दिवाली से भी अधिक उत्सव वाली होगी राम नगरी अयोध्या में होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
राम नगरी अयोध्या में होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अब पूरे राष्ट्र भर में उत्सव और उत्सव मनाया जा रहा है। वहीं, मुजफ्फरपुर जिले में भी इसको लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। शहर का वातावरण राममय हो गया है और सभी मंदिरों में रामधुन हो रही है। 22 जनवरी को दीपोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इसको लेकर जिले में लोगों ने तैयारी कर ली है, जिसमें अब तक 15 लाख से अधिक दीयों के ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, 22 जनवरी को प्रभु राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राष्ट्र के साथ बिहार में भी वातावरण राममय होता जा रहा है। मुजफ्फरपुर जिले में पूजा के साथ 22 जनवरी की शाम को भव्य रूप से दीपोत्सव मनाया जाएगा, इसको लेकर खास तैयारी की जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा के दिन के जिले के श्रद्धालुओं ने शहर को दीपमय बनाने की भी तैयारी कर ली है। उस दिन 15 लाख दीयों से घर, प्रतिष्ठान, मठ और मंदिरों को जगमग करने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, जिले के डेढ़ सौ से अधिक शिल्पकारों ने मिट्टी के दीये भरपूर संख्या में मौजूद कराए है। इन दीयों में पारंपरिक दीयों के ही साथ रंगीन दीये जलाकर इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। दीयों की लगातार मांग को लेकर कुम्हार समाज में भी उत्साह है और इससे उनकी खास आमदनी भी बढ़ी है।
स्थानीय कुम्हार और शिल्पकार मोहन कुमार ने कहा कि यह पल बड़ा ही जरूरी है। इसलिए इस भयंकर ठंड में भी दिन रात काम कर रहे हैं। कारण यही है कि अब कमाई के साथ प्रभु श्री राम की भक्ति का भी बड़ा मौका मिला है। इसलिए इसको गंवाना नहीं चाहते हैं।
कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति के अध्यक्ष शिवशंकर पंडित ने कहा कि जब से हम सभी शिल्पकारों को जानकारी मिली कि अयोध्या में राम की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन घर, प्रतिष्ठान और सभी मंदिरों में दीयों को जलाया जाएगा। उसके बाद से कुम्हार समाज के शिल्पकार दीये बनाने में जुट गए हैं और लगातार इसको आखिरी मुकाम देने में लगे हुए है।
कुढ़नी प्रखंड के मधौल के शिल्पकार उपेंद्र पंडित ने कहा कि दीये बनाकर प्रभु राम की भक्ति करने का अवसर भी मिल रहा है और दीयों से कमाई भी हो रही है। उन्होंने बोला कि 496 वर्ष का एक विशेष दिन को लेकर खास उत्साह भी है। इसलिए लोगों द्वारा दिए गए सभी ऑर्डर को ले रहे हैं। हालत तो कभी-कभी यह हो जाती है कि मिट्टी कम पड़ जा रही है।