राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस ने ‘BJP-RSS’ का कार्यक्रम’ बताते हुए की न जाने की घोषणा
Nitish Kumar Ayodhya Invite: बिहार के सीएम नीतीश कुमार 22 जनवरी 2024 को अयोध्या जाएंगे या नहीं? राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने का निर्णय उनका स्वयं का होगा। पार्टी के नेता केसी त्यागी ने गुरुवार को यह कहकर सस्पेंस और बढ़ा दिया। विपक्ष के अनेक नेता 22 जनवरी के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का न्योता ठुकरा चुके हैं। इनमें कांग्रेस पार्टी के सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी, सपा के अखिलेश यादव, CPI (M) के सीताराम येचुरी शामिल हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसे ‘बीजेपी-आरएसएस का कार्यक्रम’ बताते हुए न जाने की घोषणा की। क्या नीतीश भी सोनिया-अखिलेश की तर्ज पर अयोध्या जाने से इनकार कर देंगे या जदयू का स्टैंड सहयोगी दलों से अलग रहेगा? इसी से जुड़े प्रश्न पर त्यागी ने कहा, ‘नीतीश जी को सीएम और पार्टी अध्यक्ष के नाते निमंत्रण प्राप्त हुआ है। नीतीश जी को अभी इस पर निर्णय लेना है और उनके निर्णय से हम आपको अवगत करवाएंगे।‘
बीजेपी पर राजनीति का इल्जाम लगा कांग्रेस पार्टी ने कर लिया किनारा
22 जनवरी को अयोध्या में पीएम मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उस कार्यक्रम में भाजपा और संघ के अनेक बड़े नेता शरीक होंगे। इसके अतिरिक्त देश-विदेश से प्रसिद्ध शख़्सियतों को भी आमंत्रित किया गया है। विपक्षी दलों के नेताओं को भी इनवाइट किया गया था। हालांकि, अधिकांश ने 22 जनवरी के कार्यक्रम से दूर रहने का निर्णय किया। कांग्रेस पार्टी के जयराम रमेश ने इल्जाम लगाया कि भाजपा और आरएसएस ने मंदिर स्थापना को चुनावी लाभ के लिए ‘राजनीति का प्रोजेक्ट’ बना दिया है। कांग्रेस पार्टी ने ‘अधूरे’ मंदिर के उद्घाटन को लेकर गवर्नमेंट की नीयत पर भी प्रश्न उठाए। 22 जनवरी को कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता जरूर अयोध्या में उपस्थित रहेंगे, लेकिन निजी स्तर पर।
बाकी विपक्षी दलों से इतर, जदयू ने पहले भी राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने की ख़्वाहिश जाहिर की थी। जेडीयू प्रवक्ता ने सोमवार को द भारतीय एक्सप्रेस से वार्ता में बोला था, ‘राम सबके हैं। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यदि अयोध्या मंदिर के उद्घाटन का न्योता आता है तो हम जरूर किसी न किसी को भेजेंगे।’ त्यागी ने बोला था, ‘इससे फर्क नहीं पड़ता कि 22 जनवरी को अयोध्या कौन जाता है। यदि निमंत्रण नहीं आता तो हम अपने हिसाब से जाएंगे।‘
अयोध्या जाकर सहयोगियों को नाराज करेंगे नीतीश?
अगर नीतीश 22 जनवरी को अयोध्या जाने का निर्णय करते हैं तो इससे I.N.D.I.A. के सहयोगी दल नाराज हो सकते हैं। विपक्षी गठबंधन के अधिकांश दलों ने इसे ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ बताकर दूरी बना ली है। हालांकि, उससे भाजपा को विपक्षी दलों को ‘हिंदू विरोधी’ बताने का एक और मौका मिल गया है। भाजपा ने कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। यदि नीतीश नहीं आते तो भाजपा उन्हें भी ‘एंटी-हिंदू’ प्रोजेक्ट करेगी। ऐसे में हो सकता है कि नीतीश स्वयं न जाकर, पार्टी के किसी और नेता को अयोध्या भेजें। वैसे भी जदयू के नेता ‘सेक्युलरिज्म’ को नीतीश की राजनीति का आधा बताते हैं।