एम्स की स्मार्ट लैब में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे कर रहा काम…
AI in AIIMS Delhi: रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एंट्री अब राष्ट्र के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में भी हो गई है। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्मार्ट लैब में रोबोटिक उपकरण और एआई डॉक्टरों की सहायता कर रहे हैं। टोटल ऑटोमेशन सिस्टम पर काम रही इस लैब में जांच का सैंपल लेने से लेकर, प्लेस करने, रीकैपिंग और रिजल्ट जारी करने तक का काम रोबोटिक मशीनों और एआई के द्वारा किया जा रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ लेबोरेटरी मेडिसिन के भीतर आने वाली एम्स की स्मार्टलैब में करीब 100 तरह की प्रतिदिन 80 से 90 हजार जांचें की जा रही हैं वहीं करीब 5 से 6 हजार सैंपल प्रतिदिन जमा किए जा रहे हैं। इस बारे में स्मार्ट लैब विभाग के एचओडी प्रो। सुदीप दत्ता ने कहा कि एआई और रोबोटिक इक्विपमेंट की वजह से डॉक्टरों और रोगियों दोनों को ही लाभ हो रहा है।
पूरी तरह ऑटोमेटिक सिस्टम पर काम रही लैब के चलते करीब 50 प्रतिशत सैंपलों की जांच रिपोर्ट महज 4 घंटे के अंदर मिल रही है, जबकि 90 प्रतिशत से ज्यादा रिपोर्ट्स उसी दिन 12 घंटे के अंदर मिल पा रही हैं।
आर्टिफिशियन इंटेलिजेंस कैसे कर रहा काम
डॉ। दत्ता ने कहा कि एम्स की स्मार्ट लैब में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग टेस्ट रिपोर्ट्स के रिजल्ट बनाने के लिए होता है। यह शुरुआती स्तर है। इसके लिए रूल बेस्ड एलगोरिद्म डेवलप किया गया है। जिसके चलते 40 से 50 प्रतिशत रिपोर्ट्स ऑटो वेलिडेट हो जाती हैं। इन्हें एक्सपर्ट को मैनुअली रिव्यू नहीं करना पड़ता। ये सभी कम क्रिटिकल या नॉन क्रिटिकल रिपोर्ट्स होती हैं, वहीं यदि कोई क्रिटिकल रिपोर्ट आती है तो उसे डॉक्टर रिव्यू करते हैं। इसकी जानकारी रूल बेस्ट एलगोरिद्म के माध्यम से मिल जाती है।
क्या है फायदा?
डॉ। दत्ता कहते हैं कि सभी सैंपल ऑटोमेटिक सिस्टम से गुजरते हैं। इनमें से करीब 50 प्रतिशत रिपोर्ट्स पर डॉक्टरों को मैनुअली नहीं लगना पड़ता। इसकी वजह से डॉक्टरों पर वर्क लोड कम हो रहा है। साथ ही इससे समय की भी थोड़ी बचत तो है ही एक्सपर्ट डॉक्टर्स को महत्वपूर्ण कामों में लगाना संभव हो रहा है। इसका लाभ अल्टीमेटली रोगियों को भी है। आने वाले समय में टेस्ट रिपोर्ट्स की संख्या और भी बढ़ सकती है।