जानें कब बनता है लक्ष्मी नारायण योग और क्या है इसके फायदे…
लक्ष्मी नारायण योग कैसे बनता है?
- कुंडली के किसी रेट या राशि में जब बुध ग्रह और शुक्र ग्रह एक साथ विराजमान होते हैं यानी उनकी युति बनती है तब लक्ष्मी नारायण योग बनता है.
- जब इस युति पर बृहस्पति ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो इस योग में और भी प्रबलता आ जाती है और यह और भी ज्याद फलदायी हो जाता है.
- गुरु की सहायता से ऐसे आदमी को अपने ज्ञान का फायदा भी मिलता है.
यह युति कब होती है फलदायक : इस युति के बनने पर और भी कई बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. जैसे दोनों ही ग्रह या कोई एक ग्रह अस्त नहीं होना चाहिए. कोई भी ग्रह अपनी नीच हालत में नहीं होना चाहिए. यदि होगा तो नीच भंग योग बनेगा. दोनों ही ग्रहों का अंश अच्छा होना चाहिए. दोनों ही ग्रह का कुंडली में योगकारक हो. तभी यह फलदायक होता है. यदि यह युति स्वग्रही या मित्रग्रही है तो षडबल से यह योग बलशाली होता है. कुंडली के त्रिक रेट में यह राजयोग नहीं बनता है.
लक्ष्मी नारायण योग का फल :
– बुध को बुद्धि, वाणिज्य और शुक्र को अय्याशी भरा जीवन आदि का कारक माना गया है.
– जब यह योग बनता है तो जातक को अचानक से धनलाभ होता है.
– उसके जीवन में किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं होती है.
– इस योग के असर से उसकी बुद्धि और प्रतिभा बहुत ही प्रखर होती है.
– इस योग से जातक को जीवन में कोई संघर्ष नहीं करना पड़ता है.
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