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पूजा घर से जुड़े इन वास्तु नियमों का रखें खास ध्यान

जब हम आस्था और विश्वास के साथ अपने घरों में मंदिरों की स्थापना करते हैं तो हम अपने परिवार के लिए समृद्धि और खुशहाली की भी कामना करते हैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि देवताओं का आशीर्वाद हमारे घरों में बना रहे और हमें अपनी प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों का पूरा फायदा मिले, यह जरूरी है कि पूजा कक्ष वास्तु के सिद्धांतों का पालन करे अन्यथा पूजा के दौरान गलत एलाइनमेंट लाभ की स्थान कठिनाई का कारण बन सकता है

पूजा कक्ष के लिए आदर्श स्थान

उत्तर पूर्व (ईशान) दिशा को पूजा के लिए आदर्श माना जाता है क्योंकि यह मानसिक स्पष्टता और ज्ञान से जुड़ा है घर के इस क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा चरम पर होती है इसलिए, अपनी प्रार्थनाओं से अधिकतम फायदा प्राप्त करने के लिए पूजा कक्ष को इसी क्षेत्र में रखने की राय दी जाती है

पूजा के समय मुख की दिशा

आमतौर पर पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करने की राय दी जाती है वास्तु शास्त्र बताता है कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है जबकि पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है ऐसा माना जाता है कि इन दिशाओं में की गई पूजा से चमत्कारिक फायदा मिलता है

किस देवता के लिए कौन सी दिशा?

प्रत्येक दिशा के अपने-अपने देवता होते हैं और इन दिशाओं के मुताबिक पूजा करना शुभ माना जाता है उदाहरण के लिए:

देवी दुर्गा और ईश्वर हनुमान की पूजा दक्षिण दिशा में की जाती है

भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और ईश्वर कुबेर उत्तर दिशा में स्थापित हैं

भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा उत्तर-पूर्व दिशा में की जाती है

पूर्व दिशा में श्री राम, राधा-कृष्ण और ईश्वर विष्णु के दिव्य दरबार की पूजा की जाती है

शिक्षा और ज्ञान के लिए पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है

पश्चिम दिशा में गुरु, महावीर स्वामी, ईश्वर बुद्ध और ईसा मसीह को सम्मान दिया जाता है

पूजा अनुष्ठान और नियम

नियमित रूप से दीपक जलाएं: पूजा घर में दिन में दो बार सुबह और शाम दीपक जलाएं यह अभ्यास नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और परिवार के लिए शांतिपूर्ण वातावरण बनाता है

पूजा में सूखे फूलों से बचें: वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष में सूखे फूल न रखें ऐसा माना जाता है कि ताजे फूलों का इस्तेमाल सकारात्मक वातावरण में सहयोग देता है

पूजा सामग्री का स्थान: पूजा सामग्री को साफ-सुथरे ढंग से व्यवस्थित रखें, और अव्यवस्था से बचें पूजा कक्ष की नियमित रूप से सफाई करने से स्वच्छता और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में सहायता मिलती है

देवताओं का ठीक स्थान: देवताओं को ऊँचे जगह पर या बैठते समय आँख के स्तर पर रखें मूर्तियों को सीधे जमीन पर या निचले स्तर पर रखने से बचें

इन बातों का रखें ध्यान:

सुनिश्चित करें कि पूजा कक्ष के ऊपर या नीचे कोई बाथरूम न हो

पूजा घर में टूटी हुई फोटोज़ या मूर्तियां न रखें

पूजा कक्ष के अंदर कोई भी कीमती सामान या पैसा रखने से बचें

हल्के हरे, पीले, क्रीम या हल्के नीले जैसे सुखदायक रंगों का इस्तेमाल शांत और शांत वातावरण में सहयोग देता है

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