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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या बनी प्रमुख मुद्दों में से एक

हाथरस. पश्चिमी यूपी में किसानों का बोलना है कि इस बार अन्य मुद्दों के साथ आवारा पशुओं की परेशानी भी उनके लिये सबसे प्रमुख मुद्दों में से है. हाथरस के पिलखना गांव के खेतों में काम करने वाले मजदूर केशव कुमार ने कहा, ‘‘ जब मैं सुबह खेतों में काम करने जाता हूं तो यहां आवारा पशु धावा करने के लिए तैयार खड़े रहते हैं. एक बार मुझे चोटिल भी कर दिया था और मैं एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा.’’ उन्होंने बोला कि इसके अतिरिक्त भी कई बार गाय और नीलगाय उन्हें दौड़ा चुकी हैं.

फिरोजाबाद के अकिलाबाद गांव के किसान धर्मेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘खेत में आवारा पशुओं के घुस जाने से मेरी 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. सूखा, बेमौसम बारिश और अब आवारा पशुओं का आतंक. हम क्या करें ?’’ हाल के नीतिगत बदलावों के कारण यह परेशानी और बढ़ गई है तथा इस मामले की अहमियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कुछ लोगों का मानना है कि चुनावों में यह एक निर्णायक कारक हो सकता है. राज्य गवर्नमेंट ने हाल ही में अपने पुराने आदेश को फिर से लागू करने का निर्णय लिया था जिसके अनुसार खेतों में बाड़ लगाने के लिए कंटीले तार का इस्तेमाल से परहेज करने को बोला गया है.

किसान इस निर्णय से भी परेशान हैं. अब, अधिकतर किसान खेतों में बाड़ लगाने के लिए सादे तार या साड़ी और दुपट्टे का इस्तेमाल कर रहे हैं. अकिलाबाद के किसान सिंह ने कहा, ‘‘वे किसी काम के नहीं हैं. हमें समझ नहीं आता कि गवर्नमेंट हमारे हानि को क्यों नहीं समझ सकती.’’ साल 2019 की पशुधन गणना के अनुसार, यूपी में 1.90 करोड़ से अधिक मवेशी हैं, जिनमें 62,04,304 दुधारू गायें और 23,36,151 गैर-दुधारू गाय शामिल हैं. आवारा पशुओं के खतरे ने किसानों की आर्थिक परेशानियों को भी बढ़ा दिया है क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उन गायों का क्या किया जाए जो अब दूध नहीं दे रही हैं.

एक किसान ने नाम नहीं खुलासा करने की शर्त पर कहा, ‘‘ पहले हम शुरुआती भुगतान का 10-20 फीसदी अदा कर गैर दुधारू गाय को दे देते थे और नई गाय ले लेते थे. लेकिन नई नीति के चलते यह भी संभव नहीं है. हमारे पास उन्हें गैरकानूनी रूप से बेचने या उन्हें ऐसे ही आवारा छोड़ने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है.’’ केंद्र ने मई 2017 में देशभर के पशु बाजारों में वध के लिए मवेशियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.

 

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