Pitru Paksha: किस तिथि को आपके पितर होंगे खुश…
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 30 सितंबर से पितरों को तिल, जौ से तर्पण किया जायेगा। कुंडली से पितृ गुनाह की शांति, पुरखों के आशीर्वाद, पितरों को तृप्ति के लिए पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान कर ब्राह्मण भोजन कराया जायेगा। इस बार पितृपक्ष में सभी तिथियां पूर्ण होने से पितरों की कृपा पाने के लिए पूरे 15 दिन मिलेंगे। मान्यता है कि पितरों को जब जल और तिल से पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है, तब उनकी आत्मा तृप्त होती है।
तीन पुरखों का होगा तर्पण
कर्मकांड मर्मज्ञ आचार्य राकेश झा ने वैदिक कर्मकांड पद्धति के हवाले से कहा कि पितृपक्ष में पिता, पितामह, प्रपितामह और मातृ पक्ष में माता, पितामही, प्रपितामही इसके अतिरिक्त नाना पक्ष में मातामह, प्रमातामह, वृद्धप्रमातामह वहीं नानी पक्ष में मातामही प्रमातामही, वृद्ध प्रमातामही के साथ-साथ अन्य सभी स्वर्गवासी सगे-संबंधियों का गोत्र एवं नाम लेकर तर्पण किया जायेगा।
समर्पण से तर्पण दिलायेगी पितृ कर्ज से मुक्ति
पंडित झा के मुताबिक श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते हैं। शास्त्रों में तीन कर्ज बताये गये हैं- पितृ ऋण, देव कर्ज और गुरु ऋण। ये तीनों कर्ज बहुत महत्व रखते हैं। मनुष्य लोक में पिता मौत समय अपना सबकुछ पुत्र या पुत्री को सौंप देते हैं। इसलिए संतान पर पितृ कर्ज होता है। पितृपक्ष में अपने पितरों को श्रद्धासुमन अर्पित करना चाहिए। पितृपक्ष में जल और तिल से तर्पण करना चाहिए। इस दौरान किये गये श्राद्धकर्म और दान-तर्पण से पितरों को तृप्ति मिलती है।
पितृपक्ष एक नजर में
पितृपक्ष शुरुआत (प्रतिपदा)- 30 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 03 अक्तूबर
मातृ नवमी – 08 अक्तूबर
इंदिरा एकादशी- 10 अक्तूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्तूबर
अमावस्या, महालया और सर्वपितृ विसर्जन – 14 अक्तूबर
किस तिथि को आपके पितर होंगे खुश?
अगर आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं तो उनकी मौत की तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष में या किसी भी अमावस्या तिथि के दिन पिंडदान और तर्पण करने पर पितर जल्द प्रसन्न होते है। अब आप सोच रहे होंगे कि आपके पितर तिथि विशेष को ही क्यों खुश होंगे। तो बता दें कि जब आदमी की मौत होती है तो उस दिन की तिथि जरूरी हो जाती है। क्योंकि पितृपक्ष में उस तिथि पर ही उस पितर के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है। पितृपक्ष की निश्चित तिथि पर अपने पितरों के लिए भोजन, दान, पंचबलि कर्म, तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं।
पितृपक्ष में कैसे करें श्राद्ध?
पितर की तिथि की जानकारी न हो तो आप पितृ पक्ष की अमावस्या यानि आश्विन अमावस्या को अपने पितर के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं। इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का पिंडदान करने का विधान है।
पितृ गुनाह निवारण मंत्र
पितृ गुनाह निवारण मंत्र ‘ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः’, ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ये सभी मंत्र आपको पितृ गुनाह से मुक्ति दिलाने में सहायता करते हैं और यदि आप इन मंत्रों का जाप विधि-विधान से करते हैं तो पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है।