बिहार सिपाही भर्ती में धांधली की जांच के लिए कम पड़े अफसर, मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद शुरू होगा कार्य
बिहार में 21391 सिपाहियों की बहाली को लेकर हुई लिखित परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मुद्दे की जांच करने के लिए बिहार पुलिस की आर्थिक क्राइम इकाई (इओयू) के पास अधिकारी कम पड़ गए हैं। पेपर लीक काण्ड का जाल राज्य के 23 जिलों में फैला हुआ है। इस मुद्दे में अब तक 74 प्राथमिकी दर्ज हुई है, जिसकी जांच जल्द पूरी करने के लिए बिहार पुलिस ने अब एक नया फार्मूला तैयार किया है। इसके अनुसार जिन थानों में इस संबंध में मुकदमा दर्ज हुए हैं, उनके तेज-तर्रार पदाधिकारियों को ही अनुसंधान पूरा होने तक इओयू में आइओ (इंवेस्टिगेटिव ऑफिसर) बना कर प्रतिनियुक्त किया जायेगा।
मुख्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद प्रारम्भ होगा कार्य
जिन पदाधिकारियों को इस मुद्दे में इंवेस्टिगेटिव ऑफिसर नियुक्त किया जाएगा वो पुलिस स्टेशन में रहते हुए सिपाही भर्ती परीक्षा से जुड़े केसों की जांच करेंगे और सीधे डीआइजी मानवजीत सिंह ढिल्लो के नेतृत्व में बनी सेंट्रल एसआइटी को रिपोर्ट करेंगे। इओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने कहा कि इससे संबंधित प्रस्ताव पर पुलिस मुख्यालय की स्वीकृति मिलते ही काम प्रारम्भ हो जायेगा।
सेंट्रल एसआइटी की फाइंडिंग पर जिला पुलिस करेगी छापेमारी
एडीजी ने कहा कि सेंट्रल एसआइटी विभिन्न जिलों के थानों में दर्ज सभी केसों की समीक्षा कर रही है। इस समीक्षा के दौरान जो भी जरूरी बातें निकल कर सामने आयेगी, उसके आधार पर जिला पुलिस छापेमारी कर एसआइटी को रिपोर्ट करेगी। एडीजी के स्तर पर भी नियमित रूप से मुकदमा की समीक्षा की जायेगी। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में हिरासत में लिये गये 150 से अधिक संदिग्धों में आखिरी रूप से अरैस्ट 82 लोगों को कारावास भेजा गया है। इनके विरुद्ध परीक्षा में कदाचार का कोशिश किए जाने के पुख्ता सबूत पाये गए हैं।
बिहार पुलिस ने CSBC से मांगा एक्शन प्लान
एडीजी ने कहा कि लिखित परीक्षा को लेकर केंद्रीय चयन पर्षद सिपाही बहाली (CSBC) द्वारा तैयार किये गये प्लान ऑफ एक्शन के संबंध में भी पर्षद से जानकारी मांगी गयी है। परीक्षा लिये जाने की पूरी प्रक्रिया के संबंध में उनसे ब्योरा लिया जा रहा है। विभिन्न प्रक्रियाओं से संबंधित सीसीटीवी फुटेज की भी मांग की गयी है। वैज्ञानिक साक्ष्य इकट्ठा किये जा रहे हैं। जल्द मुकदमा में प्रगति दिखेगी। उन्होंने कहा कि अब तक सरकारी कर्मियों में पटना और नालंदा के एक-एक सहित दो सिपाहियों की पेपर लीक में किरदार मिली है। प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ सबूत मिले हैं।
पेपर लीक मुद्दे में नालंदा पुलिस के तीन और गया पुलिस का एक जवान है शामिल
सिपाही बहाली प्रश्नपत्र लीक मुद्दे में पुलिस की जांच जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं। इसमें नालंदा जिला बल का जवान आरा निवासी ओम प्रकाश, नवादा निवासी संटू कुमार और पटना निवासी नीतीश शामिल हैं, जबकि गया जिला पुलिस बल का जवान मुकेश का भी नाम सामने आया है। साथ ही गया जिले के बेला निवासी मंटू कुमार और चाकंद निवासी नवलेश भी शामिल हैं। इधर, पुलिस ने रजनीश के मोबाइल टेलीफोन में मिटाये मैसेज को भी रिकवर कर लिया है। इसमें यह बात सामने आयी है कि दरभंगा के एक अधिकारी ने उसे आंसर भेजा था, जबकि अरैस्ट अरविंद के मोबाइल पर आंसर पटना के अभिषेक और राहुल ने भेजा था। कंकड़बाग पुलिस स्टेशन की पुलिस की जांच में यह बात सामने आने के बाद जांच और तेज कर दी गयी है।
ओमप्रकाश और नवलेश ने कमलेश को भेजा था आंसर
बताया जाता है कि ओम प्रकाश और नवलेश ने ही अरैस्ट सिपाही कमलेश को आंसर भेजा था और उसने अपने बहनोई मनु उर्फ मोनू और अन्य संबंधियों को भेज दिया था। कमलेश अभी कारावास में है। आंसर भेजने के लिए 50 हजार पर बात हुई थी। कमलेश ने बहनोई मनु के अतिरिक्त गया के परैया निवासी भाभी इंदु कुमारी, नालंदा के गिरियक निवासी मौसेरे भाई रंजीत, गया निवासी दो मित्र दयानंद और अमित को आंसर भेजा था। पुलिस को कमलेश के मोबाइल से कई परीक्षार्थियों का एडमिट कार्ड भी मिला है। पुलिस ने रामकृष्ण द्वारिका महाविद्यालय से दुल्हिनबाजार निवासी विमल कुमार, सकसोहरा के रवि रंजन, बख्तियारपुर निवासी रजनीश, मनेर निवासी अरविंद, मसौढ़ी निवासी रौशन और दुल्हिनबाजार निवासी मनु को अरैस्ट किया था। मंगलवार को कंकड़बाग पुलिस स्टेशन की पुलिस अपने मुकदमा को इआयू को सौंप देगी। करीब 1000 पन्नों की पूरी फाइल कंकड़बाग पुलिस स्टेशन की पुलिस ने तैयार की है।