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Covid-19: अपशिष्ट जल में पाया गया शरीर की प्रतिरक्षा को चकमा देने वाला ये वैरिएंट

दुनिया के कई राष्ट्रों में पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 के नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण और हॉस्पिटल में भर्ती रोगियों की संख्या बढ़ती हुई देखी गई है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूएस में कोविड-19 संक्रमितों में मृत्यु के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है कोविड-19 के जिन वैरिएंट्स के कारण संक्रमण का जोखिम बढ़ा है उनमें एरिस (EG.5.1) और पिरोला (BA.2.86) प्रमुख हैं, ये दोनों ही ओमिक्रॉन स्ट्रेन के सब-वैरिेंट्स हैं डब्ल्यूएचओ (डब्ल्यूएचओ) ने इन वैरिएंट्स के कारण बढ़ते खतरे को लेकर लोगों को अलर्ट करते हुए सावधानी बरतते रहने की अपील की है

इस बीच कोविड-19 के हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक के अत्यधिक म्यूटेटेड माने जा रहे बीए.2.86 वैरिएंट्स के कारण अमेरिका के करीब 10 स्टेट्स में संक्रमण के मुद्दे तेजी से बढ़े हैं वर्ल्डवाइड कोविड ट्रैकिंग डेटाबेस की रिपोर्ट के मुताबिक यूके और यूएस सहित कई अन्य राष्ट्रों में भी इस वैरिएंट के कारण स्वास्थ्य जोखिम और अस्पतालों में मरीजों के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है रिपोर्ट में कोविड-19 के स्रोतों को लेकर जो जानकारी साझा की गई है, उसने स्वास्थ्य जानकारों की चिंता और बढ़ा दी है आइए इस बारे में जानते हैं

अपशिष्ट जल में पाया गया BA.2.86

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा कोविड-19 के जोखिमों को समझने के लिए किए जा रहे अध्ययन में जानकारों ने बड़ी जानकारी साझा की है रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका में अपशिष्ट जल में भी BA.2.86 भी पाया गया है वेस्टवाटर ट्रैकिंग रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के मुद्दे अमेरिका में अभी भी  दुर्लभ हैं कि खतरे के साधन के तौर पर नहीं बताया जा सकता है

शुक्रवार के अपडेट के अनुसार, सीडीसी ऑफिसरों बोला BA.2.86 कई कम्युनिटीज के बीच फैल रहा है, लेकिन अच्छी बात ये है कि यह इसके कारण स्वास्थ्य जोखिम अधिक नहीं है

शरीर की प्रतिरक्षा को चकमा देने वाला वैरिएंट

कोरोना के इन नए वैरिएंट्स के कारण बढ़ते जोखिमों को लेकर इस महीने की आरंभ में द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में जापानी शोधकर्ताओं ने चिंता जताते हुए बोला था कि पिरोला वैरिएंट पूरे विश्व में बहुत साइलेंटली फैल रहा है टोक्यो यूनिवर्सिटी की टीम के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षण किए जिससे पता चला कि टीके या पूर्व संक्रमण से शरीर में बनी सुरक्षा भी BA.2.86 के विरुद्ध उतनी कारगर नहीं हो सकती है नए वैरिएंट्स में अतिरिक्त म्यूटेशनों के कारण ये बहुत सरलता से शरीर को प्रतिरक्षा को चकमा देकर लोगों को संक्रमित करने में सफल हो रहा है

अधिक म्यूटेशन बढ़ा रहे हैं जोखिम

ओमिक्रॉन के पिरोला वैरिएंट की प्रकृति को समझने के लिए किए गए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें मूल वैरिएंट की तुलना में 30 से अधिक म्यूटेशन हो सकते हैं, जिससे संक्रमण के काफी तेजी से बढ़ने का खतरा रहता है शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करने में इन्हीं म्यूटेशनों को उत्तरदायी माना जाता है इन नए वैरिएंट्स में अधिक म्यूटेशनों की संख्या ने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य जानकारों के लिए चिंता बढ़ा दी है

अध्ययन के लेखकों ने बताया, कुल मिलाकर, ये नतीजे बताते हैं कि BA.2.86 अब तक के सबसे अधिक प्रतिरक्षा प्रतिरोधी वैरिएंट में से एक है

सभी लोगों को बचाव करते रहने की आवश्यकता

कोरोना के इन नए वैरिएंट्स के बारे में जानने के लिए किए गए प्रारंभिक प्रयोगशाला प्रयोगों से पता चला है कि जिन लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, यदि उनमें संक्रमण हो जाता है तो गंभीर बीमारी विकसित होने या मौत का खतरा कम है हालांकि सभी लोगों को इन नए वैरिएंट्स से बचाव करते रहने की जरूरत है इसकी प्रकृति ऐसी है जिससे बड़ी जनसंख्या में संक्रमण के बढ़ने का जोखिम हो सकता है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र पर बड़े दबाव का कारण बन सकती है

 

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