Child Marriage: इन राज्यों में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी -अध्ययन
नई दिल्ली, हिंदुस्तान में पांच में से एक लड़की और छह में से एक लड़का विवाहित है और हाल के सालों में बाल शादी की प्रथा को खत्म करने की दिशा में हुई प्रगति पूरी तरह से रुकी हुई है।‘द लेंसेट ग्लोबल हेल्थ’ मीडिया में प्रकाशित शोध में यह जानकारी दी गई है। अध्ययनकर्ताओं ने अपने शोध में बोला कि 2016 से 2021 के बीच, कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाल शादी की प्रथा भी आम हो गई।
कई राज्यों में बाल शादी के मामलों में बढ़ोतरी-अध्ययन
अध्ययनकर्ताओं ने 1993 से 2021 तक हिंदुस्तान के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल समेत छह राज्यों में बालिका शादी के मुद्दे बढ़े हैं जबकि छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब समेत आठ राज्यों में बाल शादी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
अध्ययन दल में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और भारत के शोधकर्ता
अध्ययन दल में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और हिंदुस्तान गवर्नमेंट से जुड़े लोग शामिल थे। उन्होंने बोला कि बाल शादी में राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट आई है।उन्होंने पाया कि बालिका शादी की व्यापकता 1993 में 49 फीसदी से घटकर 2021 में 22 फीसदी हो गई, जबकि बाल शादी की व्यापकता 2006 में 7 फीसदी से घटकर 2021 में 2 फीसदी हो गई।
2006 से 2016 के बीच बाल शादी की संख्या में सबसे अधिक कमी
अध्ययनकर्ताओं ने बोला कि फिर भी, हाल के सालों में बाल शादी की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने की दिशा में जो प्रगति हुई थी, वह 2016 स 2021 के बीच के सालों रुक गई है।इसके अतिरिक्त 2006 से 2016 के बीच बाल शादी की संख्या में सबसे अधिक कमी आई।
मानवाधिकारों का उल्लंघन
संयुक्त देश बाल कोष (यूनिसेफ) बाल शादी को “मानवाधिकारों के उल्लंघन” के रूप में देखता है, क्योंकि इससे “लड़कियों और लड़कों के विकास से समझौता होता है”।संयुक्त देश एजेंसी के अनुसार, बाल शादी का कारण अक्सर लैंगिक असमानता होती है और लड़कियां इस प्रथा से असमान रूप से प्रभावित होती हैं।