15 से शुरू होंगे शारदीय नवरात्र नोट कर लें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
शक्ति की देवी की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र तीन दिनों बाद 15 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहा है। मां दुर्गे की आराधना के लिए श्रद्धालु रविवार की सुबह कलश स्थापना कर सप्तशती पाठ प्रारम्भ करेंगे। 15 अक्टूबर की सुबह कलश स्थापना होगी। देवी का आगमन हाथी पर हो रहा है। 22 अक्टूबर को महाष्टमी व्रत है। इस बार 23 अक्टूबर को पूरे दिन हवन का समय है। 24 अक्टूबर की सुबह कलश का विसर्जन होगा। माता देवी मुर्गा पर प्रस्थान कर जाएंगी। इसी दिन नवरात्र का पारण, विजयदशमी, जयंती ग्रहण मनाया जाएगा।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 46 मिनट की है।
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नवरात्रि का पूरा कैलेंडर-
(पहला दिन) – 15 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
(दूसरा दिन) -16 अक्टूबर -मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
(तीसरा दिन) -17 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
(चौथा दिन)-18 अक्टूबर -मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है
(पांचवा दिन)-19 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा
(छठां दिन)- 20 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा
(सातवां दिन) -21 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा
(आठवां दिन) -22 अक्टूबर- मां महागौरी पूजा
(नौंवा दिन) -23 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा
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9 दिन की पूजा- विधि :
- सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के जगह पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
- मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि ईश्वर को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।