ज्ञानवापी पर फैसला आने के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा…
Gyanvapi Vyas Tahkhana news: वाराणसी में ज्ञानवापी व्यास जी के तहखाने में पूजा से जुड़े मुद्दे की सुनवाई में हिंदू पक्ष के अधिकार में निर्णय आने के बाद वाराणसी प्रशासन ने वहां की बैरिकेडिंग हटाई है। इस संदर्फ में जिला प्रशासन ने न्यायालय के आदेश का पालन किया है। निर्णय आने के बाद हुए एक्शन के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा, ‘माननीय कोर्ट के आदेश का पालन हो गया है। यानी व्यास जी के तहखाना में देर रात पूजन संपन्न हुआ।’ शहर में कानून प्रबंध की स्थिति पहले की तरह बिल्कुल सामान्य रही, जिसके बाद वाराणसी के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने पुलिस विभाग (Varanasi Police Commissionerate) की तैयारियों की जानकारी साझा की।
‘पूरे परिसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त’
पुलिस कमिश्नर ने कहा, पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े व्यवस्था किए गए हैं। न्यायालय के आदेश की पालना हर हाल में कराने के लिए हमारा महकमा प्रतिबद्ध है। अभी जिले में शांति है, कहीं भी तनाव की कोई समाचार नहीं है।
बुधवार को व्यासजी तहखाने की पूजा पर आया वाराणसी न्यायालय का फैसला
आपको गौरतलब है कि ज्ञानवापी मुद्दे में बुधवार को बड़ा निर्णय आया। वाराणसी जिला न्यायालय ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर में उपस्थित व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है। अब व्यास परिवार तहखाने में पूजा पाठ करेगा। सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करता था।
ज्ञानवापी में कहां है व्यासजी का तहखाना?
पिछले वर्ष 25 सितंबर को व्यासजी के परिवार से शैलेंद्र कुमार पाठक ने न्यायालय में एक वाद दाखिल कर कहा गया था कि व्यास जी का तहखाना ज्ञानवापी परिसर में नंदी ईश्वर के ठीक सामने है। ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से इमारत में उपस्थित तहखाना प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। व्यास तहखाना ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वो जगह है जहां 400 वर्ष से व्यास परिवार शैव परम्परा से पूजा पाठ करते आ रहा था। अंग्रेजों के समय भी केस जीत कर व्यास परिवार का कब्जा इस तहखाने पर बना रहा।
दिसंबर 1993 तक हुई व्यास तहखाने में पूजा
व्यास परिवार के सदस्यों के साथ हिंदू पक्ष ने न्यायालय में कहा कि मंदिर भवन के दक्षिण दिशा में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी। दिसम्बर 1993 के बाद पुजारी व्यासजी को इस प्रांगण के बैरिकेड वाले क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। इस कारण तहखाने में होने वाले राग-भोग जैसे दैनिक आयोजन और अन्य अनुष्ठा भी रुक गये थे। हिंदू पक्ष ने दलील देते हुए बोला था कि इस बात के पर्याप्त आधार है कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन काल में भी वहां कब्जे में थे। मतलब अंग्रेजों के दौर में भी वहां पूजा नहीं रोकी गई लेकिन 1993 में सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव की प्रतिनिधित्व वाली गवर्नमेंट ने बाबरी टकराव के बाद यहां के पूजा-पाठ पर रोक लगवा दी थी।
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को जानिए
अशोक मुथा जैन की वाराणसी में तैनाती नवंबर 2022 में हुई थी। नए पुलिस कमिश्नर के तौर पर उनकी प्रतिनिधित्व में महकमा शांति बरकरार रखने में सफल रहा है। इससे पहले केंद्र में अपने डेपुटेशन के दौरान मुथा मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री से आने वाली बड़ी शख़्सियतों से संबंधित मामलों की जांच कर चुके हैं।