स्वस्थ और गुणवान संताने के लिए गर्भवती महिलाएं जरूर अपनाएं ये वास्तु टिप्स
स्वस्थ और गुणवान संतान की चाहत हर शादीशुदा आदमी की होती है। हालांकि कई बार ग्रहों के अशुभ असर जानकारी के अभाव में लोग इस सुख से वंचित रह जाते हैं। हालांकि बच्चों की स्वास्थ्य और उसके भविष्य के बारे में अहम जानकारी कुंडली से प्राप्त की जा सकती है। वहीं हर गर्भवती स्त्री की कामना होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ और गुणवान हो सके। हालांकि कई बार इसमें ग्रहों की स्थिति आड़े आती है। जिसकी वजह से कई लोग निराशा से घिर जाते हैं। लेकिन हम आपको स्वस्थ, गुणवाण संतान और गर्भवती स्त्रियों के लिए कुछ ऐसे वास्तु टिप्स बताने जा रहे हैं, जिसे करने से उत्तम और गुणवान संतान की प्राप्ति हो सकती है।
कंप्यूटर और लैपटॉप से बनाएं दूरी
वास्तु शास्त्र के मुताबिक गर्भावस्था की पूरी अवधि में स्त्री को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से दूर रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान खासकर कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे शिशु की स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है।
दक्षिण-पश्चिमी दिशा
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, गर्भवती महिलाएं यदि चाहती हैं कि गर्भावस्था का पूरा समय बिना बिना किसी कठिनाई से बीते तो ऐसे में बेडरूम में दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोना चाहिए। दरअसल ऐसा करने से गर्भावस्था की पूरी अवधि सुखद लगती है।
उत्तर-पश्चिम दिशा का वास्तु
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गर्भवती स्त्री को किसी भी सूरत में उत्तर-पश्चिम दिशा में नहीं सोना चाहिए। इसके साथ ही गर्भवती स्त्रियों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सोते समय सिर दक्षिण दिशा में रहे।
रंगों का होता है खास असर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गर्भवती स्त्री को कभी भी गहरे रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान खासतौर पर लाल, भूरा और काला रंग तो भूल से भी नहीं पहनना चाहिए। वहीं गर्भ के दौरान पूरे 9 महीने तक नीला, हरा या गुलाबी रंग के वस्त्र ही पहनने चाहिए।
कमेरा का रंग गर्भावस्था पर डालता है खास असर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गर्भवती स्त्रियों को भूलकर भी ऐसे कमरे में नहीं बैठना चाहिए जिसकी दीवारें गहरे रंग के हों या जहां पर्याप्त रोशनी ना हो। गर्भवती स्त्री को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वो जहां भी रहें उस कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और हवा उपस्थित रहे।