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ऐसे ‘श्मशान’ के बारे में जाने जहां इंसानों की नहीं दी जाती है अंत्येष्टि मोटर कारों की

क्या आपने कार की अंत्येष्टि के बारे में सुना है? शायद नहीं, चलिए हम बताते हैं ऐसे ‘श्मशान’ के बारे में जहां इंसानों की नहीं बल्कि मोटर कारों की अंत्येष्टि की जाती है

नोएडा में लगभग 11 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला कारों का एक ‘श्मशान’ है जहां कारों का आखिरी संस्कार किया जाता है ये कोई आम श्मशान नहीं है बल्कि इसके संचालन में मारुति, सुजुकी, महिंद्रा जैसी कार कंपनियों की गहरी दिलचस्पी है

चौंकिए मत! दरअसल यहां बात व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर की हो रही जब पुरानी गाड़ियों का रोड परमिट समाप्त हो जाता है या जब वो कार चलाने लायक नहीं होती है, उन्हें स्क्रैपिंग सेंटर में लाया जाता है

जहां इन कारों से इस्तेमाल करने लायक समान को निकालकर रिसाइक्लिंग के लिए भेज दिया जाता है वहीं, बचे हुए वाहन के ढांचे को फिर से पिघलाने के लिए स्टील इंडस्ट्री के पास भेजकर उसका ‘अंतिम संस्कार’ कर दिया जाता है

नोएडा में मारुति सुजुकी, टोयोत्सू इण्डिया मारुति और टोयोटा ग्रुप का संयुक्त केंद्र उपस्थित है जहां पुरानी आल्टो, मारूति ओमनी, हुंडई सेंट्रो जैसी हजारों कारें स्क्रैप में पड़ी मिल जाएंगी

अब बात करते हैं आपके लाभ की क्या आपके पास पेट्रोल या डीजल कार है जिसको 15 या 10 वर्ष हो गए हैं? यदि हां, तो इसके जरिए नयी कार खरीदने में आपको लाभ मिल सकता है

सरकार ने 2021 से नयी व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के जरिए गाड़ियों के कबाड़ (व्हीकल स्क्रैप) को कम करने का बीड़ा उठाया है

दूसरी तरफ, बड़े-बड़े कार निर्माता स्क्रैपिंग फैसलिटी स्थापित कर रहे हैं एक्सपर्ट मान रहे हैं कि स्क्रैपिंग यानी कबाड़ का बिजनेस हिंदुस्तान की ऑटो इंडस्ट्री का एक अहम हिस्सा बनने वाला है

ग्लोबल स्क्रैपिंग बाजार की यदि बात की जाए तो यह करीब 41 हजार अरब रुपए का है जिसमें हिंदुस्तान की हिस्सेदारी अभी महज 2.2 फीसदी की ही है

मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के मुताबिक, मोटर व्हीकल्स को 15 वर्ष बाद सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन (आरसी) का रिन्यूअल कराना जरूरी है

ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2015 में एक ऑर्डर जारी किया जिसमें दिल्ली-एनसीआर में डीजल से चलने वाले व्हीकल को 10 वर्ष और पेट्रोल व्हीकल को 15 वर्ष के बाद चलाने पर रोक लगाई गई इस ऑर्डर को 2018 में उच्चतम न्यायालय ने भी ठीक ठहराया

सरकारी मान्यता प्राप्त स्क्रैप सेंटर्स वाहन की बॉडी देखने या फिजिकल वेरिफिकेशन की डिमांड नहीं करते जबकि ग्रे बाजार में पुरानी वाहन को लाकर दिखाने की मांग की जाती है सरकारी मान्यता प्राप्त स्क्रैप सेंटर्स में वाहन के वजन, कार के मॉडल से मूल्य तय होती है जैसे मारुति 800 के 17,000 रुपए और मारुति अल्टो 27,000 रुपए तक मिल जाते हैं

 

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