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दालों के दाम को काबू करने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाया गया ये बड़ा कदम

केंद्र गवर्नमेंट के द्वारा महंगाई को काबू करने के लिए हर संभव प्रयास की जा रही है अगले तीन महीने में लोकसभा चुनावों का शंखनाद होने वाला है ऐसे में बढ़ते दालों के मूल्य को काबू करने के लिए मोदी गवर्नमेंट के द्वारा बड़ा कदम उठाया गया है गवर्नमेंट ने उड़द और अरहर दाल के ड्यूटी फ्री इनपोर्ट को 31 मार्च 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है इससे लोगों को सस्ती दाल मिल सकेगी विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है इसमें कहा गया है कि गवर्नमेंट के द्वारा पहले ड्यूटी फ्री उरद और अरहर दाल इंपोर्ट अवधि 31 मार्च 2024 तक थी मगर, इसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा रहा है उल्लेखनीय है कि नवंबर के महीने में खुदरा महंगाई रेट में बढ़ोत्तरी का कारण दालों की कीमतों में आयी तेजी को कहा जा रहा था

इस महीने दाल की महंगाई रेट 20.23 फीसदी पर पहुंच गयी तो अक्टूबर के महीने में 18.79 फीसदी था हालांकि, केंद्र गवर्नमेंट की कोशिशों से दिसंबर में प्याज और टमाटर की कीमतों को नियंत्रित कर लिया गया है इसके अतिरिक्त लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए गवर्नमेंट के द्वारा हिंदुस्तान आटा और चावल भी बेचा जा रहा है

एक वर्ष में 37 फीसदी उछले दाम

दाल की कीमतों में एक वर्ष में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है पिछले वर्ष 28 दिसंबर 2022 को अरहर दाल की औसत मूल्य 111.50 रुपये प्रति किलो थी जो 28 दिसंबर 2023 को 152.38 रुपये प्रति किलो के रेट पर पहुंच गयी है इसका अर्थ है कि अरहर दाल में एक वर्ष में करीब 37 फीसदी का उछाल आया है इसी तरह उड़द दाल की मूल्य 28 दिसंबर 2022 को 107.33 रुपये प्रति किलो थी जो आज 122.46 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है इससे पहले केंद्र गवर्नमेंट ने अरहर और उड़द दाल की स्टॉक लिमिट को घटाने का भी निर्णय लिया था वहीं, पिछले सप्ताह मसूर दाल पर भी सून्य इंपोर्ट ड्यूटी की अवधि को 2025 तक के लिए बढ़ा दिया था

आयात नीति पर स्थिरता चाहती है सरकार

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि कुछ दालों का उत्पादन उतना नहीं है जितना हम उपभोग करते हैं आयात नीति की स्थिरता के लिए मसूर पर मौजूदा छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि उत्पादक राष्ट्रों के किसानों को हिंदुस्तान से साफ संकेत मिल सके और वे अपनी बुवाई की योजना बना सकें जुलाई, 2021 में मसूर पर मूल आयात शुल्क शून्य कर दिया गया था, जबकि फरवरी, 2022 में 10 फीसदी कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर से छूट दी गई थी तब से, इसे कई बार बढ़ाया गया और वर्तमान में यह मार्च, 2024 तक वैध था वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बोला कि अधिसूचना सिर्फ़ मसूर के लिए शून्य शुल्क और कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर की छूट बढ़ाने के लिए है, तीन कच्चे खाद्य तेलों के लिए नहीं हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और आयातक राष्ट्र है वित्त साल 2022-23 के दौरान हिंदुस्तान ने 24.96 लाख टन दलहन का आयात किया था

भारत के आयात में आयी कमी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में हिंदुस्तान का आयात 4.33 फीसदी घटकर 54.48 अरब $ रह गया, जबकि नवंबर 2022 में यह 56.95 अरब $ था राष्ट्र का व्यापार घाटा नवंबर में 20.58 अरब $ रहा चालू वित्त साल 2023-24 की अप्रैल-नवंबर अवधि में निर्यात 6.51 फीसदी घटकर 278.8 अरब $ रहा वहीं, इस अवधि में आयात 8.67 फीसदी गिरकर 445.15 अरब $ रहा वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बोला कि अंतरराष्ट्रीय मंदी के बावजूद हिंदुस्तान का निर्यात अच्छा रहा है ऑयल आयात में गिरावट के कारण इस अवधि में आयात 8.67 फीसदी घटकर 445.15 अरब $ रहा अप्रैल-नवंबर में ऑयल आयात घटकर 113.65 अरब $ रहा, जो पिछले वर्ष समान अवधि में 139.29 अरब $ था व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर, अप्रैल-नवंबर में 166.35 अरब $ रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 189.21 अरब $ था वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने संवाददाताओं से वार्ता में बोला कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों को देखते हुए हिंदुस्तान का निर्यात अच्छा रहा है

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