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ईडी ने 102.4 करोड़ रुपये के एनएचएआई फंड गबन मामले में इन चार कंपनियों के…

नई दिल्ली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 102.4 करोड़ रुपये के एनएचएआई फंड के गबन के मुद्दे में चार कंपनियों के कार्यालय परिसरों की तलाशी ली

वित्तीय जांच एजेंसी ने बयान में कहा, ”एजेंसी ने एनएचएआई फंड के गबन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में कोलकाता में हिंदुस्तान रोड नेटवर्क लिमिटेड (बीआरएनएल) और गुरुवयूर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (जीआईपीएल) के कार्यालयों और हैदराबाद में केएमसी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड और त्रिशूर में जीआईपीएल कार्यालयों में तलाशी ली

एजेंसी ने कहा, “तलाशी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि टोल कलेक्शन को जीआईपीएल द्वारा एनएचएआई को नहीं किए गए काम की लागत का भुगतान किए बिना म्यूचुअल फंड में निवेश किया गया था

ईडी ने बोला कि इसलिए कोलकाता में गुरुवयूर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बैंक बैलेंस और फिक्स्ड डिपॉजिट के विरुद्ध 125.21 करोड़ रुपये की जब्ती का आदेश जारी किया गया था

ईडी ने बोला कि तलाशी में केएमसी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के कार्यालय परिसर से आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट्स बरामद किए गए हैं, जिससे पता चला कि कंपनी ने जीआईपीएल में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बिना किसी मुनासिब मूल्यांकन के और अनुबंध शर्तों के मुताबिक एनएचएआई से जरूरी स्वीकृति लिए बिना बीआरएनएल को बेच दी है

इसलिए केएमसी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के 1.37 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया था

उन्होंने जीआईपीएल और अन्य के विरुद्ध CBI द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मुद्दा दर्ज किया, जिसमें इल्जाम लगाया गया कि कंपनी और उसके तत्कालीन निदेशक विक्रम रेड्डी ने संबंधित कार्य के निष्पादन के संबंध में एनएचएआई (पलक्कड़) के अज्ञात ऑफिसरों के साथ आपराधिक षड्यंत्र रची

इन्होंने 2006 से 2016 की अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग-47 के दो खंडों का काम करने के लिए एनएचएआई को लगभग 102.44 करोड़ रुपये का चूना लगाया

ईडी की जांच में पाया गया कि जीआईपीएल और सब-कांट्रेक्टर केएमसी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड ने एनएचएआई के ऑफिसरों और प्रोजेक्ट इंडिपेंडेंट इंजीनियर के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा से सड़क परियोजना का पूरा होने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया और जनता से टोल वसूलना प्रारम्भ कर दिया

जांच से यह भी पता चला कि बस अड्डों का निर्माण पूरा किए बिना, आरोपी कंपनी ने विज्ञापन जगह को किराए पर देकर गैरकानूनी रूप से राजस्व अर्जित किया इस प्रकार आरोपी ने 125.21 करोड़ रुपये का अनुचित फायदा प्राप्त किया, जो पीएमएलए, 2002 के अनुसार निष्पादित नहीं किए गए कार्य और क्राइम की आय का मूल्य है

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