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इसरो ने अभियानों के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को दी प्राथमिकता

  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बोला कि विज्ञान और विश्वास दो भिन्न-भिन्न चीजें हैं और दोनों को मिलाने की कोई आवश्यकता नहीं है

वह रविवार को श्री पौर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो प्रमुख तिरुवनंतपुरम पहुंचे

एससोमनाथ ने बोला कि चंद्रमा पर उतरने वाले जगह का नाम ‘शिवशक्ति’ रखने को लेकर कोई टकराव नहीं है और बोला कि राष्ट्र को उस जगह का नाम रखने का अधिकार है प्रतिष्ठित वैज्ञानिक ने बोला कि कई अन्य राष्ट्रों ने चंद्रमा पर अपना नाम रखा है और यह हमेशा संबंधित देश का विशेषाधिकार रहा है

इसरो अध्यक्ष ने बोला कि हिंदुस्तान पहला राष्ट्र है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है और बोला कि दक्षिणी ध्रुव में चंद्रमा की सतह पर्वतों और घाटियों के कारण बहुत पेचीदा है और यहां तक कि थोड़ी सी गणना त्रुटि के कारण भी लैंडर मिशन में विफल हो सकता है

उन्होंने बोला कि इसरो ने अभियानों के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को अहमियत दी है, क्योंकि यहां की सतह खनिजों से समृद्ध है, जिसे रोवर द्वारा चंद्रमा की सतह से मुनासिब प्रतिक्रिया मिलने के बाद वैज्ञानिकों द्वारा तेज किया जाएगा

उन्होंने बोला कि रूसी मिशन को 2021 में पूरा होना था और उस राष्ट्र में युद्ध के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था

उन्होंने यह भी बोला कि सूर्य अभियान पहले से ही तैयार है और लॉन्च की तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बोला कि मिशन पर कई परीक्षण किए जा रहे हैं और यदि सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही तारीख की घोषणा की जाएगी वरना इसे स्थगित कर दिया जाएगा

एक प्रश्न के उत्तर में सोमनाथ ने बोला कि रोवर चंद्रमा की सतह से जो फोटोज़ ले रहा था, उन्हें इसरो स्टेशनों तक पहुंचने में समय लगेगा उन्होंने बोला कि इसरो द्वारा इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य राष्ट्रों के ग्राउंड स्टेशनों का समर्थन मांगा जा रहा है

उन्होंने यह भी बोला कि वैसे चंद्रमा की सतह पर वायुमंडल नहीं है, इसलिए सभी छायाएं अंधेरी हैं और इससे साफ फोटोज़ प्राप्त करना कठिन हो रहा है

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