बिलकिस बानो मामला: दोषियों ने आत्मसमर्पण करने के लिए की समय बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय द्वारा बिलकिस बानो मुद्दे में सामूहिक दुष्कर्म और मर्डर के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर रोक लगाने के कुछ दिनों बाद, उनमें से तीन ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष आवेदन दाखिल कर कारावास अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की है.
गुरुवार को न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए 19 जनवरी को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की.
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश से एक विशेष पीठ गठित करने के निर्देश प्राप्त करें, जिसमें वह और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां शामिल होंख्, जिसने पहले गुजरात गवर्नमेंट द्वारा दिए गए छूट के आदेश को रद्द कर दिया था और दोषियों को 21 जनवरी तक कारावास ऑफिसरों के समक्ष सेरेण्डर करने के लिए बोला था.
अपने आवेदन में, एक गुनेहगार ने निवेदन किया कि उसके 88 वर्षीय बिस्तर पर पड़े पिता पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं और उसकी 75 वर्षीय मां का स्वास्थ्य भी खराब है. इसके अलावा, उन्हें ‘बवासीर’ के उपचार के लिए ऑपरेशन भी कराना है.
आवेदन में बोला गया है, प्रतिवादी (दोषी) और उसके परिवार द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों के मद्देनजर और इन्साफ के भलाई में, प्रतिवादी को संबंधित कारावास ऑफिसरों के समक्ष सेरेण्डर करने के लिए चार हफ्ते का विस्तार दिया जाना चाहिए.
एक अन्य गुनेहगार मितेश चिमनलाल भट्ट ने बोला कि वह लगभग 62 वर्ष के हैं और उन्होंने मोतियाबिंद के लिए आंख की सर्जरी कराई है.
भट्ट ने अपने आवेदन में निवेदन किया, वैसे आवेदक द्वारा उत्पादित शीतकालीन फसलें कटाई और अन्य प्रक्रियाओं के लिए तैयार हैं, इसलिए आवेदक को ऐसी कटाई और अन्य प्रक्रियाओं के लिए 5 से 6 हफ्ते की जरूरत है.
इसी तरह, एक अन्य आवेदन में सेरेण्डर के लिए समय अवधि चार हफ्ते बढ़ाने की मांग करते हुए बोला गया है कि आवेदक का छोटा बेटा शादी योग्य उम्र का है और वह यह जिम्मेदारी पूरा करना चाहते हैं.
अपने 8 जनवरी के आदेश में, दोषियों की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए याचिका को खारिज करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने बोला था कि यदि छूट के आदेशों को रद्द कर दिया जाता है, तो प्राकृतिक रिज़ल्ट भुगतने होंगे.
इसमें बोला गया है, ‘ कानून के शसन को देखते हुए हमने छूट के विवादित आदेश को रद्द कर दिया है, तो स्वाभाविक रिज़ल्ट सामने आने चाहिए.’इसमें दोषियों को दो हफ्ते के भीतर संबंधित कारावास ऑफिसरों को रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है.