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सीजीएल मेन्स का रिजल्ट हुआ जारी,ऐसेकरें चेक

पटना उच्च न्यायालय की ओर से तृतीय स्नातक स्तरीय प्रारंभिक परीक्षा को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किए जाने के बाद बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने सीजीएल मेन्स का परिणाम जारी कर दिया. परीक्षार्थी bssc.bihar.gov.in पर जाकर अपना रिज़ल्ट देख सकते हैं. 2248 वैकेंसी के लिए मेरिट मुताबिक कोटिवार कुल 2464 अभ्यर्थी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए चयनित किए गए हैं. डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन पटना में होगा जिसका शेड्यूल जल्द ही आयोग की वेबसाइट पर जारी होगा.

इससे पहले सोमवार को पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सीजीएल प्रारंभिक परीक्षा को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. साथ ही बेवजह मुकदमा दाखिल किये जाने को लेकर न्यायालय ने याचिकाकर्ता एक स्त्री पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायालय ने जुर्माना राशि बिहार स्टेट लीगल सर्विस ऑथॉरिटी के पास जमा कराने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद मुख्य परीक्षा के रिज़ल्ट प्रकाशित करने का रास्ता साफ हो गया.

प्रिया कुमारी और अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने मंगलवार को अपना 26 पन्ने का आदेश दिया. न्यायालय ने गत दिनों सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था. बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम ने कहा कि गत साल 6 दिसम्बर को छह विभिन्न सेवाओं के लिए 2187 पद पर बहाली का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इसकी प्रारंभिक परीक्षा गत साल 23 और 24 दिसम्बर को हुई थी. जबकि मुख्य परीक्षा 23 जुलाई को ली गई थी.

प्रारंभिक परीक्षा की पहली पाली का पर्चा लीक हो गया था. उनका बोलना था कि दूसरी पाली की परीक्षा का पर्चा लीक होने की कोई सूचना नहीं मिली. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में पर्चा लीक होने की जानकारी मिलने के बाद आयोग ने इओयू में प्राथमिकी दर्ज कराई. कुछ लोगों को अरैस्ट किया गया और कुछ से पूछताछ की गई. बाद में आयोग ने 23 दिसम्बर को प्रथम पाली की परीक्षा को रद्द कर दिया.

बीएसएसी के अधिवक्ता का बोलना था कि 24 दिसम्बर को तीसरे चरण में एक विद्यार्थी ने 12 बजकर 14 मिनट पर प्रश्न पत्र को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जबकि परीक्षा 12 बजकर 15 मिनट पर खत्म हो गई. परीक्षा खत्म होने के मात्र एक मिनट पहले प्रश्न पत्र लीक हुआ. उनका बोलना था कि प्रथम चरण की परीक्षा को छोड़ बाकी परीक्षा में कोई धांधली नहीं हुई. लेकिन पूरे परीक्षा को रद्द करने के लिए मुकदमा दाखिल किया गया है. परीक्षा रद्द कर फिर से परीक्षा लेने की स्थिति में बेवजह राज्य गवर्नमेंट पर वित्तीय बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पीटी परीक्षा खत्म होने के बाद 31 दिसम्बर को एक कमेटी का गठन किया गया. लेकिन कमेटी ने इसमें कोई तथ्य नहीं पाया. उन्होंने कहा कि मुख्य परीक्षा हो गयी है, जिसका रिज़ल्ट प्रकाशित होना है.

आवेदकों की ओर से न्यायालय को कहा गया कि प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद आयोग इसे मानने को तैयार नहीं था. बाद में विद्यार्थियों के काफी हल्ला के बाद आयोग ने पहली पाली की परीक्षा को रद्द किया. न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था. न्यायालय ने बोला कि मुकदमा दाखिल करने वाली स्त्री इस परीक्षा की उम्मीदवार नहीं थी. केवल सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते मुकदमा दाखिल करना सही नहीं है. न्यायालय ने 50 हजार रुपये के जुर्माना के साथ सभी याचिका को खारिज कर दिया.

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