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Guru Tegh Bahadur: गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती पर जानें उनके प्रेरणादायी विचारों के बारें में…

Guru Tegh Bahadur : प्रतिवर्ष गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती अप्रैल के महीने में पड़ती है. इस बार तिथि के मुताबिक सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती/ प्रकाश पर्व वैशाख पंचमी के दिन यानी 28 या 29 अप्रैल 2024 को मनाया जा रहा है. तथा अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक उनका जन्म 21 अप्रैल 1621 को हुआ था.

सिख कैंलेडर की तिथि के मुताबिक गुरु तेग बहादुर जी का जन्म वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष पंचमी को हुआ था. जो सिखों के नौवें गुरु के रूप में जाने जाते हैं. अपना समस्त जीवन मानवीय सांस्कृतिक की विरासत की खातिर बलिदान करने वाले गुरु तेग बहादुर जी का जीवन बहुत ही शौर्य से भरा हुआ है.

उन्हें सिख धर्म में क्रांतिकारी युग पुरुष के रूप में जाना जाता है. वैशाख कृष्ण पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में जन्मे तेग बहादुर जी गुरु हर गोविंद सिंह जी के 5वें पुत्र थे.

बचपन में वे त्यागमल नाम से पहचाने जाते थे, जो कि एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त वाले थे. उनकी शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हर गोविंद साहब की छत्र छाया में हुई. मात्र 14 साल की उम्र में ही अपने पिता के साथ उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों के हमले के विरुद्ध हुए युद्ध में अपना साहस दिखाकर बहादुरी का परिचय दिया और उनके इसी बहादुरी से प्रभावित होकर गुरु हर गोविंद सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के अमीर रख दिया.

इसी समयावधि में उन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की. सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मौत के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया.

माना जाता है कि जब मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मृत्यु दोनों में से एक चुनने के लिए कहा. तब मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें, लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया तब औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था. इस तरह उनका बलिदान दिवस 24 नवंबर को शहीदी गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरु तेग बहादुर सिंह ने आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.

सिख धर्म के नौंवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके ठीक अर्थों में ‘हिन्द की चादर’ कहलाए. ऐसे बहादुरी और साहस की मिसाल थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी. विश्व इतिहास में आज भी उनका नाम एक वीरपुरुष के रूप में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है. अपने खास उपदेशों, विचारों और धर्म की रक्षा के प्रति अपना जज्बा कायम रखने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह जी का सिख धर्म में अद्वितीय जगह है.

आइए यहां जानते हैं उनके 10 प्रेरणादायी विचार : 

1. दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह निर्णय है कि डर से भी महत्वपूर्ण कुछ है.

 

2. सुखी और सहज जीवन जीना है तो हर नकारात्मक और सकारात्मक चीज पर अपनी प्रतिकिरया देना बंद करनी होगी.

 

3. जीवन किसी के साहस के अनुपात में सिमटता या विस्तृत होता है.

 

4. गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो.

 

5. प्यार पर एक और बार और हमेशा एक और बार विश्वास करने का साहस रखिए.

 

6. एक सज्जन आदमी वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं.

 

7. महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं.

 

8. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है.

 

9. यह संसार एक मिथ्या है और इसके भ्रम में जीना सबसे बड़ी गलत बात है.

 

10. आध्यात्मिक मार्ग पर दो सबसे मुश्किल परिक्षण हैं, ठीक समय की प्रतीक्षा करने का संयम और जो सामने आए उससे निराश ना होने का साहस.

 

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