लाइफ स्टाइल

जानें, ब्यूटी-लिपस्टिक का रोमांटिक इफेक्ट के बारे में…

मेकअप ख़ूबसूरती को उस ड्रीम वर्ल्ड से जोड़ता है जहां महिला के प्यार का रिश्ता बसता है जिसका सीधा असर संबंध में रोमांस, गर्माहट और ग्लैमर भरता है. अपने संबंध को सुंदर बनाने के लिए महिला अपना यह एक्स्ट्रा कदम अपना अधिकार समझती है.

इसीलिए कंपनियां सुबह 9 से रात 10 बजे तक टिकने वाले नित नए ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने लगी हैं, जो चमकती धूप में, बादल में, बरसात में, बर्फबारी में, सुबह से लेकर शाम तक खूबसूरती को चेहरे पर टिकाए रखते हैं.

4-5 वर्ष पहले तक कोई नहीं मानता था कि मेकअप की सहायता से चेहरे का लुक करेक्शन संबंध को कैसे प्रभावित कर सकता है. उस समय पति यह कम्पलेन करते दिखते थे कि, ‘श्रीमती जी को तैयार होने में घंटों लगते हैं’. आज वही वे ये कहते नजर आते हैं, ‘तुम्हें तैयार होने में कितना समय लगेगा?’ या ‘तुम कब तक तैयार हो जाओगी?’

यही वजह है कि वैलेंटाइन वीक में महिला को खुश करने के लिए बाजार भी बंपर डिस्काउंट परोसता है जहां नए ऑफर , फ्लैट सेल्स, फ्री गिफ्टस की बारिश होती नजर आती है.

सोचकर देखिए यदि ख़ूबसूरती संबंध पर हावी नहीं होती तो क्या वैलेंटाइन वीक में ब्यूटी पारलर्स में लड़कियों और स्त्रियों की इस कदर भीड़ देखने को मिलती और ब्यूटी सेल का बाजार इस हद तक गरम रहता?

यह बाजार दो तरह से काम करता है, महिला को गुड लुक देता है, उसे खुश रखता है, उसकी मेंटल हेल्थ को पॉजिटिव बनाता है और रिश्ता सुखद राह पर चलता.

जब मूड रोमांटिक हो, दिल इश्क में डूबा हो और मन खुश हो तब सजने संवरने से दिल और दिमाग को शाँति मिलता है.

दरअसल गुड लुक्स का प्रशंसक हर कोई है लेकिन जब आदमी स्वयं को खूबसूरत समझता है तो उनकी पर्सनैलिटी में अलग ही कॉन्फिडेंस देखने को मिलता है जो उसे मानसिक रूप से स्वास्थ्य वर्धक बनाता है.

ब्यूटी ट्रीटमेंट और मेकअप का संबंध सीधे मेंटल हेल्थ से है. जिस दिन लड़कियां और महिलाएं थ्रेडिंग, फेशियल या पेडिक्योर करा लेती हैं, उस दिन उनका आत्मविश्वास आसमान छूता है. लेकिन यदि बालों की ग्रोथ अधिक हो और थ्रेडिंग या वेक्सिंग न की गई हो तो लड़कियां घर से बाहर निकलना भी पसंद नहीं करतीं.

लुक्स को इग्नोर करने की वजह से मूड अलग खराब होता है. कई बार यह तनाव और एंग्जाइटी का कारण भी बनता है. इसका असर उनकी रिलेशनशिप और उनकी हेल्थ पर पड़ता है. क्योंकि अक्सर हम ये भूल जाते हैं कि ब्यूटी ट्रीटमेंट और रिलेशनशिप दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं.

लिपस्टिक इफेक्ट से चमकता चेहरा

अमेरिका के प्रसिद्ध अरबपति लियोनार्ड लाउडर ने एक साक्षात्कार में लिपस्टिक इफेक्ट का जिक्र किया था. उनके मुताबिक आर्थिक मंदी आई हो या महामारी, महिलाएं ने कभी लिपस्टिक लगाना नहीं छोड़ा.

इसका कारण है लग्जरी. बुरे समय में भी कम मूल्य की लिपस्टिक ने स्त्रियों को अच्छा महसूस कराया और उन्हें खुशी से शॉपिंग करने का मौका दिया. इस छोटे से मेकअप प्रोडक्ट ने उनके लिप्स को भिन्न-भिन्न शेड्स में रंगकर चेहरे की रौनक बदल दी.

लिपस्टिक लगाना स्वयं को एक तोहफा देने जैसा है जो स्त्रियों को स्ट्रेस और निगेटिविटी से दूर रखता है.

मनोचिकित्सक राजीव मेहता कहते हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट ट्रीटमेंट या मेकअप एक तरह की थेरेपी है जो आदमी को अच्छा महसूस करवाती है.

इसीलिए सेल्फकेयर के इस समय को महिला अपना ‘मी टाइम’ मानती है. दरअसल, आदमी प्रशंसा चाहता है. यदि वह यह सब चीजें करके दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है और प्रशंसा बटोरता है तो इसमें बुरा क्या है?

क्रिएटिविटी से कम नहीं मेकअप

जिस तरह एक आर्टिस्ट अपनी पेंटिंग को खूबसूरत बनाने के लिए कैनवास पर रंगों से खेलता है, इसी तरह एक स्त्री अपने चेहरे को सुंदर बनाने के लिए कलरफुल कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करती है.

मेकअप भी एक तरह का आर्ट है जो मेंटल हेल्थ को अच्छा रखता है. एक स्टडी में सामने आया कि मेकअप करने वाली महिलाएं तनाव से दूर रहती हैं. इटली की University of Chieti की स्टडी में पाया गया कि मेकअप स्त्रियों के कॉन्फिडेंस बढ़ाता है.

दरअसल मेकअप करने से बॉडी में डोपामाइन नाम का हैपी हॉर्मोन रिलीज होता है जो मूड को पॉजिटिव रखता है और महिलाएं खुश रहती हैं.

स्टडी में यह भी बोला गया कि हर मेकअप शेड का स्त्रियों पर अलग असर होता है. जो महिलाएं बोल्ड मेकअप करती हैं, वह आत्मविश्वास से तो भी भरी होती ही हैं, लोग उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाते और उनकी बात भी ध्यान से सुनते हैं. महिला का यही आत्मविश्वास और बोल्ड लुक पुरुष को भाता है.

ब्यूटी ट्रीटमेंट देते खुशी

मेकअप के अतिरिक्त एक साधारण सी थ्रेडिंग भी चेहरे का लुक बदल देती है. जब भी चेहरे पर कोई ब्यूटी ट्रीटमेंट होता है या मेकअप लागू किया जाता है तो डोपामाइन के साथ ही ऑक्सिटॉक्सिन नाम का हॉर्मोन भी रिलीज होता है.

इससे cuddle हॉर्मोन भी कहते हैं जो दिमाग को टेंशन फ्री होने का सिग्नल देता है. इसलिए हमेशा फेशियल, मसाज या पेडिक्योर के बाद खुशी और शाँति मिलता है.

ओवरथिंकिंग होती दूर

अधिकतर मामलों में एंग्जाइटी तभी होती है जब आदमी हद से अधिक सोचने लगता है. अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन की स्टडी में पाया गया कि प्रत्येक दिन आदमी 12 हजार से 60 हजार ख्याल अपने मन में लाता है जिनमें से 80% ख्याल निगेटिव होते हैं. लेकिन जब ब्यूटी ट्रीटमेंट या मेकअप किया जाए तो यह ख्याल परेशान नहीं करते.

इंसान आवश्यकता से अधिक सोचने से बचता है और एंग्जाइटी और डिप्रेशन का कभी शिकार नहीं होता. मेकअप स्वयं की केयर और स्वयं को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा जरिया है.

रिश्ते में सबसे अधिक ओवरथिंकिंग होती है. स्ट्रेस में रहने पर दूसरे की कही बात बुरी लगती हैं और हम बाल की खाल निकालते हैं जो रिलेशनशिप पर बुरा असर डालता है. ब्यूटी ट्रीटमेंट रिलेशनशिप में ‘कूलेंट’ का काम करता है. कुलेंट यानी संबंध में नाराजगी को खुशमिजाजी में बदल दे.

मेडिटेशन है स्किन केयर

मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए जैसे योग काम करता है, ठीक उसी तरह स्किन केयर भी काम करती है. स्किन केयर ट्रीटमेंट एक तरह का मेडिटेशन है.

जब भी महिलाएं अपनी स्किन पर कुछ लगाती हैं तो उनके निगेटिव इमोशन दूर होने लगते हैं और स्किन मुलायम और चमकदार दिखती है तो वह मानसिक तौर पर राहत महूसस करती हैं क्योंकि बॉडी से स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल कम होता है और चेहरा चमकने लगता है.

2017 में ब्रिटेन की रिसर्च में सामने आया कि जो महिलाएं टोनिंग, क्लींजिंग और मॉइश्चराइजिंग पर 30 मिनट लगाती हैं, वह मेंटल डिसऑर्डर का शिकार कभी नहीं बनतीं.

खुशबू से मूड होता बूस्ट

मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि खुशबू मात्र खुशबू नहीं, एक याद होती है. खुशबू परफ्यूम की हो, क्रीम की हो या लोशन की, हमेशा हैपी मूड को उछाल देती है जिससे आदमी खुशमिजाज बनाता है.

दरअसल, परफ्यूम की अच्छी महक से दिमाग में ऑलफैक्ट्री कॉर्सेक्स प्रभावित होती है जो इमोशन और मेमोरी को रेगुलेट करती है जो किसी भी रिलेशनशिप को पॉजिटिव दिशा में ले जाती है.

फ्रेग्रेंस मूड स्विंग की परेशानी को दूर करती हैं और आदमी को चिड़चिड़ा होने से बचाती हैं. ये माइग्रेन की परेशानी भी दूर करती हैं.

जापान में नींबू से बनी फ्रेग्नेंस पर अध्ययन किया गया और पाया गया कि इससे 54% लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी. लेमन यानी नींबू से दिमाग में norepinephrine नाम के केमिकल का स्तर बढ़ता है जिससे आदमी मोटिवेट होता है और उसकी निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है. तो अच्छा परफ्यूम लगाएं और महके.

ब्लड प्रेशर के नहीं बनते मरीज

ब्यूटी से जुड़े ट्रीटमेंट हो या कॉस्मेटिक, जब बॉडी पर इन्हें लगाया जाता है तो वह अधिकांश मसाज के रूप में इस्तेमाल होते हैं. इससे बॉडी के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर असर पड़ता है जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है.

जब ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है तो चेहरे पर तो चमक आती ही है, ब्लड प्रेशर की परेशानी भी नहीं होती. इसका दूसरा कारण यह भी है कि जब एंग्जाइटी नहीं होती तो आदमी गुस्सा भी नहीं करता, इससे भी बीपी कंट्रोल में रहता है.

ये सारी चीजें रिलेशनशिप पर भी असर डालती हैं. ब्यूटी ट्रीटमेंट्स वैसे शरीर और दिमाग को तनाव रहित बनाते हैं तो इसका असर संबंध पर भी पड़ता है.

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