रुद्राक्ष धारण करने से पहले जानें ये नियम
उत्तराखंड का हरिद्वार और ऋषिकेश गंगा घाटों, सिद्धपीठ मंदिरों और आश्रमों के लिए ही नहीं रत्नों और रुद्राक्ष के लिए भी प्रसिद्ध हैं। शास्त्रों और पुराणों में रुद्राक्ष धारण करने को लेकर विभिन्न लाभों के बारे में विस्तार से कहा गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष का निर्माण ईश्वर शिव के आंसुओं से हुआ है। इस कारण जो आदमी रुद्राक्ष शास्त्रों में बताई गई विधि के मुताबिक इसे धारण करता है, उसके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है ।रुद्राक्ष धारण करने के साथ-साथ बाद में भी कुछ नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।क्या आप जानते हैं कि चार स्थानों पर रुद्राक्ष धारण करके एकदम भी नहीं जाना चाहिए।
लोकल 18 के साथ वार्ता में ऋषिकेश में स्थित सच्चा अखिलेश्वर मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी बताते हैं कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति ईश्वर शिव के आंसुओं से हुई है। मान्यता है कि त्रिपुरासुर नामक एक दैत्य था, जिसे अपनी शक्ति का बहुत घमंड हो गया था। उसने भूलोक के साथ-साथ देव लोक में भी त्राहिमांम मचाकर रख दिया था। देवता उसे परास्त नहीं कर पा रहे थे। तब देवतागण ईश्वर शिव के पास इस परेशानी को लेकर पहुंचे और महादेव से प्रार्थना करने लगे। देवता जब कैलाश पर्वत पर पहुंचे, तो उस समय भोलेनाथ योग मुद्रा में अपनी आंखों को बंद कर तप कर रहे थे। जब भोलेनाथ ने अपने नेत्र खोले, तब उनकी आंखों से कुछ आंसू धरती पर गिरे, जिससे रुद्राक्ष का वृक्ष उत्पन्न हुआ। जहां-जहां आंसू गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए। इसके बाद भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर का वध किया।
क्या है रुद्राक्ष पहनने के नियम?
शुभम तिवारी बताते हैं कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष पहनना काफी शुभ माना जाता है। इसे पहनने से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। वहीं इसे धारण करने से पहले हम कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए | रुद्राक्ष को विधि मुताबिक पहना जाए तो कई लाभ होते हैं लेकिन कुछ स्थान हैं, जहां हमें रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। पहली स्थान है, जहां किसी की मौत हुई हो। वहां रुद्राक्ष उतारकर जाना चाहिए। दूसरा जहां मांस-मदिरा का सेवन होता हो, तो वहां भी रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए। तीसरा जगह है, जहां बच्चे का जन्म हुआ हो, वहां भी इसे पहनकर नहीं जाना चाहिए। अपने शयनकक्ष में सोने जाने के समय भी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। उन्होंने बोला कि इन चार जगहों पर रुद्राक्ष पहनने से आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
कैसे धारण करें रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष को अमावस्या, पूर्णिमा, श्रावण मास के सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष के दिन पहनना शुभ माना जाता है। इसे पहनने से पहले दूध से धोकर सही कर लें और फिर उसमें सरसों का ऑयल जरुर लगाएं। उसके बाद ईश्वर शिव की पूजा-अर्चना करें और उनके समक्ष इसे पहनने के उद्देश्य को रखें और फिर उसे धारण कर लें।