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आज पौष पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान और दान के साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने का है विशेष महत्व

आज पौष महीने की पूर्णिमा है. सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि होने से स्नान-दान, पूजा-पाठ और व्रत भी आज ही किया जाएगा. ग्रंथों में इसे पौष पर्व बोला है. शास्त्रों में पौष पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान और दान के साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व कहा गया है.

विद्वानों का बोलना है कि इस महीने सूर्यदेव की अराधना से मोक्ष मिलता है. इसलिए इस पौष महीने की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने की परपंरा है. इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाने की चीजें और ऊनी कपड़ों का दान करने से जाने-अनजाने में हुए पाप समाप्त हो जाते हैं.

तीर्थ स्नान और सूर्य-चंद्र पूजा
पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य और मोक्ष मिलता है. विद्वानों के मुताबिक, इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने का विधान है. सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना गया है. जबकि शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा कर के व्रत खोलना चाहिए.

सूर्य पूजा: ये पर्व पौष महीने का अंतिम दिन होता है. पौष महीने के देवता ईश्वर सूर्य हैं, इसलिए इस महीने के समाप्त होते समय सुबह शीघ्र उठकर ईश्वर सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. उत्तरायण के चलते इस दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां समाप्त होती हैं. पौष महीने की पूर्णिमा

चंद्रमा पूजा: सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ये पहली पूर्णिमा होती है. पुराणों में कहा गया है कि उत्तरायण के बाद पहली पूर्णिमा पर चंद्रमा की 16 कलाओं से अमृत वर्षा तो होती ही है, साथ ही इस दिन चंद्र को दिया गया अर्घ्य पितरों तक पहुंचता है. जिससे पितृ संतुष्ट होते हैं.

पौष पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी ही राशि यानी कर्क में होता है, इसलिए इसका असर बढ़ जाता है. विद्वानों का बोलना है कि निरोगी रहने के लिए इस दिन औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन सुबह सेवन करना चाहिए. ऐसा करने से रोंगों में राहत मिलने लगती है.

नदी स्नान का महत्व
ग्रंथों में बोला गया है कि पौष पूर्णिमा के मौके पर पवित्र नदियों में नहाने से मोक्ष तो मिलता ही है साथ ही कई तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. लिहाजा इस दिन तीर्थों में लोग इकट्‌ठा होते हैं. तीर्थ स्नान नहीं कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है. इस दिन प्रयागराज में संगम के अतिरिक्त हरिद्वार और गंगासागर में डुबकी लगाने का बहुत पुण्य मिलता है.

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