एसिडिटी हो तो अपनाएं ये घरेलू उपाय
कई लोगों को ये कम्पलेन होती है कि कुछ भी खा लेने के बाद उन्हें पेट फूलने के साथ खट्टी डकार और जलन होती है। यह कॉमन स्वास्थ्य परेशानी ऐसिडिटी है जिससे आए दिन लोग परेशान होते हैं और राहत के लिए दवाईयां खाकर आराम पाने की प्रयास करते हैं। दरअसल पाचन तंत्र कैसे दुरूस्त रहे ? यह हमेशा से स्वास्थ्य चिंता रही है जिससे एक बड़ी जनसंख्या प्रभावित होती है। गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज (जीईआरडी) हिंदुस्तानियों को प्रभावित करने वाली सबसे सामान्य स्थितियों में से एक के रूप में सामने आती है। शहरी हिंदुस्तानियों के पाचन स्वास्थ्य को समझने के लिए किए गए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि हर 10 में से 7 लोग डाइजेशन की परेशानी से जूझ रहे हैं। इसमें एसिडिटी सबसे ऊपर है। इस सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी है कि यूपी अग्रणी राज्यों में उभरकर आया है। जहां 4 गांवों में किए गए सर्वेक्षण में 10.7 फीसदी लोगों को जीईआरडी है।
वाराणसी में हील फाउंडेशन ने एसिडिटी करोड़ों लोगों की परेशानी के सुरक्षित निवारण शीर्षक से एक मीडिया जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें आईएमएस बीएचयू में नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डाक्टर शिवेंद्र सिंह और आईएमएस बीएचयू में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर देवेश प्रकाश यादव जैसे जानकारों ने एसिडिटी से संबंधित विकारों की उत्पत्ति, असर और ठीक निवारण पर प्रकाश डाला। डाक्टर शिवेंद्र सिंह, प्रतिष्ठित नेफ्रोलॉजिस्ट, प्रोफेसर और नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख, आईएमएस बीएचयू, वाराणसी ने जानकारी देते हुए बोला कि हाइपरएसिडिटी जैसी रोग हिंदुस्तान में बड़े पैमाने पर फैली हुई है। पूरे हिंदुस्तान में दस से लेकर 30 फीसदी जनसंख्या एसिडिटी से प्रभावित है जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उन्होंने बोला कि इसकी बड़ी वजह है आहार संबंधी आदतें, नींद की धांधली और तनाव। अपनी मर्जी से दवाई लेने की आदतों पर उन्होंने चिंता जताते हुए बोला कि एसिडिटी की परेशानी होने पर हर दो में से एक पीड़ित अपनी मर्जी से ही कोई दवाई खा लेता है या दवाई की दुकान पर जाकर दुकानदार के कहने पर किसी दवाई का इस्तेमाल करता है जबकि इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए चिकित्सक की एडवाइस बहुत महत्वपूर्ण है।
दवा का चयन ठीक ढंग से करें
एसिडिटी रोकने के लिए दवा का चयन ठीक ढंग से करना चाहिए क्योंकि कुछ दवाएं जरूरी एसिड के उत्पादन को रोक सकती हैं, जिससे लाभ की स्थान हानि हो सकता है। एसिड से संबंधित विकारों के लिए चिकित्सक रैनिटिडिन जैसी दवाएं लेने की राय दे सकते हैं, जो एक भरोसेमंद दवा है। इसे दवाई की दुकान से सरलता से ले सकते हैं। बाजार में रैनिटिडिन की बिक्री 1981 से प्रारम्भ हुई और तब से यह एसिडिटी से संबंधित स्थितियों के लिए सबसे भरोसेमंद दवाओं में से एक रही है और पूरे हिंदुस्तान में लाखों रोगियों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी को अपनाने के साथ समझदारी से दवा का चयन करना चाहिए।
एसिडिटी की परेशानी का क्या है समाधान
70 फीसदी शहरी हिंदुस्तानियों को पाचन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें एसिडिटी एक प्रमुख चिंता का विषय है। हालांकि जानकार रैनिटिडिन का समर्थन करते हैं, यह पाचन तंत्र को प्रभावित किए बिना एसिडिटी से राहत देती है।
- नियमित व्यायाम करने से आप एसिडिटी से राहत पा सकते हैं।
- मसालेदार और जंक फूड से परहेज करना चाहिए।
- शरीर में जल का पर्याप्त स्तर बनाए रखना जैसे निवारक तरीकों को अपनाना चाहिए।
- अगर बुखार होने पर जिस तरह पेरासिटामोल लेते हैं उसी तरह रैनिटिडिन एसिडिटी के लिए भरोसेमंद दवा है।
एसिडिटी हो तो अपनाएं घरेलू उपाय
एसिडिटी की परेशानी को दूर करने के लिए आप कुछ घरेलू तरीका भी अपना सकते हैं।
- अपने दिन की शुरूआत गुनगुने पानी से करें इससे आपको आराम मिलेगा।
- गुनगुने पानी में आधा नींबू डालकर पीने से भी राहत मिलती है।
- सुबह ठंडा दूध पीने से भी पेट की जलन कम होती है।
- भोजन करने के बाद सौंफ या आजवायन का सेवन भी लाभ पहुंचाता है।
- सौंफ या आजवायन उबालकर पीने से भी एसिडिटी से राहत मिलती है।
दरअसल हमारे शरीर में पाचन के शुरूआती स्तर में पेट का एसिड मुख्य किरदार निभाता है। इससे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी12 जैसे कई जरूरी पोषक तत्वों का अवशोषण सरल हो जाता है। पेट में एसिड की कमी से पोषक तत्वों की कमी होने के साथ जीवाणु संक्रमण बढ़ने की आसार होती है। एसिडिटी की कठिनाई होने पर लोगों को रैनिटिडिन जैसे ठीक उपचारों के बारे में सतर्क करने और दवाईयों के प्रति सतर्कता को बढ़ावा देने से इसके जोखिम से बच सकते हैं।