भारतीय सेना के वीर विक्रम बत्रा भी अपना युद्ध कौशल दिखाते हुए शहीद
इस युद्ध में इंडियन आर्मी के वीर विक्रम बत्रा भी अपना युद्ध कौशल दिखाते हुए शहीद हो गए। विक्रम बत्रा वो नाम हैं जिन्होंने 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध की सबसे मुश्किल चुनौतियों में से एक प्वाइंट 4875 पर मोर्चा संभाला और शत्रु को लोहा चबाने पर विवश कर दिया। आज हिंदुस्तान मां के इस वीर सपूत विक्रम बत्रा का जन्मदिन है।
आज हिंदुस्तान मां के इस वीर सपूत विक्रम बत्रा का जन्मदिन है। आज इस मौके पर हम आपको कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़ी कई अनसुनी कहानियां बताएंगे, जिन्हें सुनने के बाद आप बहादुरी की मिसाल कायम करेंगे।
1999 के कारगिल युद्ध में एक 24 वर्ष का जवान अपने अदम्य साहस से पाकिस्तानी सेना को पीछे धकेल रहा था। तभी शत्रु की एक गोली बिक्रम बत्रा को लगी और वह शहीद हो गये। उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन विक्रम को उनकी बहादुरी और बहादुरी को देखते हुए कई नाम दिए गए। कुछ ने उन्हें ‘टाइगर ऑफ द्रास’, कुछ ने ‘कारगिल का शेर’ की उपाधि से सम्मानित किया, जबकि पाक ने कैप्टन बत्रा को ‘शेरशाह’ कहा।
एक खून के प्यासे और जमीन के भूखे घातक शत्रु के विरुद्ध अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर, विक्रम बत्रा ने अकेले ही कई दुश्मनों को मार डाला और कई अन्य को हतोत्साहित कर दिया। शत्रु की भारी गोलीबारी में घायल होने के बावजूद, विक्रम बत्रा ने अपनी डेल्टा टुकड़ी के साथ पीक नंबर 4875 पर धावा किया।
बहादुर आदमी ने धावा किया लेकिन तब किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। विक्रम बत्रा अपने एक घायल साथी को युद्ध के मैदान से निकालने की प्रयास कर रहे थे, इस क्रम में वह भी शहीद हो गए। दरअसल, कारगिल युद्ध में जाने से पहले विक्रम बत्रा अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चंडीगढ़ के मनसा देवी मंदिर में माता के दर्शन के लिए गए थे। मंदिर की परिक्रमा के दौरान विक्रम बत्रा ने अपनी गर्लफ्रेंड का दुपट्टा पकड़कर कहा- अभिनंदन ‘मिसेज बत्रा’।
चंडीगढ़ में रहने वाली उनकी गर्लफ्रेंड ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि जब उन्होंने कारगिल युद्ध में जाने की बात सुनी तो वह निराश नहीं हुईं बल्कि काफी उत्साहित नजर आईं। विक्रम बत्रा ने अपनी गर्लफ्रेंड की मांग अपने खून से भर दी। उन्होंने अपना अंगूठा काटकर अपनी मांग पूरी की। आपको बता दें कि दोनों की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी में एमए करने के दौरान हुई थी। विक्रम बत्रा का एमए पूरा करने से पहले ही आईएमए के लिए चयन हो गया था।