लेटैस्ट न्यूज़

राजस्थान 13 कार्यालयों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक पर बनाए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस

Rajasthan Transport Department : राजस्थान में परिवहन विभाग में निजीकरण बढ़ता जा रहा है बात चाहे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की हो या गाड़ी पंजीयन की, हर कार्य निजी सेवा प्रदाताओं के माध्यम से हो रहा है गाड़ी फिटनेस को लेकर निजी फिटनेस सेंटर्स की मनमानी तो चरम पर है प्रदेश में अब नयी गवर्नमेंट ने कामकाज संभाल लिया है, ऐसे में क्या हैं परिवर्तन के आसार, क्या आम जनता को मिल सकेगी निजीकरण की इन परेशानियों से निजात, जानें

परिवहन विभाग में पारदर्शिता के नाम पर निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि निजीकरण होने के बाद परिवहन विभाग से जुड़े कार्यों में करप्शन और शिकायतें अधिक बढ़ी हैं ड्राइविंग लाइसेंस के ऑटोमेशन को लेकर प्रदेशभर में आरटीओ और डीटीओ कार्यालयाें में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनाए जा रहे हैं

अब तक प्रदेश के 13 कार्यालयों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, लेकिन निजी कंपनी के हावी होने और सॉफ्टवेयर का हैंडओवर नहीं करने के चलते परिवहन विभाग के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं सबसे पहले ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक की आरंभ जयपुर के जगतपुरा एआरटीओ कार्यालय में हुई थी

यहां निजी कंपनी को 2 वर्ष के लिए ट्रैक हैंडओवर किया गया था 2 वर्ष की अवधि पूरा होने के बाद निजी कंपनी को वापस इसका पॉजेशन परिवहन विभाग को सौंपना था करीबब 6 माह पूर्व निजी कंपनी ने पजेशन तो परिवहन विभाग को सौंप दिया है, लेकिन सॉफ्टवेयर अभी भी निजी कंपनी के पास है ऐसे में परिवहन विभाग पूरी तरह से ऑटोमेटेड ट्रैक का संचालन नहीं कर पा रहा है यहां तक कि प्रदेश के 12 अन्य कार्यालयों में भी ट्रैक की अवधि अगस्त माह तक पूरी हो चुकी है, लेकिन सॉफ्टवेयर का हैंडओवर नहीं हो सका है

क्या ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक में हावी रहेगा निजीकरण !

– पहले फेज में 11 RTO और 2 DTO कार्यालयों में बने ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक
– इन कार्यालयों में सॉफ्टवेयर अभी भी निजी कंपनी का चल रहा
– दूसरे चरण में 17 DTO ऑफिसेज में ऑटोमेटेड ट्रैक बनाना तय हुआ
– इनमें से 16 कार्यालयों में ट्रैक बनकर तैयार हुए, 1 में निर्माणाधीन
– करौली, नागौर, सुजानगढ़, ब्यावर, चूरू, धौलपुर, किशनगढ़
– रामगंजमंडी, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़, राजसमंद, शाहपुरा (भीलवाड़ा)
– बाड़मेर, जैसलमेर, सवाईमाधोपुर और चौमूं में ट्रैक बनकर हुए तैयार
सिर्फ़ बारां जिला परिवहन कार्यालय में निर्माण पूरा होना बाकी
– तीसरे फेज में 7 जिला परिवहन कार्यालयों में ट्रैक बनाने की योजना
– इनमें से 3 फलौदी, डूंगरपुर, जालौर में ट्रैक बनकर हुए तैयार
– 4 कार्यालय बांसवाड़ा, दूदू, नोहर और आबूरोड में ट्रैक निर्माणाधीन
– इस तरह तीन फेज में प्रदेश के 37 परिवहन कार्यालयों में ट्रैक बन रहे
– परिवहन विभाग निजी कंपनी की मनमानी से हुआ परेशान
– अब विभाग DOIT के स्तर पर सॉफ्टवेयर बनाने के लिए प्रयासरत

ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक के अतिरिक्त फिटनेस सेंटर्स के निजीकरण से भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है परिवहन विभाग ने साल 2018 में निजी फिटनेस सेंटर्स खोलने के लिए पॉलिसी फिजा-2018 लागू की थी इसके अनुसार भारी वाहनों और यात्री वाहनों की फिटनेस निजी फिटनेस सेंटर्स से प्रमाणित करवाना महत्वपूर्ण है निजी फिटनेस केन्द्रों पर जमकर गड़बड़ियों की शिकायतें आ रही हैं एक तरफ जहां निजी फिटनेस सेंटर बगैर गाड़ी लाए ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं दूसरी तरफ वाहनों की फिटनेस के लिए निर्धारित फीस से अधिक पैसे वसूलने की भी शिकायतें रहती हैं

फिटनेस केन्द्र बने नासूर !

– निजी फिटनेस केन्द्रों की मनमर्जी से गाड़ी मालिक परेशान
– प्रदेश में 82 फिटनेस केन्द्रों को दी हुई है अनुमति

– सभी फिटनेस केन्द्र अक्टूबर 2024 तक ऑटोमेटिक में कन्वर्ट होंगे
– हल्के मोटर यान में 1500 रुपए, भारी यान में 2500 रुपए अधिक ले रहे

– प्रत्येक गाड़ी से अधिक फीस वसूलने से गाड़ी मालिक रहते परेशान
– जयपुर और जोधपुर में 2 सरकारी फिटनेस केन्द्र खोलने की बजट घोषणा

– लेकिन परिवहन विभाग इस दिशा में एक कदम आगे भी नहीं बढ़ा

इसके अतिरिक्त ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी आरसी के डिजिटलाइजेशन को लेकर भी बजट घोषणा हो चुकी है, जो कि अब तक लागू नहीं हुई यदि यह घोषणा लागू हो तो स्मार्ट कार्ड पर ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी कुल मिलाकर परिवहन विभाग में चल रहे इन निजीकरण के समानांतर यदि विभाग अपने स्तर पर भी कोशिश करे तो आमजन को राहत दी जा सकती है

Related Articles

Back to top button