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कुत्ते ही नहीं बल्कि इन जानवरों के भी काटने से फैलता है रेबीज रोग

Animals and Rabies: पूरे विश्व में हर वर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है वर्ल्‍ड रेबीज डे लोगों के बीच रेबीज संक्रमण के बारे में जागरूकता फैलाने और पूरे विश्व में इसकी रोकथाम और नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है रेबीज संक्रमण को लेकर ज्यादातर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि यह वायरस कुत्तों के काटने से ही इंसानों में फैलता है लेकिन ऐसा नहीं है क्या आप जानते हैं रेबीज केवल कुत्तों के काटने से ही नहीं बल्कि कई अन्य जानवरों के काटने से भी फैल सकता है आइए जानते हैं आखिर क्या होता है रेबीज बीमारी और किन-किन जानवरों के काटने से फैल सकता है

डब्ल्यूएचओ की मानें तो एशिया और अफ्रीका में इस जूनोटिक रोग का सबसे अधिक खतरा बना रहता है हिंदुस्तान में रेबीज के सबसे अधिक मुद्दे सामने आते हैं दुनिया में रेबीज के 36 प्रतिशत मुद्दे हिंदुस्तान में हैं

क्या है रेबीज रोग-
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लस्सा वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से आदमी को रेबीज बीमारी होता है यह वायरस मनुष्य के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर पीड़ित आदमी के दिमाग में सूजन पैदा करके उसे कोमा में भेज सकते हैं ठीक समय पर पीड़ित को उपचार न मिलने पर उसकी मत्यु भी हो सकती है

कुत्तों के अतिरिक्त ये जानवर भी बनते हैं रेबीज बीमारी का कारण-
रेबीज एक जूनोटिक रोग है, जो संक्रमित बिल्लियों, आवारा कुत्ते, लोमड़ी, चमगादड़ और बंदरों के काटने से भी आदमी में फैल सकती है इसके अतिरिक्त कई बार रेबीज पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी हो जाता है

रेबीज बीमारी के लक्षण-

– बुखार
– चिंता और व्याकुलता
– खाना-पीना निगलने में कठिनाई
– बहुत अधिक लार निकलना
– सिरदर्द
– घबराहट या बेचैनी
-व्यवहार में बदलाव आना
-बिना बात के उत्तेजित होना
– पानी से डर लगने लगता है
-कुछ लोगों को पैरालिसिस (लकवा) होने कि संभावना

कितने दिन में नजर आने लगते हैं रेबीज बीमारी के लक्षण-
रेबीज से संक्रमित होने पर उसके लक्षण हफ्ते भर बाद से लेकर कई वर्षों बाद तक उभर सकते हैं जबकि ज्यादातर लोगों में रेबीज के लक्षण सामने आने में चार से आठ सप्ताह तक का समय लग जाता है

रेबीज से बचने के लिए क्या करें-
-जानवर के काटने पर काटे गए जगह को तुरंत पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लें
-चोट वाली स्थान पर टिंचर लगाएं ऐसा करने से जानवर की लार में पाए जाने वाले कीटाणु सिरोटाइपवन लायसावायरस की ग्यालकोप्रोटिन की परतें घुल जाती हैं और यह बीमारी काफी हद तक कम कारगर हो जाती है, जो बीमार के बचाव में सहायक रहता है
-रेबीज के इलाज के दौरान किसी भी तरह के नशे को करने से बचें
-जख्म पर टांके न लगवाएं
-पालतू कुत्तों का वैक्‍सीनेशन जरुर करवाएं
-जानवर के काटने के तुरंत बाद चिकित्सक से पूछकर बीमार को एंटी रेबीज का इन्जेक्शन लगवाएं क्योंकि एक बार इस बीमारी के लक्षण पैदा हो जाने पर इसका कोई सफल उपचार नहीं है
-डॉक्टर की राय लेकर काटे गए जगह का मुनासिब उपचार करवाएं

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