महात्मा गांधी की पुण्यतिथि आज, जानिए इनकी कुछ अनोखी कहानी
आज राष्ट्र के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की मर्डर कर दी थी। हिंदुस्तान में आज गांधी जी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आइए जानते हैं महात्मा गांधी हिंदुस्तान (Mahatma Gandhi) के राष्ट्रपिता कैसे बने, महात्मा गांधी को पहली बार किसने राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था, मोहनदास करमचंद गांधी से राष्ट्रपिता बनने तक सफर।
गांधी जी को महात्मा की उपाधि
गुजरात तट पर एक हिंदू परिवार में पैदा हुए और पले-बढ़े गांधी ने लंदन के इनर टेंपल में लॉ की पढ़ाई की और उन्हें 22 वर्ष की उम्र में जून 1891 में बार में बुलाया गया था। वह 1893 में एक भारतीय का अगुवाई करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। हिंदुस्तान में दो अनिश्चित सालों के बाद एक मुकदमे में व्यापारी, जहां वह एक सफल कानून अभ्यास स्थापित करने में असमर्थ था। जिसके बाद में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 21 वर्ष बिताए।
यहीं पर गांधी ने एक परिवार का पालन-पोषण किया और पहली बार नागरिक अधिकारों के अभियान में अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया। 1915 में 45 साल की उम्र में वो हिंदुस्तान लौट आए और अत्यधिक भूमि कराधान और भेदभाव के विरोध में तुरंत किसानों और शहरी श्रमिकों को संगठित करना प्रारम्भ कर दिया था।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी के दो भाई और एक बहन थी। जिसमें गांधी सबसे छोटे थे। मोहनदास बचपन से ही धार्मिक थे। वह पढ़ाई में अधिक अच्छे नहीं थे लेकिन अंग्रेजी में काफी निपुण थे।
सुभाष चंद्र बोस ने दी बापू की उपाधि
सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को गांधीजी को बापू की भी उपाधि दी थी। जब गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का मृत्यु हुआ था तब यह शीर्षक उन्हें मिला था। “बापू” का अर्थ “पिता” होता है। गांधीजी को “महात्मा” और “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली थी।
गांधी जी कैसे बने राष्ट्रपिता
दरअसल महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच वैचारिक मतभेद थे, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमेशा महात्मा गांधी का सम्मान किया। सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर पुकारा था। 6 जुलाई 1944 में रंगून रेडियो स्टेशन में अपने भाषण में सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर बुलाया था। सुभाष चंद्र बोस ने बोला था, ‘हमारे राष्ट्रपिता, हिंदुस्तान की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं।