लाइफ स्टाइल

ज्योतिषार्य ने बताई गोवर्धन पूजा और भैया दूज की सही डेट

 हिन्दू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में दीपावली का पर्व मनाया जाता है दीपावली पंच पर्व के रूप में मनाई जाती है धन त्रयोदशी से भैयादूज तक पर्वों को घरों में उत्साह के साथ मनाया जाता है इस बार ज्योतिषी गणना के मुताबिक गोवर्धन पूजन की तिथि दीपावली से एक दिन आगे हो पड़ रही है इसे लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है ज्योतिषचार्य विभोर इंदूसुत ने भ्रम को दूर करते हुए सभी पर्वों की तिथि और पूजन का समय साफ किया है

Diwali एक दिन रिक्त
ज्योतिषचार्य विभोर के मुताबिक पांच दिन के इस पर्व के बीच एक दिन रिक्त होगा इस बार धन त्रयोदशी से बड़ी दीपावली तक तीनों पर्व तो सीधे क्रम में हैं इसमें धनतेरस 10 नवम्बर शुक्रवार, छोटी दीपावली 11 नवंबर, बड़ी दीपावली 12 नवंबर को होगी वहीं 13 नवंबर का दिन रिक्त होगा, जिसे कार्तिक अमावस्या के स्नान दान के लिए प्रयोग किया जाएगा

14 को होगा गोवर्धन पूजन
बड़ी दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा में गोवर्धन पर्व मनाया जाता है इस बार 13 नवंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक अमावस्या तिथि ही रहेगी दोपहर 256 पर प्रतिपदा प्रारम्भ होगी और तब तक दिन का अधिकतर समय निकल चुका होगा 14 नवम्बर को प्रतिपदा तिथि सूर्योदयकाल से लेकर दोपहर 236 बजे तक रहेगी ऐसे में सुबह प्रतिपदा की उपस्थिति में मंदिरों में अन्नकूट भोग आदि पूजन किया जा सकेगा 14 नवंबर को उदय तिथि प्रतिपदा होने से संध्याकाल में भी तिथि मान्य रहेगी घरों में संध्याकाल में भी गोवर्धन पूजा कर सकेंगे इसलिए इस बार गोवर्धन पर्व 14 नवम्बर को मनाया जायेगा इसके बाद भाईदूज का पर्व 15 को मनाया जाएगा

पितरों के लिए दीपदान का समय
ज्योतिषचार्य विभोर इंदुसूत के मुताबिक अमावस्या संध्याकाल और रात्रि में 12 नवंबर को ही मौजूद रहेगी अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर दो बजकर 44 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है और 13 नवंबर को दोपहर दो बजकर 56 मिनट तक रहेगी अपने घर के देवताओं पर 12 नवंबर को ही दीपदान होगा और दो बजकर 44 मिनट से ही इसका समय प्रारम्भ होगा इसके अतिरिक्त जो लोग 12 नवंबर को दीपक नहीं जला पाए, वह 13 नवंबर को सुबह से दोपहर 2.56 बजे तक भी अमावस्या तिथि में दीपक जला सकते हैं

Diwali पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त और आसान विधि
12 नवंबर रविवार प्रात 920 से 1124 के मध्य धनु लग्न में व्यवसायिक स्थलों पर पूजन का उत्तम समय रहेगा इसके बाद दोपहर 106 बजे से 234 के मध्य स्थिर लग्न कुम्भ में भी पूजन करना उत्तम होगा प्रात 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट के बीच सर्वश्रेष्ठ और सिद्ध अभिजीत मुहूर्त मौजूद रहेगा, जो व्यवसायिक स्थलों पर पूजन के लिए श्रेष्ठ समय होगा घर में पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम को 6 बजे से 731 के बीच रहेगा

Related Articles

Back to top button