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दलाई लामा दिल्ली में वैश्विक बौद्ध धर्म शिखर सम्मेलन में पहुंचे हिस्सा लेने

नई दिल्ली में जी20 का शिखर सम्मेलन प्रारम्भ होने से पहले पूरी दुनिया में एक ही प्रश्न था कि क्या हिंदुस्तान कोई साझा घोषणापत्र जारी करवा पाएगा. संभावना ये ही थी कि अमेरिका और यूरोप के राष्ट्र रूस-यूक्रेन युद्ध कि आलोचना करवाने पर पर अड़ सकते हैं. वहीं रूस और चीन इसके विरोध में खड़े हो जाएंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. घोषणापत्र में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने वही बोला जो वो रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सामने बोल चुके थे कि ये युद्ध का दौर नहीं है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से अपनी बात रखना और उसे मनवा लेने की शक्ति हिंदुस्तान को कैसे मिली और उस शक्ति का इस्तेमाल पीएम मोदी ने कैसे किया?

21 जनवरी 2023, नयी दिल्ली

बौद्ध धर्म की जड़ें हिंदुस्तान में हैं लेकिन शाखाएं पूरी दुनिया में है. धरती पर उपस्थित हर 16वां आदमी बौद्ध धर्म में विश्वास रखता है. उसी बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धर्म गुरु 14वें दलाई लामा दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध धर्म शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे. दलाई लामा ने हिंदुस्तान के जिस विचारधारा की बात कि उससे दुनिया का पहला परिचय स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो में करवाया था. हिंदुस्तान को फिर से विश्व गुरु मनाने की आरंभ वहीं से हुई. पूरी दुनिया में हिंदुस्तान को विश्व गुरु बताने का जो दौर अब चल रहा है उसकी आरंभ भी विवेकानंद की जन्म और कर्मभूमि से हुई.

ग्लोबल साउथ का लीडर  

जी20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदुस्तान की पहले केवल चिंताएं ही सुनी जाती थी. लेकिन अब हिंदुस्तान दूसरे राष्ट्रों के लिए संकट मोचक बन गया है. आपको याद होगा कि इसी वर्ष अप्रैल में यूक्रेन की उप विदेश मंत्री हिंदुस्तान आई थी और उन्होंने हिंदुस्तान को विश्व गुरु बोला था. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी प्रशांत महासागर में आबाद राष्ट्रों के शिखर सम्मेलन में गए थे तो उन्हें ग्लोबल साउथ का लीडर बोला गया. किसी राष्ट्र पर ऐसा भरोसा और इतनी इज्जत ऐसे ही नहीं मिल जाती है.

जी20 से हिंदुस्तान को क्या हुआ हासिल

नई दिल्ली घोषणापत्र: क्रिप्टो करंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाने की दिशा में वार्ता की जाएगी. ऋण पर बेहतर प्रबंध के लिए हिंदुस्तान ने कॉमन फ्रेमवर्क बनाने की बात कही. विकासशील शहरों को फंड दुनिया में तेजी से विकास करने वाले शहरों को फंड दिया जाएगा. ग्रीन और लो-कार्बन एनर्जी टेक्नॉलजी पर काम होगा. ग्लोबल साउथ पर बल ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर बल रहेगा. बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) मल्टीलैटरल डिवेलपमेंट बैंक को मजबूती दी जाएगी. उन्हें बेहतर, बड़ा और अधिक कारगर बनाया जाएगा. धार्मिक प्रतीकों, पवित्र ग्रंथों और लोगों के विरुद्ध धार्मिक घृणा के मामलों की आलोचना और इसे खत्म करने की बात कही गई. क्लाइमेट चेंज से निपटने में तेजी लिंग समानता को मूल में रखते हुए जलवायु संकट से निपटने के कदमों में तेजी लाएंगे. जलवायु बदलाव पर रोक में स्त्रियों की भागीदारी और उनकी अगुआई को प्रोत्साहन, दुनिया के लाभ के लिए AI का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय लाभ के लिए मशीनी समझ पर आधारित AI तकनीक के इस्तेमाल पर सहमति बनी है. डिजिटल विस्तार और दुनिया के आर्थिक विकास के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की बात कही गई.

भारत ने चीन की उड़ाई नींद: जी20 सम्मेलन में एक मेगा प्लान का घोषणा किया गया. घोषणा ऐसा जिससे दुनिया को हिंदुस्तान की ताकत का अंदाजा भी लग गया. एक निर्णय हिंदुस्तान के कई दुश्मनों को बर्बाद करने की ताकत रखता है. खासकर चीन और पाक पर इसका खासा असर होगा. अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर डील की घोषणा कर दी. जी20 समित के पहले दिन इण्डिया मीडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च हुआ. इससे सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि इन्फ्रा डील से शिपिंग समय और लागत कम होगी. जिससे व्यापार सस्ता और तेज होगा. इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है.

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च: भारत ने ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ की घोषणा की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल में इथेनॉल के सम्मिश्रण को बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने की अपील के साथ जी20 राष्ट्रों से इस पहल में शामिल होने का आग्रह किया. इस गठबंधन की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर की. इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी सहित कई अंतरराष्ट्रीय नेता उपस्थित थे. पीएम मोदी ने बोला कि जलवायु बदलाव की चुनौती को देखते हुए ऊर्जा पारगमन 21वीं सदी की दुनिया की एक जरूरी जरूरत है. उन्होंने बोला कि समावेशी ऊर्जा पारगमन के लिए खरबों $ की जरूरत है और विकसित राष्ट्र इसमें बहुत जरूरी किरदार निभा सकते हैं.

जी20 शामिल हुआ अफ्रीकन यूनियन: अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाने संबंधी पीएम नरेन्द्र मोदी का प्रस्ताव इस प्रभावशाली समूह के सभी सदस्य राष्ट्रों ने शनिवार को स्वीकार कर लिया. इसी के साथ ग्लोबल साउथ का यह प्रमुख समूह दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया. मोदी ने विश्व नेताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, आप सभी के समर्थन से, मैं अफ़्रीकी संघ को जी20 में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं. इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष अजाली असौमानी को जी20 मंच की मेज पर उनकी सीट तक ले गए.

6जी टेक्नोलॉजी पर सहमति: भारत और अमेरिका के बीच 6जी टेक्नोलॉजी को डेवलप करने पर सहमति बनी है. इसके लिए जो अलायंस और एमओयू तैयार हुआ है. वो केवल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करने पर ही नहीं, बल्कि उसकी सप्लाई चेन विकसित करने पर भी केंद्रित है. ये चीन के कनेक्टिविटी डिवाइस सेक्टर में बाहुबल को कम करेगा. अभी 5जी के मुद्दे में चीन का दुनिया के बाजार पर दबदबा है.

भारत के लिए क्यों जरूरी है ये सहमति

यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हिंदुस्तान इतने तनाव और ध्रुवीकरण के बाद भी सबको साथ ला पाया. सहमति पत्र के जरिये हिंदुस्तान ने ऐसे कई कदमों की घोषणा की है, जो हिंदुस्तान ही नहीं, दुनिया के भलाई से जुड़ी हैं निश्चित तौर पर इस सहमति के पीछे भारतीय नेतृत्व, पीएम मोदी का करिश्माई चरित्र और अन्य विश्व नेताओं के साथ उनका जुड़ाव रहा है. हमारे शेरपा, मंत्रियों और सीनियर अफसरों की कूटनीतिक कुशलता के कारण सहमति के साथ यह घोषणा- पत्र जारी हो सका. इस सहमति में जलवायु परिवर्तन, हरित विकास और क्लाइमेट फंड, टिकाऊ विकास के लक्ष्य में तेजी, ग्लोबल साउथ को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी विशेष ध्यान दिया गया. अफ्रीकी यूनियन का G20 में शामिल होना भी बड़ी कामयाबी बनी. इस समिट से बहुत कुछ हासिल हुआ, जिसका असर आने वाले समय में हिंदुस्तान के बढ़ते दमखम के रूप में दिखेगा.

दुनिया में मजबूत होगा हिंदुस्तान का कद

जी20 में हिंदुस्तान की इस सफलता के बाद उनका कद और बड़ा होगा. पीएम मोदी के लिए यह बात कितनी अहम रखती है, उसका संकेत दूसरे सत्र के समय तब दिखा, जब मोदी ने बहुत खुशी और संतोष की मुद्रा में सहमति बनने का घोषणा किया. दरअसल हिंदुस्तान पर दोनों ओर से बहुत दबाव था. लेकिन मोदी ने इस दबाव के सामने झुकने से इनकार कर दिया. अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र बार-बार यूक्रेन को भी सम्मेलन में बुलाने का दबाव बना रहे थे. लेकिन मोदी ने इसे मानने से इनकार किया और उनका यही कदम रूस और चीन को मनाने में काम आया.

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