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कतर और भारत दोनों एक-दूसरे के लिए है बेहद महत्वपूर्ण, जाने क्यों…

Why India And Qatar Are Important For Each Other : पीएम मोदी देर रात कतर से स्वदेश लौट आए हैं उनकी संयुक्त अरब अमीरात की विजिट पहले से तय थी लेकिन कतर का दौरा अचानक बना पीएम ने पहले भी अचानक यात्राएं की हैं उनकी पाक की एक यात्रा काफी सुर्खियों में रही, जब वे पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के घर पहुंच गए थे कतर की अचानक बनी इस यात्रा के कई अर्थ हैं जितने मुंह-उतनी बातें सामने आ रही हैं लेकिन कतर और भारत, दोनों एक-दूसरे के लिए बहुत जरूरी हैं समय-समय पर दोनों ने यह साबित भी किया है

पीएम मोदी का ताजा कतर दौरा बहुत संक्षिप्त था वे 14 फरवरी शाम कतर पहुंचे हैं और 15 फरवरी रात दिल्ली वापस आ गए वहां उनकी मुलाकात कतर के शासक और अन्य जरूरी लोगों से हुई पीएम की अचानक बनी इस यात्रा को पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई से जोड़कर देखा जा रहा है फांसी की सजा पाए आठ भारतीय पूर्व नौसैनिकों की सजा पहले कम हुई और अब वे रिहा होकर स्वदेश पहुंच गए हैं वापसी के बाद सभी ने मुक्तकंठ से मोदी की सराहना की है राष्ट्र ने भी माना कि उनकी रिहाई केंद्र गवर्नमेंट और पीएम की कूटनीति की वजह से ही हो पाई है मोदी ने लगभग सभी खाड़ी राष्ट्रों से आगे बढ़कर संबंध को गर्मी दी है लेकिन सऊदी अरब, यूएई, कतर का विशेष जगह है तीनों राष्ट्रों की हिंदुस्तान में रुचि है सऊदी अरब और यूएई तो हिंदुस्तान में इन्वेस्ट भी कर रहे हैं

एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं भारत-कतर

अचानक बनी कतर यात्रा का सच जो भी हो, पर कतर-भारत एक-दूसरे के लिए बहुत जरूरी हैं कतर की लगभग एक चौथाई जनसंख्या हिंदुस्तानियों की है कतर की तरक्की में हिंदुस्तानियों का सबसे बाद सहयोग है मजदूर भारतीय तो हैं ही, करीब 15 हजार हिंदुस्तानियों ने वहां कंपनियां खोल रखी हैं और दोहा में बैठकर बिजनेस कर रहे हैं व्यापार, कूटनीति की दृष्टि से तो दोनों के-दूसरे के लिए जरूरी हैं ही जब खाड़ी के अनेक मुसलमान राष्ट्रों ने कतर का साथ छोड़ दिया था तब भी हिंदुस्तान उसके साथ खड़ा था यह रिश्तों में गर्माहट का ही असर है कि कतर एलएनजी की आपूर्ति हिंदुस्तान को आधी मूल्य पर कर रहा है यद्यपि, बीजेपी नेता रहीं नूपुर शर्मा के पैगंबर साहब को लेकर दिए गए एक विवादित बयान पर दुनिया का पहला राष्ट्र कतर ही था जिसने विरोध जताई और माफी मांगने को कहा पर, जैसे ही बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से हटाने का निर्णय किया तो कतर ने आगे बढ़कर स्वागत भी किया

50 साल से अधिक का भारत-कतर का रिश्ता

कतर और हिंदुस्तान के बीच राजनयिक संबंध 1970 के दशक में बने औपचारिक तौर पर कतर ने हिंदुस्तान में वर्ष 1974 में राजदूत की नियुक्ति की यद्यपि बड़ी संख्या में भारतीय वहां पहले से उपस्थित थे बोला जा सकता है कि कतर की तरक्की में भारत-भारतीयों की भिन्न-भिन्न लेकिन जरूरी भूमिकाएं हैं

व्यापार में भी दोनों राष्ट्रों की अहम भागीदारी

साल 1990 तक कतर की कुल जनसंख्या का एक तिहाई भारतीय वहां रह रहा था कतर, हिंदुस्तान से अनाज, कपड़े, मशीनरी, सब्जियां और दैनिक जीवन के लिए जरूरी चीजों की खरीद कर रहा है तो वह हिंदुस्तान को एलएनजी की आपूर्ति का रहा है चीन और जापान के बाद गैस खरीदने वाला हिंदुस्तान तीसरा सबसे बड़ा साझेदार है कहने की आवश्यकता नहीं है कि गैस की किरदार हमारे लिए बहुत जरूरी है इसका इस्तेमाल ऊर्जा के अनेक क्षेत्रों में हो रहा है दोनों राष्ट्रों के बीच वर्ष 2022-23 में व्यापार लगभग 19 अरब $ का था इसमें करीब 17 अरब $ का आयात तथा दो अरब $ का निर्यात शामिल है

पीएम मोदी ने रिश्तों को और आगे बढ़ाया

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भिन्न-भिन्न मौकों पर वहां के शासक थानी से कई मुलाकातें की वे कतर भी गए और दूसरे राष्ट्रों में भी मिले नतीजा यह हुआ कि कतर ने एलएनजी की मूल्य आधी कर दी हालांकि, ऐसा कुछ शर्तों के साथ हुआ लेकिन हिंदुस्तान की बड़ी विदेशी मुद्रा बचने लगी वर्ष 2017 में जब कतर के संबंध पड़ोसी राष्ट्रों सऊदी अरब, बहरीन, यूएई, मिस्र आदि से खराब हो गए तब भी हिंदुस्तान ने सामंजस्य बैठाते हुए कतर का साथ दिया यह जरूरी था मोदी से पहले पीएम रहे डॉ मनमोहन सिंह ने भी वर्ष 2008 में कतर का दौरा किया था

 

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