EduCare न्यूज: MP सिविल जज भर्ती पर लग सकती रोक, जाने क्या है पूरा मामला…
MP उच्च न्यायालय के सिविल न्यायधीश भर्ती को लेकर नए निर्णय के बाद भर्ती पर रोक लग सकती है। दरअसल, 17 नवंबर को MP उच्च न्यायालय की रिकमेंडेशन पर राज्य गवर्नमेंट ने सिविल न्यायधीश की भर्ती के लिए नोटीफिकेशन जारी किया था। इसमें क्वालिफिकेशन और कुछ अन्य नियमों में परिवर्तन किया गया था। जिन्हें एक पेटिशन के जरिए न्यायालय में चैलेंज किया गया। मुद्दे की पहली सुनवाई के बाद MP उच्च न्यायालय ने बुधवार को रजिस्ट्रार जनरल को पेटिशन का उत्तर 24 घंटे के अंदर देने का आदेश दिया। अब 1 दिसंबर को मुद्दे की सुनवाई की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
17 नवंबर 2023 को MP उच्च न्यायालय की रिकमेंडेशन पर MP राज्य गवर्नमेंट ने सिविल जज, जूनियर डिविजन (एंट्री लेवल) के रिक्रूटमेंट को लेकर नोटीफिकेशन जारी किया था।
इसके बाद नरसिंहपुर की एक वकील वर्षा पटेल ने न्यायालय में पेटिशन दाखिल की। इस पेटिशन में वर्षा ने सिविल न्यायधीश के रिक्रूटमेंट टेस्ट के नियमों में किए बदलावों को चैलेंज किया। उनका बोलना था कि नए नियम गैर कानूनी है।
वर्षा ने अपनी पेटिशन में इन बातों का उल्लेख किया…
- सिविल न्यायधीश के लिए वही लोग अप्लाय कर सकते हैं जिन्हें LLB या तीन वर्ष की लीगल प्रैक्टिस में मिनिमम 70% अंक मिले हों। यह गैर कानूनी है।
- कैंडिडेटस को साक्षात्कार में 50 में से 20 अंक हासिल करने ही होंगे, भले ही रिटन एग्जाम में कितने भी अंक मिले हों। यह भी गैर कानूनी है।
- साथ ही एग्जाम के पहले और दूसरे फेज में अनआरक्षित कैंडिडेट्स को कैसे सिलेक्ट किया जाएगा, यह भी नोटीफिकेशन में साफ नहीं किया गया है।
- OBC और जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए एक ही क्वालिफिकेशन्स का जिक्र है। जोकि भारतीय संविधान के रिजर्वेशन रूल्स 1994 के आर्टिकल 14 और आर्टिकल 16(4) का उल्लंघन है।
इसके अतिरिक्त पेटिशनर वर्षा पटेल ने न्यायालय से दर्ख्वास्त की कि सिविल न्यायधीश का एग्जाम MP उच्च न्यायालय की स्थान MPPSC को कराना चाहिए।
कोर्ट ने क्या किया?
मामले की शुरुआती सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस RV मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने राज्य गवर्नमेंट के लॉ डिपार्टमेंट और MP उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है। इसमें एक दिन के अंदर दोनों से उत्तर मांगा गया है। सीनियर काउंसिल नमन नागरथ और एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने न्यायालय में पेटिशनर वर्षा पटेल का पक्ष रखा।