दिवाली के 1 दिन पहले क्यों की जाती है हनुमान जी की पूजा, साल में 2 बार क्यों आते है ये पर्व
दीपावली के पर्व को लेकर पूरे राष्ट्र में उत्साह और उमंग है। धार्मिक मान्यता है कि लंका विजय प्राप्त कर प्रभु राम जब अयोध्या पहुंचे थे तो अयोध्या वासियों ने दीप माला जलाकर उनका स्वागत किया था। त्रेता युग के इस परंपरा को कलयुग में भी निभाई जा रही है। दिवाली का पर्व जहां ईश्वर राम के 14 साल के वनवास से अयोध्या नगरी लौटने की खुशी में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ उनके परम भक्त पवन पुत्र हनुमान का भी जन्मोत्सव ठीक दिवाली की एक दिन पहले मनाया जाता है।
दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन माता काली की पूजा के साथ पवन पुत्र हनुमान का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। हनुमान जयंती को लेकर कई तरह की कथाएं भी प्रचलित हैं। हनुमान जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। इन्हीं सब प्रश्नों का उत्तर आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि हनुमान जयंती आखिर क्यों दिवाली की एक दिन पहले मनाई जाती है। और वर्ष में दो बार क्यों हनुमान जयंती मनाने के पीछे क्या मान्यता है। अयोध्या सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ के महंत राजू दास बताते हैं कि वायु पुराण के अनुसार हनुमान जी के जन्म को लेकर कुछ श्लोक भी दिए गए हैं।
“आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः।
मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हरः शिवः।।”
अर्थात वायु पुराण के अनुसार बोला जाता है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को दिन मंगलवार स्वाति नक्षत्र के मेष लग्न में हुआ है। हालांकि कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दिवाली मनाई जाएगी।
“ऊर्जे कृष्णचतुर्दश्यां भौमे स्वात्यां कपीश्वरः
मेष लग्ने अन्जनागर्भात प्रादुर्भूतः स्वयं शिवा “
कब है हनुमान जयंती ?
अयोध्या के महंत राजू दास बताते हैं कि कार्तिक माह में पड़ने वाली हनुमान जयंती छोटी दिवाली के दिन मनाई जाती है। इस बार हनुमान जयंती 11 नवंबर 2023 दिन शनिवार यानी की आज है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जी की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है। बोला जाता है कलयुग में हनुमान जी सबसे जागृत देव हैं। मान्यता भी है कि आज भी हनुमान जी कलयुग में भक्तों की रक्षा करते हैं।
हनुमान जी को समर्पित है ये दिन
सप्ताह का एक दिन यानी मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन पवन पुत्र बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए लोग बजरंगबली के मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं। उन्हें लड्डू का भोग लगाते हैं। विधि विधान पूर्वक उनकी आरती उतारते हैं। यदि आप भी हनुमान जी की पूजा आराधना करते हैं। तो उनको लाल सिंदूर जरूर अर्पित करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में हमेशा लाल रंग के आसन पर बैठकर ही पूजा करनी चाहिए।
रामद्वारे तुम रखवारे
हनुमान जी की प्रतिमा हमेशा राम दरबार के नीचे ही रखनी चाहिए। इतना ही नहीं हनुमान चालीसा में भी बोला गया है रामद्वारे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिन पेसारे। अर्थात हनुमान जी की आज्ञा लिए बिना कोई भी भक्त रामलाल का दर्शन नहीं पा सकता। शायद यही वजह है कि अयोध्या में जब भी कोई भक्त रामलला का दर्शन पूजन करने आता है तो उसे सबसे पहले हनुमानगढ़ी जाकर बजरंगबली का दर्शन पूजन करना पड़ता है।