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MP Election 2023: मध्यप्रदेश के इस गाँव के लोगों ने कभी नहीं देखा सांसद औऱ विधायक का चेहरा

Madhya pradesh Election 2023 reality of some village: राष्ट्र के 5 चुनावी राज्यों में से एक मध्यप्रदेश का भी नाम है मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले सभी सियासी दल जनता को लुभाने के लिए अपने विकास कार्यों को गिनाने में लगे हुए हैं, जिसके लिए पार्टियों के सांसद और विधायक अपने अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं इसी बीच मध्यप्रदेश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में कई गांव ऐसे हैं, जहां विद्यालय और हॉस्पिटल तो छोड़िए बल्कि लोगों के पीने के लिए पानी की प्रबंध और सड़क भी नहीं है इन गांवों में एक गांव ऐसा भी है, जहां के लोगों ने कभी सांसद औऱ विधायक का चेहरा तक नहीं देखा है कहा जाता है कि यहां के लोग अपने क्षेत्रीय प्रतिनिधि से अंजान हैं ऐसे में सियासी पार्टियों और मौजूदा गवर्नमेंट के विकास वाले दावों पर एक बड़ा प्रश्न खड़ा होता है

विकास की मुख्यधारा से कटे इस गांव में है 10 घर और 40 वोट

दैनिक मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के बैतूल और नर्मदापुरम जिले की सीमा पर एक छोटा सा पोला पत्थर नाम का गांव बसा है इस गांव का विधानसभा क्षेत्र सिवनी मालवा और संसदीय क्षेत्र नर्मदापुरम है मिली जानकारी के अनुसार, इस गांव में 10 घर हैं, जिसमें लगभग 40 वोट हैं जल्द ही मध्यप्रदेश में मतदान होना है, उससे पहले जब यहां के लोगों से बात की गई तो पता चला कि यहां के लोगों को ये भी नहीं पता कि इस बार उनकी विधानसभा से उम्मीदवार कौन हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये गांव नर्मदापुरम जिले के केसला ब्लॉक स्थित ग्राम पंचायत दांडीवाड़ा में है इस गांव में और जानकारी की गई तो पता चला कि यहां पीने के पानी के लिए भी महज दो हैंडपंप लगे हुए हैं, जिनमें से एक पूरी तरह खराब हो चुका है इस गांव के पंच मंगलसिंह इवने बताते हैं कि यहां के लोगों ने बीते इतने वर्षों में कभी अपना विधायक या सांसद नहीं देखा

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राशन के लिए 3 किलोमीटर तो उपचार के लिए दूसरे जिले जाते हैं ग्रामीण

भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, गांव के बिगड़े हालातों से जुड़ी हुई औऱ जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि इस गांव में बच्चों के पढ़ने के लिए न तो आंगनबाड़ी है और न हीं विद्यालय की सुविधा है राशन के लिए भी ग्रामीणों को तीन किमी दूर दांडीवाड़ा तो वहीं उपचार के लिए बैतूल के भौरा जाना पड़ता है केसला जिला अध्यक्ष गंगाराम कलमे से जब इसे लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं एक बार गांव गया था, वहां के बिगड़े हालातों को लेकर चुनाव के बाद बैठक की जाएगी और उसके सहारे इन समस्याओं को हल किया जाएगा इधर, गांव मजदूरी करने वाले 28 वर्षीय विक्रम ने कहा कि हम लोग चुनाव में वोट डालना चाहते हैं, लेकिन जब तक कार्यकर्ता प्रचार करने के लिए आएंगे नहीं तब तक पता कैसे चलेगा कि चुनाव का मामला क्या है और यहां से उम्मीदवार कौन है

गांव में सड़क नहीं… इस लिए वोट मांगने नहीं आते प्रत्याशी

इस गांव के अतिरिक्त सागर जिले के देवरी नेडिया टोला गांव में भी यही हाल है इस गांव में करीब 50 परिवार रहते हैं, जिनमें केवट समाज के लोग अधिक संख्या में हैं कहा जाता है कि देवरी ब्लॉक के इस गांव में किसी भी दल के लोग वोट मांगने नहीं आते हैं, क्योंकि इस गांव तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है जानकारी के अनुसार, गांव में जाते समय बीच में नारना है, जहां पानी भरा रहता है गांव के रहने वाले संजय राजपूत, गोविंद सिंह नोरिया आदि लोगों ने कहा कि पंचायत से लेकर सांसद तक सड़क और नाला निर्माण को लेकर मांग की गई है लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जिला पंचायत सदस्य जनकरानी गीड़ ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि ऑफिसरों की ओर से चुनाव के बाद सभी विकास कार्यों का पूरा कराने का आश्वासन दिया गया है

इस गांव में मुसीबत के समय नहीं पहुंच पाती पुलिस

रिपोर्ट के जरिए मिली जानकारी के अनुसार, बीना ब्लॉक में रेता और मुहासा नाम के दो गांव हैं जानकारी की गई तो पता चला कि मुहासा तक जाने के लिए सड़क है, लेकिन रेता तक जाने के लिए कोई व्यवस्थित रास्ता नहीं है, जिस वजह से रेता में मुसीबत के समय डायल 100 या 108 की सेवा तो दूर की बात है, प्रचार गाड़ी भी नहीं पहुंच पाते गांव की मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते यहां के ग्रामीण खासे नाराज है आपको बता दें कि यहां 60 से 70 वोटर हैं वहीं, इस गांव में ज्यादातर लोग कुर्मी समाज के हैं हालांकि, बीना के एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह का इसे लेकर बोलना है कि गांव में रास्ता बनाने की रूपरेखा तैयार की जा रही है यही स्थिति दमोह हटा विधानसभा क्षेत्र में पटेरा ब्लॉक भीतर आने वाले सांगा टपरिया गांव का भी है, जहां गांव तक जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं है, साथ ही इस गांव में 70 से 80 वोटर है

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