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गणपति उत्सव का क्या है वैज्ञानिक और व्यावहारिक पक्ष…

लाइव हिंदी समाचार :-मैं जब कोई उत्सव इंकार रहा होता हूं तो मेरे भीतर सोच-विचार का क्रम भी चलता रहता है मैं यह तलाशने की प्रयास करता हूं कि इस उत्सव का वैज्ञानिक और व्यावहारिक पक्ष क्या है? क्या संदेश छिपे हैं इनमें? क्या हम उन संदेशों को अपने भीतर उतार रहे हैं? जहां तक गणोशजी का प्रश्न है तो हम किसी भी नए काम की आरंभ के लिए कहते हैं ‘श्रीगणोश कीजिए’ इतना ही नहीं हम सबसे पहले गणपति की ही पूजा-अर्चना करते हैं यानी गणपति हमें संदेश देते हैं कि कुछ न कुछ नया करने की प्रवृत्ति आदमी के भीतर होनी चाहिए इसे थोड़ा और विस्तार दें तो यह कह सकते हैं कि गणोशजी से हमें इनोवेशन का संदेश भी मिलता है आज के दौर में यह सबसे बड़ी आवश्यकता भी है इनोवेशन ही हमारे समाज और राष्ट्र को विकास के पथ पर ले जाएगा अपने बच्चों को गणपति की आराधना का तरीका सिखाएं कि वे इनोवेटिव बनें

गणोशजी बुद्धि के देवता भी कहे जाते हैं वे विघ्न विनाशक यानी समस्याओं को दूर करने वाले माने जाते हैं इसमें कितना बड़ा संदेश छिपा है कि जब बुद्धि प्रखर होगी तो समस्याओं से निपटने का तरीका भी उतनी ही सहजता से आप ढूंढ सकते हैं जब हम गणपति की आराधना करते हैं तो हमें यह संकल्प भी लेना चाहिए कि न सिर्फ़ स्वयं बुद्धिमान बनने की प्रयास करेंगे बल्कि अपने बच्चों को भी प्रेरित करेंगे यदि राष्ट्र का हर बच्च पढ़ा-लिखा और बुद्धिमान हो जाए तो उस देश के सामने आने वाली हर परेशानी दूर हो जाएगी वे ईश्वर शिव के गणों के अध्यक्ष हैं यानी वे हमें नेतृत्व शैली भी सिखाते हैं

गणपति को मंगलमूर्ति भी बोला जाता है क्या कभी आपने सोचा है कि उन्हें यह नाम क्यों मिला होगा? उनकी आकृति पर कभी गौर करिए तो बहुत कुछ समझ में आ जाएगा  गणोशजी का सिर काफी बड़ा है यह माना जाता है कि जिसका सिर बड़ा हो वह अत्यंत तीक्ष्ण बुद्धि का स्वामी तो होता ही है, उसमें गजब की नेतृत्व क्षमता भी होती है गणोशजी के बड़े सिर से हमें यह संदेश मिलता है कि हर आदमी को अपनी सोच बड़ी रखनी चाहिए उनकी आंखें छोटी हैं छोटी आंखें चिंतन की प्रकृति की परिचायक हैं गणोशजी की छोटी आंखों से हम यह संदेश प्राप्त कर सकते हैं कि हर चीज को अत्यंत सूक्ष्म ढंग से देखें, परखें और फिर  कोई फैसला लें

गणोशजी का एक नाम गजकर्ण भी है यह नाम उन्हें अपने कानों के कारण मिला है उनके कान हाथी के  हैं किसी भी और देवी-देवता के कान इस तरह के नहीं हैं ऐसा माना जाता है कि लंबे कान वाले आदमी अत्यंत भाग्यशाली होते हैं मुझे लगता है कि लंबे कान का संदेश यह है कि आप पूरी दुनिया की सुनें आप सुनेंगे नहीं तो जानकारियां आप तक पहुंचेंगी कैसे? सुनेंगे नहीं तो संवाद कैसे होगा? दूसरे का पक्ष आप कैसे जान पाएंगे आप सुनेंगे नहीं तो ठीक फैसला कैसे कर पाएंगे? यानी लोकतांत्रिक परंपरा के लिए तो यह संदेश सबसे अधिक महत्वपूर्ण है दुर्भाग्य से आज सुनने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है हर कोई बस अपनी सुनाना चाहता है ऐसे दौर में गणोशजी का यह संदेश सबसे अधिक जरूरी है इसी तरह से गणपति की सूंड से हमें सीख मिलती है आपने देखा होगा कि हाथी अपनी सूंड कभी भी स्थिर नहीं रखता है यह सक्रियता का प्रतीक है जो आदमी जीवनर्पयत एक्टिव रहता है वह समस्याओं को स्वयं से काफी दूर रखता है

अब जरा गणोशजी के पेट पर नजर डालिए! अपने पेट के कारण उन्हें लंबोदर नाम मिला है उनका पेट इस बात का प्रतीक है कि आदमी को बहुत सी बातें अपने पेट में हजम कर लेनी चाहिए चुगली से दूर रहना चाहिए चुगली बड़े संघर्षो को जन्म देती है खुशहाल रहने के लिए बहुत सी बातों को पचा लेना बहुत महत्वपूर्ण है गणपति को एकदंत भी बोला जाता है कहते हैं कि परशुरामजी ने गणोशजी का एक दांत तोड़ दिया  कमाल देखिए कि उन्होंने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया तो ऐसे श्री गणोशजी की आराधना के उत्सव में आप सबको बधाई! बस उनके संदेशों को अपने आप में समा लीजिए और बच्चों को भी इन संदेशों के अनुरूप संस्कारित करिए

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