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इस पवित्र महीने में ही शिव-पार्वती और राम-सीता का हुआ था विवाह, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का ज्ञान

अगहन मास 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक रहेगा पुराणों के अनुसार इस पवित्र महीने में ही शिव-पार्वती और राम-सीता का शादी हुआ था श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी इसी महीने में दिया था जानकारों का मानना है कि कश्यप ऋषि ने अगहन मास में ही कश्मीर बसाया था और वृंदावन के बांके बिहारी भी इस महीने प्रकट हुए थे

अगहन महीने में कृष्ण पक्ष के दूसरे दिन हुआ शिव विवाह, इस बार ये तिथि 29 नवंबर को
शिव पुराण के 35वें अध्याय में रुद्रसंहिता के पार्वती खण्ड में कहा है कि महर्षि वसिष्ठ ने राजा हिमालय को ईश्वर शिव-पार्वती शादी के लिए समझाते हुए शादी का मुहूर्त मार्गशीर्ष महीने में होना तय किया था जिसके बारे में इस संहिता के 58 से 61 वें श्लोक तक कहा गया है पुरी के ज्योतिषाचार्य डाक्टर गणेश मिश्र का बोलना है कि शिव पुराण में बताए गए तिथि और महीने के अनुसार ये दिन इस वर्ष 29 नवंबर, बुधवार को पड़ रहा है

अगहन शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन हुआ श्रीराम-सीता का विवाह, ये तिथि 17 दिसंबर को
धर्म ग्रंथों के जानकरों के अनुसार अगहन महीने में ही श्रीराम-सीता का शादी हुआ था ज्योतिषाचार्यों का बोलना है कि त्रेतायुग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में श्रीराम-सीता का शादी हुआ था इस शुभ पर्व पर तीर्थ स्नान-दान और व्रत-उपवास के साथ ईश्वर राम-सीता की विशेष पूजा की जाती है इसलिए इस दिन को शादी पंचमी भी बोला जाता है

अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर अर्जुन को मिला गीता ज्ञान, ये तिथि 23 दिसंबर को
श्रीमद्भागवत के अनुसार महाभारत के युद्ध में अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ईश्वर कृष्ण ने अुर्जन को गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस तिथि को मोक्षदा एकादशी बोला जाता है इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है इस बार ये दिन 23 दिसंबर, शनिवार को रहेगा

प्रकट हुए बांके बिहारी, कश्यप ऋषि ने बनाया कश्मीर
डॉ गणेश मिश्र बताते हैं कि श्रीमद्भागवद्गीता में ईश्वर कृष्ण ने बोला है कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष महीना उनका ही स्वरूप है इसी पवित्र महीने में कश्यप ऋषि ने कश्मीर प्रदेश की रचना प्रारम्भ की थी

इस महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर वृंदावन के निधिवन में ईश्वर बांके बिहारी प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन ईश्वर कृष्ण की बांके बिहारी रूप में महापूजा की जाती है और पूरे ब्रज में महोत्सव मनाया जाता है

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