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कोलकाता हाईकोर्ट ने ममता सरकार की जमकर लगाई क्‍लास

कोलकाता कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पुलिस को संदेशखालि में यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने के आरोपी तृण मूल काँग्रेस नेता शाहजहां शेख को अरैस्ट करने का निर्देश दिया, जिसके बाद राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने बोला कि वह दोषियों को नहीं बचा रही है और उसे सात दिन के भीतर अरैस्ट कर लिया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने राज्य की ममता बनर्जी गवर्नमेंट को फटकार लगाते हुए बोला कि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि ‘‘42 मामलों के आरोपपत्र में परिवर्तित होने में चार वर्ष लग गए.’’

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि शाहजहां शेख, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, पुलिस अधीक्षक, राज्य के गृह सचिव को स्त्रियों के यौन उत्पीड़न और आदिवासियों की जमीन हड़पने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लेकर प्रारम्भ किये गए मुद्दे में पक्षकार बनाया जाए. अदालत ने निर्देश दिया, ‘इसलिए, उक्त आदमी को संबंधित पुलिस ऑफिसरों द्वारा अरैस्ट किया जाए.

टीएमसी का क्‍या है तर्क?
निर्देश का स्वागत करते हुए, तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) ने दावा किया कि न्यायालय के पिछले आदेशों ने उसे अरैस्ट करने में पुलिस के हाथ बांध दिए थे. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘वह कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश था जिसने दर्ज प्राथमिकी की जांच करने पर रोक लगा दी थी. गिरफ्तारी एक जांच की परिणति होती है. यदि न्यायालय रोक लगाती है, तो आप जांच भी नहीं कर सकते. गिरफ्तारी कैसे हो सकती है? यदि आप न्यायालय के पिछले आदेश को पढ़ें, उसमें आदेश पर रोक लगा दी गई थी और मुद्दे पर सुनवाई 6 मार्च को करना निर्धारित किया गया था.’’

 

‘हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर नहीं लगाई रोक’
मामले में पेश हुए अधिवक्ताओं द्वारा यह कहे जाने के बाद कि यह गलत धारणा बनाई गई है कि न्यायालय ने शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, पीठ ने बोला कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है. अदालत ने बोला कि उसने एक अलग मुद्दे में सिर्फ़ CBI और राज्य पुलिस के उस संयुक्त विशेष जांच दल के गठन पर सात फरवरी को रोक लगाई थी, जिसे एकल पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय ऑफिसरों पर हमले की जांच करने का आदेश दिया था.

शाहजहां शेख के समर्थकों ने किया हमला 
इसने राज्य पुलिस को हमले के संबंध में उनके द्वारा दर्ज किए गए मामलों में जांच में आगे बढ़ने पर रोक लगायी थी. गत पांच जनवरी को संदेशखालि में शेख के आवास पर छापेमारी के लिए गई प्रवर्तन निदेशालय टीम पर भीड़ द्वारा धावा किया गया था. शेख तब से फरार है. शाहजहां और उसके समर्थकों के विरुद्ध जमीन पर कब्जा करने और यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर संदेशखालि में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पांच जनवरी को उत्तर 24 परगना जिले के नज़ात पुलिस पुलिस स्टेशन में तीन प्राथमिकी दर्ज की गईं – एक शेख के एक कर्मचारी द्वारा प्रवर्तन निदेशालय ऑफिसरों के खिलाफ, दूसरी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शेख और उसके कथित सहयोगियों के विरुद्ध और पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान प्राथमिकी. टीएमसी के घोष ने बोला कि विपक्षी दल शेख की गिरफ्तारी में कानूनी उलझनों को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करके राजनीति कर रहे हैं.

 

हाईकोर्ट को दिया धन्‍यवाद
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘मामले को आज साफ करने और पुलिस को कार्रवाई करने की अनुमति देने के लिए हाई कोर्ट को धन्यवाद. शाहजहां को सात दिनों के भीतर अरैस्ट किया जाएगा.तृण मूल काँग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने रविवार को इसी तरह का बयान दिया था. इस बीच संदेशखालि में जमीन कब्जा करने के इल्जाम में तृण मूल काँग्रेस नेता अजीत मैती को अरैस्ट कर लिया गया. उसे बशीरहाट की एक न्यायालय में पेश किया गया, जिसने उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया

‘शेख पर 70 से अधिक मामले’
अधिकारियों ने बोला कि शेख के विरुद्ध 70 से अधिक शिकायतें दर्ज होने के बाद उसके विरुद्ध एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. सुंदरबन के बाहरी क्षेत्र में स्थित द्वीप के कुछ हिस्सों में नये विरोध प्रदर्शन हुए क्योंकि क्षेत्रीय लोगों ने क्षेत्रीय तृण मूल काँग्रेस नेताओं की संपत्तियों में तोड़फोड़ की. उन्होंने लाठियों से लैस होकर, तृण मूल काँग्रेस नेता शंकर सरदार के विरुद्ध अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बरमाजुर क्षेत्र में कुछ घरों पर धावा किया. वह घर पर नहीं थे लेकिन उनके परिवार के सदस्यों के साथ हाथापाई की गयी. विपक्षी दल तृण मूल काँग्रेस पर शेख को बचाने का इल्जाम लगा रहे हैं, जो 5 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय दल पर हमले के बाद से फरार है.  

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