राजस्थान के इस गांव को कहा जाता है तेदुओं को गढ़, जानें इस गांव की दिलचस्प बातें
राबड़ी नाम समुदाय –
राजस्थान के इस गांव में कदम रखते ही आपको राजस्थान के रेगिस्तान का नजारा देखने को मिलेगा। यहां के ग्रामीण पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। आपको बता दें, यहां के लोग रबारी नामक खानाबदोश चरवाहा समुदाय से हैं, जो मूल रूप से हजारों वर्ष पहले बलूचिस्तान से आए थे और यहां बस गए थे। राबड़ी समुदाय का मानना है कि इनका निर्माण ईश्वर शिव और माता पार्वती ने किया है।
राजस्थान का बेरा गांव तेंदुआ राष्ट्र –
कुदरत का करिश्मा कहें या कुछ और, बेरा गांव में तेंदुआ और आदमी एक साथ रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ईश्वर शिव और पार्वती के भक्त हैं। ईश्वर शिव के तेंदुए की खाल से लिपटे होने के कारण जानवरों को बहुत पवित्र माना जाता है। इसके अतिरिक्त इस गांव को तेंदुए का राष्ट्र भी बोला जाता है। कई रिपोर्टों के अनुसार, क्षेत्रीय टूर ऑपरेटर तेंदुआ न मिलने पर पर्यटकों को मनी-बैक गारंटी भी देते हैं। आप यहां अक्सर जानवरों को मंदिरों के बाहर, झाड़ियों के पीछे, पथरीली रेत पर देख सकते हैं।
एक हजार वर्ष पुराना है तेंदुओं का इतिहास-
दुनिया के सबसे खूंखार शिकारियों में से एक तेंदुओं का इतिहास इस गांव में एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है। आज बेरा उन जगहों में से एक है जहां सबसे अधिक तेंदुए पाए जाते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है कि इन जानवरों ने आज तक किसी को हानि नहीं पहुंचाया है। कई बार गांव में आने वाले पर्यटक तेंदुओं को घूमते देखकर डर जाते हैं। लेकिन इन्हें देखने के बाद गांव के लोगों को कोई डर नहीं लगता।
गाँव कहाँ है?
बेरा गाँव राजस्थान के पाली जिले में स्थित है और जोधपुर और उदयपुर के बीच स्थित है। यह उदयपुर से लगभग 140 किमी दूर है। जवाई नदी और जवाई बांध बेरा के पास हैं। जवाई बांध जिले में सुजान जवाई कैंप तेंदुए को देखने के लिए सबसे अच्छे आवास विकल्पों में से एक है।