महिलाओं में यूटीआई की समस्याएं से छुटकारा पाने के लिए इन चीजों का करें इस्तेमाल
कुदरत ने मर्दों की तुलना में स्त्रियों का शरीर बहुत जटिल बनाया है। बच्चे को 9 महीनों तक अपनी कोख में रखना पड़ता है। इसलिए प्रजनन अंगों की जटिलताएं उतनी ही अधिक रहती है। स्त्रियों में अक्सर UTI इंफेक्शन यानी पेशाब से संबंधित इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है। कम उम्र की लड़कियों में भी ये परेशानियां होने लगती हैं। कई बार पेशाब की परेशानी इतनी अधिक हो जाती है कि खांसते हुए या छींकते हुए भी पेशाब निकल आता है। बार-बार पेशाब आने की परेशानी भी हमेशा बनी रहती है। कुछ स्त्रियों में ओवरएक्टिव ब्लैडर यानी अतिसंवेदनशील मूत्राशय भी हो जाता है। आखिर इन सब परेशानियों की वजह क्या है। इसी विषय पर हमने किडनी स्पेशलिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट डाक्टर प्रीत बंसल से बात की।
महिलाओं में UTI के कारण
डॉ। प्रीति बंसल ने कहा कि दरअसल, स्त्रियों में यूरनेरी ब्लैडर प्रजनन अंगों से बिल्कुल सटा होता है। प्रजनन अंगों के पास ही गर्भाशय के साथ-साथ मलाशय और मूत्राशय दोनों होते हैं। इस वजह से यह स्थान बहुत संकीर्ण हो जाती है। इस कारण यहां थोड़ी सी हलचल आसपास के पूरे अंगों को प्रभावित करने लगती है। डाक्टर प्रीति ने कहा कि स्त्रियों में पेशाब का रास्ता, बच्चेदानी यानी यूट्रस और मलद्वार एकदम सटा हुआ होता है। इसके साथ ही हर महीने होने वाले पीरियड्स के कारण आसपास के अंगों को जबर्दस्त हार्मोनल परिवर्तन से गुजरना पड़ता है। इससे इस स्थान का पीएच या एसिडिक लेवल में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है। इन सब कारणों से बैक्टीरिया या फंगस के इंफेक्शन का खतरा हमेशा बना रहता है। यही कारण है स्त्रियों को अक्सर UTI की परेशानी से दो-चार होना पड़ता है।
कुछ मामलों में जटिलताएं ज्यादा
डॉ। प्रीति बंसल ने कहा कि कुछ मामलों में स्त्रियों में डिलीवरी के समय कुछ जटिलताओं के कारण यूरेनरी ब्लैडर के मसल्स में खिंचाव पड़ जाता है। इससे मूत्राशय की नली कमजोर होने लगती है। स्त्रियों में मूत्र नली पहले से ही बहुत छोटी और पतली होती है। जब डिलीवरी के समय इसमें खिंचाव आता है तो इसके बाद यूरीन को रोकने में परेशानी होने लगती है। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ ही और जटिल होती जाती है और कभी-कभी लीक भी होने लगता है।
बैक्टीरिया के पनपने का मौका अधिक
डॉ। प्रीति बंसल ने कहा कि रिलेशनशिप के कारण UTI का खतरा और अधिक हो जाता है। इसका कारण है कि एक तो पहले से वहां मलद्वार होने के कारण बैक्टीरिया के भरमार होते हैं, दूसरा जब मेल ऑर्गेन टच होता है तो यूरेनरी ट्रैक्ट का पीएच लेवल चेंज होकर एसिडिक लेवल में कमी आती है। जैसे ही एसिडिक लेवल कम होता है लाखों बैक्टीरिया वहां इकट्ठे हो जाते हैं। इससे यूरेनरी ट्रैक्ट के वॉल्व में सूजन होने लगती है। इसे सिस्टाइटिस कहते हैं। यही से इंफेक्शन की आरंभ होने लगती है। वॉल्व में सूजन होने के कारण पेशाब रोकना कठिन हो जाता है। हालांकि सामाजिक कारणों की वजहों से कुछ महिलाएं पेशाब को रोक लेती है लेकिन इससे परेशानी और बढ़ जाती है।
UTI से कैसे छुटकारा पाएं
डॉ। प्रीति बंसल कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि हर स्त्रियों में यूटीआई की समस्याएं हो ही। जो महिलाएं ठीक ढंग से साफ-सफाई का ख्याल रखती हैं, उनमें यूटीआई का खतरा बहुत कम रहता है। दरअसल, ब्लैडर को मजबूत बनाने के लिए स्त्रियों को पर्सनल हाइजीन का विशेष ख्याल रखना चाहिए। यूरीन को रोकना नहीं चाहिए। जैसे ही पेशाब लगे वॉशरूम जाना चाहिए। जब आप इसे साफ करती हैं तो इसे सॉफ्ट कॉटन से पोछना चाहिए। नहाते समय इन अंगों में खुशबूदार साबुन या अन्य चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नहाते समय ब्लैडर के मुंह को पानी से धोना चाहिए।
बिना हाथ साफ किए इन अंगों को नहीं छूना चाहिए। डाक्टर प्रीति बंसल ने कहा कि भारतीय स्त्रियों में UTI का एक सामान्य कारण है कि वे जब इस एरिया को पानी से साफ करती हैं तो बैक टू फ्रंट साफ करती हैं। यह गलत तरीका है क्योंकि जब आप पीछे से हाथ को आगे करेंगी तो रेक्टम के पास जो बैक्टीरिया पहले से चिपके हुए होंगे वे पेशाब के रास्ते तक सरलता से आ जाएंगे और ये अंदर जाकर इंफेक्शन का कारण बनेंगे। इसलिए हमेशा हाथ को आगे से पीछे की ओर ले जाना चाहिए। इन सबके अतिरिक्त यूटीआई से बचने के लिए हेल्दी डाइट भी महत्वपूर्ण है। स्ट्रॉबेरी, क्रेनबेरी का जूस यूटीआई इंफेक्शन को रोकने में कारगर है।