ISRO चीफ सोमनाथ का बड़ा खुलासा- चंद्रयान-2 मिशन के विफल होने के पीछे थी यह वजह
Chandrayaan 2: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चीफ एस सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ (द लायंस दैट ड्रंक द मून) में पूर्व प्रमुख के सिवन पर सनसनीखेज इल्जाम लगाकर हड़कंप मचा दिया। उन्होंने सिवन पर जहां उन्हें इसरो चीफ बनने से रोकने की प्रयास करने का इल्जाम लगाया तो साथ ही यह भी दावा किया कि चंद्रयान-2 मिशन के विफल होने के पीछे एक नहीं, बल्कि पांच वजहें थीं। उसे जल्दबाजी में लॉन्च किया गया था, इसलिए मिशन फेल हो गया था। दक्षिण हिंदुस्तान के मीडिया समूह मनोरमा ने पुस्तक के हवाले से एक आर्टिकल प्रकाशित किया है, जिसमें ये सभी दावे किए गए हैं। हालांकि, हंगामा अधिक बढ़ने के बाद इसरो चीफ सोमनाथ ने आत्मकथा को प्रकाशित नहीं करने का निर्णय कर लिया है।
चंद्रयान-2 पर क्या-क्या पुस्तक में बोला था?
अपनी पुस्तक में इसरो चीफ सोमनाथ ने दावा किया था कि चंद्रयान 2 मिशन विफल रहा क्योंकि इसे जरूरी परीक्षण किए बिना जल्दबाजी में लॉन्च किया गया था। सोमनाथ का बोलना है कि जांच कमेटी को चंद्रयान-2 मिशन की विफलता के पांच मुख्य कारण मिले थे। सॉफ्टवेयर में गलतियां और इंजन की इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली में खराबी की वजह से समस्याएं पैदा हुई थीं। इसके अलावा, गलत एल्गोरिथम के कारण इंजन का बल अपेक्षा से अधिक था। उपग्रह की यॉविंग गति को कम करना और एक विशेष जगह पर उतरने का आदेश देना विध्वंसक साबित हुआ। इसके अलावा, सोमनाथ ने यह भी दावा किया कि कई महत्वपूर्ण जांचें भी नहीं हुई थीं। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि विफल रहने के निष्कर्षों ने चंद्रयान 3 मिशन की कामयाबी में सहयोग दिया।
देश का दूसरा मून मिशन था चंद्रयान-2
बता दें कि चंद्रयान-2 हिंदुस्तान का दूसरा मून मिशन था, जिसे चार वर्ष पहले 22 जुलाई, 2019 को LVM3-M1 रॉकेट द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया था। पृथ्वी और चंद्रमा के चक्कर लगाते हुए यह मिशन सितंबर में चांद की सतह पर उतरने वाला था। 6 सितंबर 2019 को उतरने का कोशिश करते समय लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। देर रात हो रही इस लैंडिंग को तब करोड़ों लोगों ने लाइव देखा था। स्वयं पीएम मोदी भी इसरो कमांड सेंटर पहुंचे थे। बाद में अंतिम समय पर लैंडिंग सफल नहीं हो सकी थी। इसके बाद इस वर्ष फिर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया और 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करवाकर इतिहास रच दिया गया।