कार्तिक मास: श्री हरि नारायण के साथ भगवान कार्तिकेय भी करते हैं प्राणियों का शुद्धिकरण
अभी हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक चल रहा है। इस महीने में पुष्य नक्षत्र, धन तेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे बड़े उत्सव मनाए जाते हैं। ये महीना 27 नवंबर तक रहेगा। कार्तिक में गणेश जी, विष्णु-लक्ष्मी, धनवंतरि, गोवर्धन पर्वत, छठ माता, सूर्य देव के साथ ही कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा जरूर करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं। मनीष शर्मा के अनुसार कार्तिक माह में रोज सुबह शीघ्र उठना चाहिए। इस महीने में रोज सुबह नदी स्नान करने की परंपरा है। इसके साथ ही नदी में दीपदान भी किया जाता है। कार्तिक महीने का नाम कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा है।
कार्तिकेय को तारकासुर का वध करने के बाद शिव जी ने दिया था वरदान
पौराणिक कथा है। पुराने समय में जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यहां हवन कुंड में कूदकर शरीर त्याग दी थी, तब शिव जी सती के वियोग में ध्यान में बैठे थे। तारकासुर ने इस बात का फायदा उठाकर ब्रह्मा जी को तप करके प्रसन्न कर लिया। तारकासुर ने वरदान प्राप्त कर लिया कि उसका वध शिव जी के पुत्र के हाथों ही हो।
वर पाकर तारकासुर ने देवताओं को, ऋषि-मुनियों और सभी इंसानों को परेशान करना प्रारम्भ कर दिया था। उस समय ईश्वर विष्णु और अन्य देवताओं ने शिव जी से फिर से शादी करने की प्रार्थना की थी।
उन दिनों ने देवी पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप कर रही थीं। शिव जी देवी पार्वती के सख्त तप से प्रसन्न हुए और उनसे शादी किया।
शिव-पार्वती के शादी के बाद कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ, लेकिन कार्तिकेय का पालन शिव-पार्वती से दूर एक वन में कृतिकाओं ने किया था। बाद में कार्तिकेय स्वामी ने तारकासुर का वध कर दिया था। उस समय हिन्दी पंचांग का आठवां माह ही चल रहा था। तारकासुर का वध करने के बाद शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी से बहुत प्रसन्न थे। शिव जी ने प्रसन्न होकर आठवें माह को कार्तिक नाम दिया था।
इस महीने में करें ये शुभ काम
- कार्तिक माह में कार्तिकेय स्वामी की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है।
- रोज सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
- घर के मंदिर में इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। जप करते हुए ध्यान करें।
- कार्तिक मास में जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, ऊनी कपड़े का दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल करें। गायों के लिए धन का दान करें।