लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री के जन्मदिन पर जानें इनका राजनीतिक करियर
परिचय
सुनील शास्त्री का जन्म 13 फ़रवरी 1950 को हुआ था। इनके पिता हिंदुस्तान के द्वितीय पीएम लाल बहादुर शास्त्री थे। इनकी ललिता शास्त्री थीं। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली से पूर्ण की और आगे पढ़ाई करने दिल्ली यूनिवर्सिटी में गए। इनका शादी जयपुर में रहने वाली मीरा शास्त्री से हुआ। इन दोनों के तीन बेटे हैं- विनम्र, वैभव और विभोर।
राजनीतिक कॅरियर
सुनील राजनीति में शामिल होने से पहले बैंक ऑफ़ इण्डिया में प्रबंधक थे। 1980 में राजनीति में कदम रखने वाले सुनील शास्त्री यूपी की गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री रहे। कैरियर के शुरुआती दिनों से ही इनकी सामाजिक कार्यों में रुचि रही है। खासतौर पर ग़रीब एवं पिछड़े समुदाय के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। ग़रीबों एवं हाशिए पर पड़े वंचितों को स्वर देने के लिए ही इन्होंने जनवरी 2011 में ‘लीगेसी इंडिया’ नामक मीडिया प्रारम्भ की।
जब केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की गवर्नमेंट बनी थी, उस समय ये काँग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में आ गये थे। अटल जी ने इन्हें केन्द्रीय कार्यकारिणी में संगठन का कार्य दिया। जब नरेन्द्र मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव थे तब सुनील शास्त्री भी उनके साथ थे। बाद में जब अटल जी की गवर्नमेंट चुनाव हार गयी और अटल जी का राजनीति में हस्तक्षेप कम हो गया तो सुनील शास्त्री ने बीजेपी में उपेक्षित अनुभव करते हुए लालकृष्ण आडवाणी को अपना त्याग-पत्र सौंप दिया और काँग्रेस में चले गये। वहाँ भी उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गयी। वे अपने स्वभाव के कारण परिस्थितियों से समझौता न कर सके और जब बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का प्रत्याशी घोषित किया तो सुनील शास्त्री फिर से बीजेपी में वापस आ गये।
लेखक
सत्यनिष्ठा, शुचिता और ईमानदारी जैसे मूल्यों का पालन करने वाले सुनील शास्त्री न सिर्फ़ एक लेखक हैं, बल्कि उनमें एक संवेदनशील कवि भी छिपा हुआ है। संगीत के प्रति भी उनका खासा लगाव है। एक ओर वे बच्चों के लिए लिखते हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न मुद्दों पर गंभीर चिंतन आधारित लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं। उन्हें कविता, संगीत और सामाजिक कार्यों से विशेष लगाव है। सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन पर अपने विचारों को वे पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्त करते रहते हैं।
रचना
सुनील शास्त्री ने अपने पिता लालबहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित एक पुस्तक ‘लालबहादुर शास्त्री: मेरे बाबूजी’ हिन्दी में लिखी है जिसका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है।