आई दूसरी ओर, आयातित कोल के मूल्य अब 135-140 डॉलर/टन हैं, जो अक्टूबर 2022 में 270 डॉलर/टन थे यानी, यह भी काफी सस्ता हो चुका है

देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक की बिक्री 16% बढ़ी है सीमेंट कंपनियों का फायदा दूसरी तिमाही में 50% बढ़ा है वजह यह है कि बिजली और ईंधन की लागत घटने से मार्जिन बेहतर हुआ है एसीसी और अंबुजा जैसी कंपनियों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है

देश में 2022 में सीमेंट की खपत 27.76 करोड़ मीट्रिक टन रही रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, 2023 में ही सीमेंट का उत्पादन 38.9 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है क्योंकि, हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर, दोनों क्षेत्रों में डिमांड लगातार बढ़ी हुई है

सीमेंट कॉरपोरेशन के एजीएम बोले- घर महंगे होने की वजह केवल सीमेंट नहीं
सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया के एजीएम आलोक शुक्ला कहते हैं कि उत्पादन लागत बढ़ी है सीमेंट को स्टोर करना कठिन है, इसलिए उत्पादन घटता है घर महंगा होने के लिए सीमेंट अकेला उत्तरदायी नहीं है कुल मूल्य में 12% हिस्सा ही सीमेंट का है

कोरोनाकाल के बाद उद्योगों में उत्पादन की क्षमता का इस्तेमाल 16% बढ़ा, सीमेंट कंपनियों का केवल 5%
रियल एस्टेट डेवलपर की संस्था क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष सतीश मगर कहते हैं कि सीमेंट कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता लाने की मांग लंबे समय से हो रही है आखिर यह कैसे संभव है कि जब मांग बढ़ रही है तो कंपनियां उत्पादन न बढ़ाएं RBI के अनुसार, राष्ट्र के उद्योगों में 76% तक क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है सीमेंट इंडस्ट्रीज में यह 65% है कोविड के बाद जैसे-जैसे मांग बढ़ी, उद्योगों में उत्पादन भी बढ़ा लेकिन, सीमेंट कंपनियों ने क्षमता का इस्तेमाल केवल 5% बढ़ाया

रियल एस्टेट कंस्लटेंसी फर्म एनरॉक का बोलना है कि प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को सीमेंट कंपनियों के कार्टल बनाकर काम करने की सबसे अधिक शिकायतें मिलती हैं 2016 में सीसीआई ने 20 सीमेंट कंपनियों के विरुद्ध इल्जाम ठीक पाते हुए 6,300 करोड़ रु का भी जुर्माना लगाया था ऐसी ही शिकायतों के बाद 2022 में सीसीआई ने कई कंपनियों पर छापामारी की थी

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