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कांग्रेस बोली- भाजपा के पाखंड की सीमा नहीं, पहले 2G स्पेक्ट्रम आवंटन को घोटाला कहा अब….

कांग्रेस ने केंद्र गवर्नमेंट की 2G स्पेक्ट्रम पर उच्चतम न्यायालय से निर्णय में परिवर्तन की मांग को पाखंड कहा है. कांग्रेस पार्टी का बोलना है कि बीजेपी के पाखंड की कोई सीमा नहीं है. क्योंकि एक तरफ उसने UPA गवर्नमेंट में हुए 2जी स्पेक्ट्रम के सरकारी आवंटन को भ्रष्टाचार बोला था. वहीं, दूसरी तरफ अब नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट नीलामी के बिना स्पेक्ट्रम देने के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुमति मांग रही है.

कांग्रेस का यह बयान तब आया है जब केंद्र गवर्नमेंट ने 22 अप्रैल को 2G स्पेक्ट्रम मुद्दे में अपने निर्णय में परिवर्तन के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय से बोला है कि राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधनों को हैंडओवर या अलग करते समय नीलामी का रास्ता अपनाना राज्य का कर्तव्य है.

कांग्रेस के केंद्र गवर्नमेंट पर आरोप…

  • कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बोला कि मोदी गवर्नमेंट और करप्ट जनता पार्टी का पाखंड कोई सीमा नहीं रखता. डाक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उन्होंने हर किसी से बोला कि 2जी स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन एक भ्रष्टाचार था. अब, वे इससे उलट तर्क दे रहे हैं. वे नीलामी के बिना, जिसे चाहें स्पेक्ट्रम देने की अनुमति के लिए उच्चतम न्यायालय गए हैं.
  • मोदी गवर्नमेंट पहले से ही पब्लिक प्रॉपर्टीज को पीएम के पूंजीपति मित्रो को सौंपती जा रही है. एयरपोर्ट्स एक कंपनी को सौंप दिए. कोयला खदानों की धोखे से नीलामी कर दी. यहां तक ​​कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को चुनावी बॉन्ड में 150 करोड़ रुपए के बदले सौंप दिया गया है.
  • रमेश ने यह भी इल्जाम लगाया कि मोदी गवर्नमेंट ने कुल 4 लाख करोड़ रुपए के सार्वजनिक संसाधन अपने कॉर्पोरेट डोनर्स को सौंप दिए हैं.

4 जून को जनता गवर्नमेंट को बाहर का रास्ता दिखा देगी- रमेश
कांग्रेस नेता ने बोला कि इंडी ब्लॉक गवर्नमेंट सत्ता में आने पर अडानी मेगा घोटाले पर एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन करेगी. साथ ही पे पीएम घोटाले समेत इन सभी घोटालों की जांच करेगी. जिसके जरिए बीजेपी ने 8200 करोड़ रुपए जमा किए. 4 जून को हिंदुस्तान के मतदाता संगठित लूट की इस पार्टी को बाहर का रास्ता दिखा देंगे. सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए मतदान 19 अप्रैल से प्रारम्भ हुआ था. वोटों की गिनती 4 जून को होगी.

केंद्र गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय में क्या आवेदन दिया था
दरअसल, केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच में एक आवेदन दिया था. इस पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई थी. बेंच को कहा गया था कि याचिका में 2012 के निर्णय में संशोधन की मांग की गई है क्योंकि केंद्र गवर्नमेंट कुछ मामलों में 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है. हालांकि, बाद में एक सूत्र ने यह दावा किया था कि गवर्नमेंट 2012 के उच्चतम न्यायालय के निर्णय को बदलने की मांग नहीं कर रही है.

2G स्पेक्ट्रम मुकदमा में क्या था उच्चतम न्यायालय का फैसला
सुप्रीम न्यायालय ने 2 फरवरी 2012 को दिए गए अपने निर्णय में जनवरी 2008 में दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल के दौरान भिन्न-भिन्न फर्मों को दिए गए 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंस को रद्द कर दिया था.

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