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कुमारी सैलजा ने पेयजल की गुणवत्ता को लेकर कहा- प्रदेश के 22 में से…

चंडीगढ़ पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने बोला कि प्रदेश के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में भाजपा-जजपा गठबंधन गवर्नमेंट पूरी तरह असफल साबित हुई है एनजीटी की रिपोर्ट से खुलासा हो रहा है कि पेयजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा कहीं अधिक है, जिसे देखकर लगता है कि 17 जिलों के लोग तो पेयजल की बजाए धीमा जहर पी रहे हैं इससे पहले कैग और जल जीवन मिशन की रिपोर्ट भी प्रदेश में पेयजल की गुणवत्ता पर प्रश्न खड़े कर चुकी हैं

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहाकि प्रदेश के 22 में से 17 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, झज्जर, जींद, करनाल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, महेंद्रगढ़, पलवल, पंचकूला, रेवाड़ी और कैथल के भू-जल में आर्सेनिक 0.05 से .50 मिलीग्राम और फ्लोराइड की मात्रा दो से पांच मिलीग्राम तक है जबकि, डब्ल्यूएचओ के मापदंड के अनुसार पेयजल में आर्सेनिक की 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर और फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहाकि आर्सेनिक के कारण सबसे अधिक गंभीर रोग कैंसर होने लगता है आर्सेनिक के अधिक सेवन से मोटापा, हथेलियों, तलवों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, असामान्य दिल की धडक़न, आंशिक पक्षघात, अंधापन, ऐंठन जैसी रोग होने लगती हैं इसी तरह पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण गठिया बीमारी होने की आसार अधिक रहती है

कुमारी सैलजा ने बोला कि पिछले दिनों कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि दूषित जल पीने से 2016-21 के दौरान प्रदेश में 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि जल जनित रोंगों के 2901 मुद्दे सामने आए पेयजल के 25 नमूनों में से 23 में क्लोरीन की मात्रा एकदम नहीं मिली इससे पहले जल जीवन मिशन के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण जल आपूर्ति के स्त्रोतों, वाटर सप्लाई पाइंट के साथ ही सार्वजनिक और निजी जल निकायों से करीब 77 हजार सैंपल लिए थे इनमें से 20194 नमूनों की जांच की गई, जिसमें से 13828 परीक्षण में फेल पाए गए पानी के 5126 नमूनों में तो आर्सेनिक, मरकरी और यूरेनियम की मात्रा भी अधिक पाई गई

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बोला कि स्वच्छ पेयजल देने के नाम पर प्रदेश गवर्नमेंट वर्ष भर में करीब 1700 करोड़ रुपये खर्च करती है लेकिन, जब पानी में क्लोरीन तक नहीं डाली जा रही है तो साफ है कि पूरा बजट आपसी मिलीभगत से भ्रष्टाचारियों की जेबों में पहुंच रहा है तीन-तीन बड़ी रिसर्च रिपोर्ट से बड़े-बड़े दावे करने वाली गठबंधन गवर्नमेंट की पोल पूरी तरह खुल चुकी है कि वह राज्य के लोगों को उनकी मूलभूत आवश्यकता स्वच्छ पेयजल तक मौजूद नहीं करवा पा रही है

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