लाइफ स्टाइल

बच्चों की मेमोरी पावर स्ट्रांग करने में मद्दद करेगी ये आदतें

याददाश्त की क्षमता सबकी एक समान नहीं होती. आमतौर पर बच्चों की मेमोरी अच्छी होती है. पर कुछ केसेज में इसमें परेशानी देखने को मिलती है. आजकल के बच्चों का अधिक समय मोबाइल चलाते गुजर रहा है. फिजिकल एक्टिविटी कम होती है. ऐसे में उन्हें चीजों को याद रखने में परेशानी आने लगती है. उन्हें पढ़ा हुआ याद नहीं रहता. क्लास में अन्य बच्चों की तुलना में इस तरह की परेशानी उन्हें अधिक आने पर वे हतोत्साहित होते हैं और धीरे-धीरे मनोविकार के शिकार भी हो सकते हैं. इस तरह की स्थिति से बचाने के लिए पैरेंट्स को ध्यान देना महत्वपूर्ण हो जाता है. यहां कुछ सामान्य प्रक्रियाओं का उल्लेख किया जा रहा है, जो आपके बच्चों की मेमोरी पावर स्ट्रांग करने में यूजफुल सिद्ध हो सकती हैं.

पर्याप्त नींद भी है जरूरी

सबसे पहले यह वॉच करें कि आपका बच्चा भरपूर नींद ले रहा है या नहीं. आमतौर पर बच्चों के लिए आठ से दस घंटे की पर्याप्त नींद महत्वपूर्ण होती है. बच्चे भरपूर नींद लें तो उनकी दिमाग पढ़ाई के दौरान अधिक सक्रिय और स्वत:स्फूर्त रहेगा. वे ज्याता एनर्जी के साथ तरोताजा होकर पढ़ सकेंगे और पढ़ी हुई बातें उन्हें याद भी रहेंगी. सोचने-समझने की शक्ति भी इससे बढ़ती है. इसलिए बच्चे को पर्याप्त नींद लेने दें और उन्हें आधी नींद से कभी न जगाएं.

पढ़ाई के दौरान ब्रेक जरूरी

पढ़ाई के दौरान ब्रेक सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. ऐसा कतई ठीक नहीं है कि बच्चा एक बार पढ़ने बैठे तो दो-तीन घंटे बाद ही उठे. मस्तिष्क के ग्रहण करने की भी सीमा होती है. ब्रेक लेकर की गई पढ़ाई लांग टर्म मेमोरी में जाती है. साथ ही इस ब्रेक में एनर्जी के लिए मिल्क या एनर्जी ड्रिंक बच्चे ले सकते हैं. एक अंतराल के बाद बच्चे पढ़ने बैठते हैं तो उनका दिमाग नयी चीजों को ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाता है. थकान हो तो बच्चों को पढ़ाई से ब्रेक लेने को कहें.

उनका काम स्वयं करने दें

स्मरण शक्ति और मानसिक विकास के लिए बच्चों पर छोटी उम्र से ही ध्यान देना महत्वपूर्ण हो जाता है. पेरेंट्स को बच्चों से छोटी-छोटी घरेलू चीजों में हेल्प लेनी चाहिए. ऐसा करने से बच्चों में कॉन्फिडेंस आता है और वह आगे चलकर अपने कार्यों को स्वयं से करने की जिम्मेवारी उठाने लायक बनते हैं. इससे उनकी स्मरण शक्ति तेज होती है. बच्चों को उनकी किताबें स्वयं अलमारी या बुकशेल्फ में स्थान पर रखने को कहें. उनके कपड़ों को भी उन्हें स्वयं ही सहेजने को कह सकते हैं. ऐसा करने से उन्हें यह छोटी-छोटी चीज याद रहेंगी.

बैलेंस डाइट जरूरी

बच्चों का विकास, खासतौर पर मानसिक विकास के लिए भी उनका डायट बहुत अर्थ रखता है. सबसे अहम यह है कि जो डाइट उन्हें पेरेंट्स दे रहे हैं उनमें उन्हें पोषक तत्वों की पूर्ति होती है या नहीं, यह ख्याल रखना चाहिए. बच्चों की डाइट को रिच बनाकर उनके मेमोरी पावर को बढ़ाया जा सकता है. विटामिन डी, विटामिन बी-1, बी-6, बी-12, आयरन, आयोडीन ऐसे न्यूट्रिएंट्स हैं जो बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसलिए डाइट ऐसा रखें जिससे उन्हें इन न्यूट्रिएंट्स की पूर्ति हो सके. इनके साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी महत्वपूर्ण है.

मेंटल एक्सरसाइज

बच्चों की गेम एक्टिविटी को बढ़ाएं. इंडोर गेम्स के साथ आउटडोर गेम्स भी महत्वपूर्ण हैं. इनके अतिरिक्त उन्हें ऐसे गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनका मेंटल एक्सरसाइज हो. उन्हें पजल्स हल करने के लिए दे सकते हैं. पजल्स सॉल्व करने से सोचने-समझने की शक्ति विकसित होती है. इससे दिमाग तेज होता है और मेंटल पावर बढ़ती है.

बच्चों को बाहर घुमाएं

बच्चों को बाहर घुमाना चाहिए. बाहर के वातावरण में निकलने पर वह नई-नई बातें सुनते और सीखते हैं. इससे उनके नॉलेज का दायरा बढ़ता है. बढ़ते बच्चों के मानसिक विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है. बाहर के वातावरण में घुलने-मिलने से उनकी स्मरण शक्ति भी तेज होती है. बच्चों का दायरा घर की चहारदीवारी तक सीमित रखने से उनका विकास रुक जाता है. इसलिए उनके दायरे को सिमटने ना दें.

इन चीजों को करें शामिल

बच्चों के खाने में रोजाना एक अंडा जरूर रखें. रोज दूध पीने के लिए कहें. ड्राई फ्रूट्स खिलाएं. सीजनल फ्रूट्स भी महत्वपूर्ण हैं. रोजाना एक चम्मच घी जरूर खिलाएं. इसमें गुड फैट्स होते हैं जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इन गतिविधियों को अपनाएं

  • बच्चों को म्यूजियम, साइंस सेंटर, आर्ट गैलरी जैसी जगहों पर ले जाएं और उन्हें नई-नई जानकारियों से रूबरू कराएं.
  • बच्चों को पढ़ाने के लिए विजुअलाइजेशन का सहारा लें. इससे चीजें उन्हें लंबे समय तक याद रहती हैं.
  • कोर्स की पुस्तकों से हटकर उन्हें जानकारी वाली बुक्स और मैगजीन पढ़ने के लिए भी प्रेरित करें.
  • नॉर्मल पढ़ाई के अतिरिक्त बच्चों को एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों में भाग लेने के लिए छूट दें.
  • बच्चों को अपने साथ एक्सरसाइज और योगा का अभ्यास कराएं. इससे शारीरिक और मानसिक स्तर पर फर्क पड़ेगा.

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