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शिक्षक भर्ती घोटाले पर ममता ने दिया ये विवादित बयान

कोलकाता: 25 अप्रैल को, वकीलों के एक समूह ने कलकत्ता हाई कोर्ट से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी द्वारा हाई कोर्ट के विरुद्ध दिए गए बयानों पर स्वत: संज्ञान के आधार पर विचार करने की मांग की है. रिपोर्टों के अनुसार, वकीलों ने इल्जाम लगाया है कि हाई कोर्ट को “बेच दिया गया” था. ये बयान नकदी के बदले जॉब घोटाले के निर्णय के बाद दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 24,000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) के नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ से सीएम के विरुद्ध उनकी “अपमानजनक” टिप्पणियों के लिए कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया. उन्होंने निवेदन किया कि, “यह आपराधिक अवमानना है, मैं अखबार की रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहा हूं. मैं स्वत: संज्ञान लेने की प्रार्थना कर रहा हूं. जब तक न्यायालय इस पर कठोर नहीं हो जाती, यदि मुझे (आपराधिक अवमानना) याचिका दाखिल करनी है, तो मुझे महाधिवक्ता की अनुमति लेनी होगी जो किसी भी समय नहीं दी जाएगी.

याचिका में बोला गया है कि, ”मैं एक हलफनामा दाखिल कर सकता हूं कि ये बयान हैं, लेकिन कृपया इस पर संज्ञान लें. नहीं तो हर न्यायालय हम पर हंस रही है, क्या हो रहा है? ‘हाईकोर्ट को खरीद लिया गया है’ . हम आधी रात की कड़ी मेहनत के बाद माननीय कोर्ट के समक्ष मामलों की सुनवाई करते हैं. अब कोई (सीएम ममता) इल्जाम लगा रहा है कि उच्च न्यायालय के न्यायधीश और पूरी उच्च न्यायालय बिक गई है.

शीर्ष वकील और CPM नेता ने इस बात पर बल दिया कि सीएम ने जनता की नजरों में न्यायालय को बदनाम करने के लिए लगातार इसी तरह की टिप्पणियां की हैं. उन्होंने बोला कि “हम शीर्षकों का अनुवाद रखेंगे. अब यह बोला गया है कि ‘उच्च कोर्ट बिक गया है.‘ यह माननीय सीएम का बयान है – एक दिन में नहीं, बल्कि इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के बाद लगातार उन्होंने यही बयान दिए हैं, केवल आम आदमी की नजरों में उच्च न्यायालय का उपहास उड़ाने के लिए. मैं हलफनामा दाखिल करूंगा. अंग्रेजी अखबारों की रिपोर्टें हैं. कृपया संज्ञान लें.

इस बीच, कोर्ट ने पूछा कि क्या मुद्दे का रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए एक याचिका प्रस्तुत की जा सकती है. वकील ने सीएम द्वारा दिए गए बयानों पर रिपोर्ट के साथ एक हलफनामा शामिल करने का वादा किया. उन्होंने बोला कि वह दोपहर दो बजे तक मुनासिब कार्रवाई करेंगे. दो अतिरिक्त वकीलों ने मुद्दे में याचिका दाखिल करने का कोशिश किया. इसके अतिरिक्त, एक वकील ने एक आवेदन दाखिल कर हाई कोर्ट से सीएम के नुकसानदायक और निंदनीय शब्दों को ध्यान में रखने का निवेदन किया.

न्यायालय ने याचिकाएं दाखिल करने की अनुमति दी और मीडिया रिपोर्टों पर भी गौर किया कि विकास रंजन भट्टाचार्य ने दोपहर में मुद्दे की सुनवाई के दौरान सीएम की विवादास्पद घोषणाओं पर प्रस्तुति दी थी. कोर्ट ने तब राय दी कि कोई भी आगे की कार्रवाई करने से पहले, मुद्दे से संबंधित सभी दस्तावेज़ प्रशासनिक समीक्षा के लिए मुख्य न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किए जाएंगे.

क्या है बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला:-

बता दें कि, यह भ्रष्टाचार 2014 का है, जब पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (SSC) ने राज्य के सरकारी विद्यालयों के लिए शिक्षकों की भर्ती की थी. 2016 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के नेतृत्व में भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ हुई.  कोलकाता हाई कोर्ट में अनियमितताओं की कई शिकायतें दाखिल की गईं. याचिकाकर्ताओं ने इल्जाम लगाया कि कम अंक वाले उम्मीदवारों को मेरिट सूची में उच्च जगह दिया गया था, और कुछ उम्मीदवारों को मेरिट सूची में नाम नहीं आने के बावजूद जॉब दी गई थी. ऐसी भी शिकायतें थीं कि कुछ उम्मीदवारों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास किए बिना जॉब दे दी गई, जो राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए जरूरी है. 2016 में SSC द्वारा 13,000 ग्रुप डी कर्मचारियों की भर्ती में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं.

इन याचिकाओं पर उत्तर देते हुए उच्च न्यायालय ने CBI जांच के आदेश दिए. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने शिक्षक और कर्मचारियों की भर्ती के वित्तीय पहलुओं की जांच प्रारम्भ की. पार्थ चटर्जी से 18 मई को सीबीआई ने पूछताछ की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने इस वर्ष मई में अपनी जांच प्रारम्भ की थी. 22 जुलाई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान अर्पिता मुखर्जी की संपत्ति से जुड़े डॉक्यूमेंट्स मिले थे. पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा की मॉडल और ब्रांड एंबेसडर अर्पिता मुखर्जी को बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने अरैस्ट कर लिया. अर्पिता के आवास पर छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को 50 करोड़ रुपये से अधिक नकद, लाखों की विदेशी करेंसी, के साथ 4.31 करोड़ रुपये का सोना भी मिला था.  जब एजेंसियां, इस घोटाले के अनुसार पार्थ चटर्जी और अन्य तृण मूल काँग्रेस नेताओं को अरैस्ट कर रही थी, तब भी ममता बनर्जी यही कह रहीं थीं कि केंद्र गवर्नमेंट विपक्षी नेताओं के विरुद्ध बदले की कार्रवाई कर रही है.

हालाँकि, जांच पूरी हुई और कुछ दिन पहले ही SSC भर्ती घोटाले में निर्णय सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृण मूल काँग्रेस गवर्नमेंट को झटका दिया था. शिक्षक भर्ती घोटाले पर निर्णय सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बोला था कि 2016 के पूरे पैनल को रद्द किया जाए. 9वीं से लेकर 12वीं ग्रुप C एवं D में हुई सभी नियुक्तियों को गैरकानूनी करार देते हुए न्यायालय ने बोला कि 23,753 नौकरियों को रद्द किया जाए. यही नहीं, इन सभी को 4 हफ्ते के भीतर पूरा वेतन लौटाना होगा, वो भी 12% ब्याज के साथ. न्यायालय के आदेश पर हुई जांच में ये भी पाया गया कि लोगों से 5 से 15 लाख रुपए कि घूस लेकर ये नौकरियां दी गईं. ये शायद वही पैसा था, जो ममता गवर्नमेंट में शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी के घर से मिला था. बताया जा रहा है कि, इस मुद्दे में मुख्यमंत्री ममता भी जांच के दायरे में आ सकती हैं, क्योंकि इतना बड़ा भ्रष्टाचार सीएम की नाक के नीचे हुआ, और उन्हें पता नहीं चला ? इस बात पर विश्वास करना कठिन है. विरोधियों का बोलना है कि शायद इसीलिए ममता बनर्जी बौखलाई हुईं हैं और उच्च न्यायालय तक को भला बुरा कह रहीं हैं. दरअसल, कुछ दिनों पहले संदेशखाली मामले पर ममता गवर्नमेंट को बहुत निंदा झेलनी पड़ी थी, जिसके बाद इस मामले ने तृण मूल काँग्रेस सर्कार पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं.

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